2016 से 2022 तक एजेंटों के जरिये वसूले गये करोड़ों रुपये
राज्य के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक पद पर हुईं नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के मामले सामने आये हैं.
शिक्षक नियुक्ति घोटाले में सीबीआइ ने हाइकोर्ट में पेश की जांच रिपोर्ट
कोलकाता. राज्य के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक पद पर हुईं नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के मामले सामने आये हैं. मंगलवार को सीबीआइ ने इस मामले में जांच रिपोर्ट हाइकोर्ट में पेश की, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे किये गये हैं. जानकारी के अनुसार, सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मामले में आरोपी कुंतल घोष, तापस मंडल सहित अन्य व्यक्तियों के समूह ने मिल कर इस घटना को अंजाम दिया है. इन्होंने अवैध तरीके से नौकरी दिलाने के नाम पर अभ्यर्थियों से करोड़ों रुपये वसूले हैं. इन लोगों ने कई एजेंट भी बनाये थे, जो इन तक रुपये पहुंचाने का काम करते थे. तापस मंडल व उसके सब-एजेंटों के माध्यम से मुख्य रूप से टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों के मालिकों से अवैध रूप से नौकरी दिलाने के नाम पर रुपये वसूले गये थे और इन अवैध रूप से नियुक्त अभ्यर्थियों के बारे में जानकारियां इन सेंटरों के माध्यम से एकत्रित की गयी थीं. सीबीआइ ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया है कि वर्ष 2016 से 2022 तक तापस मंडल व उसके आठ एजेंटों के माध्यम से 141 लोगों से चार करोड़ 12 लाख 85 हजार रुपये वसूले गये थे. तापस मंडल ने कुंतल घोष को पांच करोड़ 25 लाख रुपये दिये थे. इसी प्रकार, कुंतल घोष ने भी अपने तीन एजेंटों के माध्यम से 71 लोगों को नौकरी देने के नाम पर कुल तीन करोड़ 23 लाख रुपये वसूले थे. केंद्रीय जांच एजेंसी ने बताया है कि इन आरोपियों ने मिल कर एक फर्जी वेबसाइट भी बनायी थी. इस वेबसाइट के माध्यम से टीईटी अभ्यर्थियों से संपर्क किया गया था. यहां तक कि अभ्यर्थियों को फर्जी ईमेल भेज इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था. सिर्फ यही नहीं, बिना किसी नियम का पालन किये एस बसु राय एंड कंपनी को ओएमआर शीट मूल्यांकन की जिम्मेदारी साैंपी गयी थी. सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि 2017 में 752 अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए एक तालिका प्रकाशित की गयी थी और इनमें से कई अभ्यर्थियों को विथ हेल्ड कैंडिडेट्स कह कर संबोधित किया गया था और ये सभी अयोग्य थे, जिन्हें नौकरी दी गयी गयी थी. आरोप है कि इन 752 में से 310 अयोग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति अवैध रूप से की गयी थी.