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डिग्री एलोपैथी की, प्रैक्टिस आयुर्वेद से

एलोपैथी चिकित्सकों का समाज में अलग सम्मान है. इस वजह से इसकी पढ़ाई करनेवाले छात्रों में होड़ लगी रहती है.

शिव कुमार राउत

कोलकाता. एलोपैथी यानी मॉडर्न मेडिसिन की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स कक्षा आठ से ही तैयारी शुरू कर देते हैं, क्योंकि किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक एमबीबीएस सीट के लिए सैकड़ों बच्चे कतारे में लगे होते हैं. वहीं, एलोपैथी चिकित्सकों का समाज में अलग सम्मान है. इस वजह से इसकी पढ़ाई करनेवाले छात्रों में होड़ लगी रहती है.

देश में एलोपैथी देसी चिकित्सा आयुर्वेद को पछाड़ कर आगे बढ़ा था. देश में एलोपैथी की पढ़ाई के लिए आज से 100-150 साल पहले भी छात्र-छात्राओं में उत्साह कम नहीं था, पर इसी देश में एक ऐसे भी व्यक्ति थे, जिन्होंने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से बैचलर ऑफ मेडिसिन, एमबी (वर्तमान में एमबीबीएस) की डिग्री हासिल की, पर करियर आयुर्वेद में बनाया. आयुर्वेद से उन्हें इतना अधिक लगाव था कि उन्होंने देश में एशिया के पहले आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज की स्थापना की थी. आपको पता दे किया यहां हम कविराज जामिनी भूषण राय की बात कर रहे हैं. जिन्हें जेबी राय के नाम से जाना जाता है. कविराज जामिनी भूषण राय का जन्म एक जुलाई 1879 में हुआ था. उनका जन्म भारत के खुलना जिले में हुआ था, जो अब बांग्लादेश में है. वहीं, मात्र 47 साल की उम्र में 11 अगस्त 1926 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह गये थे. वहीं देश में एक जुलाई को डॉ बिधान चंद्र राय की जन्म व मृत्यु दिवस की याद में नेश्नल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. देश ने जहां एक ओर डॉ विधान चंद्र राय के द्वारा चिकित्सा और राजनीतिक क्षेत्र में किये गये कार्यों को याद रखा है.

वहीं एक महान चिकित्सक, परोपकारी जामिनी भूषण राय को लोग भूल चुके हैं. खुद पश्चिम बंगाल के लोग ऐसे महान चिकित्सक को भूल चुके हैं, पर ऐसे एक कुशल चिकित्सक की याद में एक आयुर्वेद चिकित्सक के आवेदन पर कोलकाता मेट्रो ने विशेष पहल की है.

जेबी कॉलेज की स्थापना पर एक नजर :जेबी राय मेडिकल कॉलेज फरवरी, 1916 को स्थापित हुआ था और इसे केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा देश के सबसे पुराने आयुर्वेदिक शैक्षणिक संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है. संस्थान की आधारशिला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने रखी थी. वहीं, कविराज जेबी राय ने एक लाख 16 हजार रुपये की लागत से इस कॉलेज का निर्माण कराया था.

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