सीयू में वीसी को लेकर असमंजस की स्थिति
यहां स्थायी कुलपति के अभाव में प्रोफेसर शांता दत्ता दे को कुलाधिपति राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा अंतरिम कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया था.
कोलकाता. कलकत्ता यूनिवर्सिटी में कुलपति को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. प्रोफेसर शांता दत्ता दे की सेवानिवृत्ति के बाद सवाल उठ रहे हैं. यहां स्थायी कुलपति के अभाव में प्रोफेसर शांता दत्ता दे को कुलाधिपति राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा अंतरिम कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया था. शुक्रवार को प्रोफेसर के रूप में शांता दत्ता की सेवानिवृत्ति का दिन था. इसके बाद भी यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या वह अंतरिम कुलपति के पद पर बनी रह सकती हैं. अगर वह उस पद पर नहीं हैं, तो यह जिम्मेदारी कौन लेगा, क्योंकि विश्वविद्यालय में कुलपति (शिक्षा) और कुलपति (वित्त) दोनों पद रिक्त हैं. हालांकि, प्रो. शांता ने कहा कि वह अंतरिम कुलपति के पद पर बनी हुई हैं. नियुक्ति के समय कुलाधिपति ने उन्हें लिखित निर्देश दिये थे कि वह अगले निर्देश तक काम करना जारी रखेंगी. इसमें सेवानिवृत्ति तक काम करने का कोई जिक्र नहीं है. इसके अलावा 2019 में राज्य सरकार ने कुलपतियों को 70 साल तक सेवा करने की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन किया. इसमें उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी इससे अलग राय रखते हैं. उनके स्पष्टीकरण के अनुसार 2019 के संशोधित कानून के अनुसार, एक प्रोफेसर 65 वर्ष की आयु के बाद भी विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में तभी काम कर सकता है, जब राज्य के शिक्षा मंत्री और कुलपति संयुक्त जिम्मेदारी देते हैं.
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