कोलकाता, शिव कुमार राउत : पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election ) के लिए राज्य में दूसरे चरण का मतदान हो रहा है. इस बार 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बना मतदान केंद्र श्रीलेखा सबसे ऊंचा मतदान केंद्र होगा. हालांकि यहां मतदाताओं की संख्या काफी कम है. फिर भी चुनाव आयोग तैयारियों में कोई कसर नहीं रख रहा है. खच्चरों पर मतदान सामग्री लाद कर मतदानकर्मी बूथ तक पहुंच गये. यह मतदान केंद्र केवल ऊंचाई पर ही नहीं, बल्कि काफी दुर्गम स्थल पर भी है, जहां पहुंचना आसान नहीं है. लोगों के आने जाने के लिए रास्ते भी नहीं हैं.
खच्चरों पर मतदान सामग्री लाद कर मतदानकर्मी बूथ तक पहुंचाया जा रहा है
लिहाजा खच्चर का सहारा लेना पड़ता है. वहां पर मोबाइल टावर भी नहीं है. बिजली भी नहीं है. नतीजतन मोबाइल का प्रयोग भी मुश्किल है. इतनी दिक्कतों के बावजूद लोकतंत्र के महापर्व में मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मतदान कर्मी यहां पहुंच गये हैं. सामान तो खच्चर की मदद से पहुंचा, लेकिन पुलिस व मतदानकर्मियों को वहां पैदल ही जाना पड़ा. इस मतदान केंद्र को महज 10 साल पहले ही बनाया गया है. यहां सबसे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए मतदान हुआ था. उसके पहले इस दुरुह व दुर्गम इलाके के लोग अपने मतदान का प्रयोग नहीं करते थे. क्योंकि उनको वोट देने के लिए 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था.
यहां के लोगों का मुख्य भरोसा सोलर एनर्जी पर टिका
बिजली नहीं आने के कारण यहां के लोगों का मुख्य भरोसा सोलर एनर्जी पर टिका है. श्रीलेखा के अलावा दारागांव व रास्मामओ भी दुर्गम मतदान केंद्र की श्रेणी में आते हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक यह इलाके इतने दुर्गम क्षेत्र में हैं कि वहां यातायात का कोई साधन नहीं है. ऐसे में यहां के लोगों को मतदान कार्य में शामिल करने के लिए मतदान कर्मियों को पांच से लेकर 15 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है. ईवीएम व अन्य मतदान सामग्री खच्चर पर लादकर मतदान कर्मी मतदाता केंद्र तक पहुंचे.