दिव्यांग बच्चों की सुरक्षा पर डीएलएसए सचिव ने की बैठक
दिव्यांग बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ली गयी
आसनसोल. कलकत्ता हाई कोर्ट के जुवेनाइल जस्टिस सचिवालय के निर्देशानुसार सोमवार को आसनसोल के सर्किट हाउस में विकलांग बच्चों की सुरक्षा पर सभी हितधारकों की जिला स्तरीय परामर्श बैठक हुई. बैठक में बच्चों को विकलांगता से बचाने को लेकर विचार विमर्श किया गया. डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के सचिव फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज संजीत अगस्ता ने जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी से बच्चों को विकलांगता से बचाने को लेकर स्वास्थ्य परिसेवा के बारे में जानकारी ली. बैठक में जिला जज गोपाल कुमार डालमिया, दुर्गापुर एडीजे कोर्ट के जज शैलेंद्र कुमार सिंह, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट पॉक्सो कोर्ट तथा डीएलएसए के कार्यालय अधीक्षक सत्यजीत मुखर्जी, डीसीटीयू राजकुमार मिश्रा आदि मौजूद थे. सीएमएस शेख मोहम्मद यूनुस ने बताया कि देश के संविधान के अनुसार आम नागरिकों के समान दिव्यांग बच्चों के भी संवैधानिक अधिकार हैं. बच्चों को विकलांगता से बचाने के लिए जन्म से लेकर युवा अवस्था तक श्रेणीबद्ध तरीके से स्क्रीनिंग की जाती है. दिव्यांग बच्चों की स्कूल स्तर पर स्क्रीनिंग प्रथम चरण में होती है, उसके पश्चात बेहतर ट्रीटमेंट के लिए उन्हें रेफर किया जाता है. उनके इलाज की प्रक्रिया को स्वास्थ्य विभाग की ओर से नियमित अंतराल पर फॉलो अप किया जाता है. इसके साथ ही दिव्यांग बच्चों को यूडीआइडी कार्ड मुहैया कराया जाता है. इन दिव्यांग बच्चों में मानसिक रोगों की प्रवृत्ति की जांच की जाती है. ऑडियो मैट्रिक टेस्ट तथा स्पीच थेरेपी के माध्यम से उनकी मानसिक स्थिति की जांच की जाती है. मोहम्मद शेख यूनुस ने बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग के पास सुविधाएं हैं लेकिन सुनने के यंत्र मुहैया कराने को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है. इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग ऑर्थोपेडिक चिकित्सा के माध्यम से जांच पूरी कराता है. लेकिन जिला स्वास्थ्य विभाग के पास कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण के विशेषज्ञ की कमी हैं. सीएमएस ने बताया कि इस बैठक की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में अग्रसारित कर दी जायेगी.च सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार सरकारी प्रावधान बनाया जायेगा. डीएलएस कार्यालय अधीक्षक सत्यजित मुखर्जी ने कहा कि ऑब्जर्वेशन होम में दिव्यांग बच्चों को किस प्रकार से सुरक्षित रखा जा सकता है इस विषय को लेकर बैठक में चर्चा हुई.
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