तीन नये आपराधिक कानूनों को फिलहाल न करें लागू : ममता
सीएम ने पीएम को लिखा पत्र, कहा : 'हड़बड़ी में पारित' तीन नये आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन को टाल दें
सीएम ने पीएम को लिखा पत्र, कहा : ”हड़बड़ी में पारित” तीन नये आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन को टाल दें एक जुलाई से लागू होने वाले हैं तीनों नये कानून कोलकाता. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर ”हड़बड़ी में पारित” तीन नये आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन को टालने का आग्रह किया है. ये तीनों कानून एक जुलाई से लागू होने हैं. तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इस कानून को लागू करने से पहले संसद में एक बार फिर इस पर चर्चा करने की मांग की. मुख्यमंत्री ने आपराधिक कानूनों की नये सिरे से संसदीय समीक्षा पर जोर दिया है. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में तीनों नये कानूनों के आसन्न कार्यान्वयन को लेकर गंभीर चिंता जतायी. गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से एक जुलाई से तीन नये आपराधिक कानून लागू किये जाने वाले हैं, जिनमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक, तृणमूल प्रमुख ने गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम से भी मुलाकात की, जो विधेयकों की जांच करने वाली संसद की स्थायी समिति का हिस्सा थे, और उनसे इस मुद्दे पर चर्चा की. तृणमूल नेता डेरेक ओब्रायन, द्रमुक नेता एनआर एलंगो और पी चिदंबरम ने तीनों विधेयकों पर अपनी रिपोर्ट में असहमति जतायी थी. ममता बनर्जी ने कहा कि ये तीनों विधेयक लोकसभा में ऐसे समय में पारित हुए, जब 146 सांसद सदन से निलंबित थे. उन्होंने कहा कि आपकी पिछली सरकार ने इन तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को एकतरफा और बिना किसी बहस के पारित कर दिया था. उस दिन, लोकसभा के लगभग 100 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था और दोनों सदनों के कुल 146 सांसदों को संसद से बाहर निकाल दिया गया था. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के उस काले दौर में विधेयकों को तानाशाहीपूर्ण तरीके से पारित किया गया. मामले की अब समीक्षा होनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा : मैं अब आपके कार्यालय से आग्रह करती हूं कि कम से कम कार्यान्वयन की तारीख को आगे बढ़ाने पर विचार करें. इसके दो कारण हैं: नैतिक और व्यावहारिक. उन्होंने कहा कि इन महत्वपूर्ण विधायी बदलावों पर नये सिरे से विचार-विमर्श होना चाहिए और जांच के लिए नव निर्वाचित संसद के समक्ष रखा जाना चाहिए. तृणमूल प्रमुख ने कहा कि जल्दबाजी में पारित किये गये नये कानूनों को लेकर सार्वजनिक रूप से व्यक्त की गयीं व्यापक आपत्तियों के मद्देनजर नये सिरे से संसदीय समीक्षा लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेगी. यह तरीका नव निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को प्रस्तावित कानून की गहन जांच करने का अवसर प्रदान करेगा. उन्होंने कहा कि किसी भी दूरगामी कानूनी बदलाव को सही तरीके से लागू करने के लिए पहले ही सावधानीपूर्वक जमीनी कार्य की आवश्यकता होती है और हमारे पास इस तरह के अभ्यास से बचने का कोई कारण नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा : मैं आपसे विनम्रतापूर्वक अनुरोध करती हूं कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनए) 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 के कार्यान्वयन को टालने की हमारी अपील पर विचार करें. ममता बनर्जी ने कहा : हमारा मानना है कि यह स्थगन नये सिरे से संसदीय समीक्षा/जनादेश को सक्षम करेगा, कानूनी प्रणाली में जनता के विश्वास को मजबूत करेगा और हमारे प्यारे देश में कानून के शासन को कायम रखेगा. सूत्रों ने कहा कि यह मुद्दा आगामी संसद सत्र में विपक्षी दलों द्वारा उठाया जायेगा. उन्होंने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन की कई पार्टियों ने नये कानूनों के कार्यान्वयन को स्थगित करने की मांग का समर्थन किया है. केंद्रीय कानून व न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि तीन नये आपराधिक कानून एक जुलाई से लागू होंगे.
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