शिक्षक नियुक्ति घोटाला में सीबीआई के समक्ष हाजिर नहीं हुए तृणमूल पार्षद देवराज चक्रवर्ती, मांगा वक्त
सीबीआई ने गत जनवरी में पार्षद चक्रवर्ती ही नहीं, बल्कि कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के वार्ड नंबर 101 के पार्षद बाप्पादित्य दासगुप्ता से भी पूछताछ की थी. इसके बाद पार्षद चक्रवर्ती ने सीबीआई को अपने बैंक खातों से जुड़े व अन्य कुछ दस्तावेजों को सौंपा था.
पश्चिम बंगाल के सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की नियुक्तियों में हुईं अनियमितताओं व शिक्षक नियुक्ति घोटाले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के अधिकारियों ने फिर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से जुड़े विधाननगर नगर निगम के एमएमआइसी व सात नंबर वार्ड के पार्षद देवराज चक्रवर्ती को पूछताछ के लिए तलब किया था. उन्हें बुधवार को यहां निजाम पैलेस स्थित केंद्रीय जांच एजेंसी के कार्यालय में हाजिर होने को कहा गया था. हालांकि वह इस दिन केंद्रीय जांच एजेंसी के कार्यालय में हाजिर नहीं हुए. बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के तहत होने वाले मतदान के लिए राजनीतिक कार्यक्रमों में व्यस्त होने का हवाला देकर उन्होंने सीबीआई से चार जून तक का समय मांगा है.
सीबीआई ने गत जनवरी में पार्षद बाप्पादित्य दासगुप्ता से भी की थी पूछताछ
गौरतलब है कि सीबीआई ने गत जनवरी में पार्षद चक्रवर्ती ही नहीं, बल्कि कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के वार्ड नंबर 101 के पार्षद बाप्पादित्य दासगुप्ता से भी पूछताछ की थी. इसके बाद पार्षद चक्रवर्ती ने सीबीआई को अपने बैंक खातों से जुड़े व अन्य कुछ दस्तावेजों को सौंपा था. इसके पहले, पिछले साल नवंबर में सीबीआई के अधिकारियों ने तृणमूल कांग्रेस नेता और मुर्शिदाबाद के डोमकल से विधायक जफीकुल इस्लाम, केएमसी के पार्षद बाप्पादित्य दासगुप्ता, विधाननगर नगर निगम के पार्षद देवराज चक्रवर्ती के आवासों समेत राज्य की अलग-अलग जगहों पर छापे मारे थे. पार्षद चक्रवर्ती के राजारहाट के तेघरिया और दमदम पार्क स्थित आवासों में तलाशी अभियान चलाया गया था और इस दौरान कुछ दस्तावेज जब्त किये गये थे.
तृणमूल नेता पहले ही दावा कर चुके हैं कि वह भ्रष्टाचार के किसी भी मामले से नहीं जुड़े
दूसरी ओर, उसी दिन केंद्रीय जांच एजेंसी की एक टीम ने कोलकाता नगर निगत (केएमसी) के पार्षद दासगुप्ता के पाटुली स्थित आवास में छापा मारा था और उनके दो बैंक खातों के दस्तावेज व एक डिजिटल उपकरण भी जब्त किया था. उक्त मामले को तृणमूल नेता चक्रवर्ती पहले ही दावा कर चुके हैं कि वह भ्रष्टाचार के किसी भी मामले से नहीं जुड़े हैं. शिक्षक नियुक्ति घोटाला वर्ष 2014 से हुआ और इस अंतराल में उनकी ऐसी कोई क्षमता नहीं थी, वह किसी को कोई नौकरी दिलवा पायें. एक भारतीय नागरिक होने के नाते वह जांच में केंद्रीय जांच एजेंसी का पूरा सहयोग किया है और आगे भी करेंगे.