दिशम आदिवासी गांवता सहित अन्य आदिवासी संगठनों का प्रदर्शन

आदिवासी समाज के सैकड़ों महिलाओं व पुरुषों के साथ बच्चों ने अपने पारंपरिक वाद्य यंत्र धमसा, मादल और धनुष तीर-कमान लेकर रानीगंज के पंजाबी मोड़ के ओवर ब्रिज से रैली के माध्यम से अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया.

By Prabhat Khabar Print | June 29, 2024 12:44 AM

रानीगंज. रानीगंज त्रिवेणी देवी भालोटिया कॉलेज में संथाली भाषा को अन्य भाषाओं की तरह विभाग में शामिल कर आदिवासी समुदाय को शिक्षा का अधिकार प्रदान करने के लिए शुक्रवार को पूरे पश्चिम बर्दवान जिले के संथाली समुदाय के लोग दिशम आदिवासी गांवता सह अन्य आदिवासी संगठन, फाइट फार मदर टंग, के बैनर तले सड़कों पर उतर कर इस मांग को लेकर कॉलेज के मुख्य द्वार पर घंटों प्रदर्शन किया. आदिवासी समाज के सैकड़ों महिलाओं व पुरुषों के साथ बच्चों ने अपने पारंपरिक वाद्य यंत्र धमसा, मादल और धनुष तीर-कमान लेकर रानीगंज के पंजाबी मोड़ के ओवर ब्रिज से रैली के माध्यम से अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया.

इस विरोध प्रदर्शन का संगठन के सुकू मुर्मू, बुबन मांडी, सैलमन मांडी, संजय हेमब्रम, परिमल हेमब्रम, भक्ता मांडी, सीमा मांडी, लखी नारायण मुर्मू, हिरण्मय, मोहन सोरेन, मंगला हांसदा आदि मुख्य रूप से नेतृत्व दे रहे रहे थे. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं तब तक वे टीडीबी कॉलेज में अपनी स्थिति को लेकर प्रदर्शन करते रहेंगे. इस दिन के विरोध मार्च और विरोध कार्यक्रम में विभिन्न जिलों से आदिवासी संगठनों के कई स्थानीय नेता आये थे. उनका कहना था कि टीडीबी कॉलेजों के पास आदिवासियों को सुव्यवस्थित रूप से वंचित करने के लिए शैक्षिक बुनियादी ढांचा होने के बावजूद संथाली भाषा के लिए कोई प्रावधान नहीं किया जा रहा है. ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि प्रबंधन समिति ने सही निर्णय नहीं लिया.

इस विशाल विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों के साथ पुलिस के आला अधिकारी भी मौजूद थे. किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए लाठीधारी पुलिस के साथ-साथ महिला पुलिस और यहां तक कि आंसू गैस के गोले भी तैयार रखे गये थे. दोपहर करीब 11:30 बजे पंजाबी मोड़ से जुलूस शुरू हुआ और कॉलेज परिसर तक पहुंचा. वहीं इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने मातृभाषा में पढ़ाई की मांग करते हुए कॉलेज में संथाली भाषा शुरू करने की मांग की और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने नारे भी लगाये. इस बारे में संगठन के राज्य पर्यवेक्षक भुवन मांडी ने बताया कि 2017 से रानीगंज के टीडीबी कॉलेज में आदिवासी समाज के लोग संथाली भाषा और ओलचिकी लिपि में कॉलेज में पढ़ाई की मांग करते आ रहे हैं लेकिन कुछ अज्ञात कारणों से उनकी मांग पूरी नहीं की जा रही है. इसलिए यह विरोध जुलूस निकाला गया. उन्होंने कहा कि वे आदिवासी हैं. शायद इसीलिए उनकी मांगें नहीं मानी जा रही हैं ताकि आदिवासी समाज के लोग पढ़ लिख ना सकें और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक न हो सकें. जबकि राज्य के विभिन्न कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में ओलचीकी लिपि में पढ़ाई लिखाई चालू है.

रानीगंज के आसपास के क्षेत्र में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं. जिन्हें अपनी भाषा में पढ़ाई लिखाई करने के लिए या तो आसनसोल जाना पड़ता है या पुरुलिया जाना पड़ता है. उनकी मांग है कि जब तक आदिवासी समाज की मांग नहीं मानी जायेगी तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. वहीं इस दिन ज्ञापन सौंपने के दौरान जब प्रभारी शिक्षक मोबिनुल इस्लाम से पूछा गया कि टीडीबी कॉलेज में संथाली भाषा में पढ़ाई की व्यवस्था क्यों नहीं की गयी है, तो उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. इसलिए कोई पहल नहीं की गयी है. इस वजह से इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया जा सका. प्रभारी शिक्षक मोबिनुल इस्लाम का कहना था कि कॉलेज प्रशासन ने उन्हें व्यक्तिगत पहल पर संथाली भाषा सिखाने का निर्देश दिया है. हालांकि, कॉलेज के स्वयं के फंड पर इस शिक्षा प्रणाली की शुरुआत करने की पहल की जायेगी. संगठन के लोगों का कहना है कि कॉलेज के अधिकारी इस शिक्षा प्रणाली को शुरू नहीं करना चाहते हैं. जबकि उन्हें एक साल पहले ही इस शिक्षा प्रणाली को अपनाने के लिए आश्वासन दिया गया था. कॉलेज में तीन आदिवासी शिक्षक भी हैं. बीते वर्ष में दो शिक्षकों की नियुक्ति के लिए इंटरव्यू भी लिया गया था. इसके बावजूद भी यहां संथाली भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल नही किया जा रहा है.

माइकिंग के असर से ज्ञान भारती स्कूल रहा बंद

रानीगंज के टीडीबी कॉलेज में संथाली भाषा की शिक्षा शुरू करने की मांग को लेकर शुक्रवार को संथाली समुदाय के संगठन दिशम आदिवासी गांवता की तरफ से फाइट फॉर मदर टंग के बैनर तले पंजाबी मोड़ से कॉलेज गेट तक एक विरोध रैली निकाली गयी. इसे लेकर एक दिन पहले से पूरे रानीगंज शहर में संगठन की और से माइकिंग की गयी थी. माइकिंग का असर इतना ज्यादा हुआ कि शुक्रवार को रानीगंज के कई स्कूलों ने अपने विद्यार्थियों को स्कूल आने से मना कर दिया. रैली के मार्ग पर पड़ने वाले ज्ञान भारती स्कूलों को शुक्रवार को बंद कर दिया गया क्योंकि स्कूल प्रबंधन को आशंका थी कि रैली की वजह से विद्यार्थियों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ सकता है.

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