पश्चिम बंगाल : सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High court) के आदेश को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय की उस याचिका पर सुनवाई करने से गुरुवार को इनकार कर दिया, जिसमें रुजिरा बनर्जी के संबंध में जांच से जुड़ी जानकारियां आरोपपत्र दाखिल करने से पहले सार्वजनिक या मीडिया में खुलासा नहीं करने के लिए जांच एजेंसी को निर्देश जारी किया गया था. तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा बनर्जी की याचिका पर उच्च न्यायालय ने जांच एजेंसियों को आरोप-पत्र दाखिल करने से पहले किसी भी व्यक्ति, आरोपी, संदिग्ध या गवाह से संबंधित जांच का विवरण जनता या मीडिया से साझा नहीं करने के दिशानिर्देश जारी किए थे.
केंद्रीय जांच एजेंसियां मीडिया को जांच के संबंधित जानकारियां ना दें
रुजिरा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि केंद्रीय जांच एजेंसियां और मीडिया कथित वित्तीय और अन्य घोटालों से संबंधित मामले में उनका चरित्र हनन करने में जुटी है और ईडी सहित विभिन्न एजेंसियों द्वारा की जा रही जांच के संबंध में नियमित रूप से जानकारियां प्रकाशित कर उनके परिवार की छवि खराब कर रही हैं. न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने ईडी की ओर से पेश हो रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू से कहा कि चूंकि एजेंसी की याचिका उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के खिलाफ है, इसलिए शीर्ष अदालत इसकी सुनवाई के पक्ष में नहीं है.
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रुजिरा बनर्जी को काेर्ट से मिली राहत
राजू ने दलील दी कि चूंकि दिशा-निर्देश जारी किये जा चुके हैं और इस अंतरिम आदेश की वजह से रुजिरा बनर्जी को पूर्ण राहत मिल चुकी है, ऐसे में यह अंतिम आदेश ही समझा जा सकता है. उन्होंने दिशानिर्देशों पर रोक लगाने के निर्देश जारी करने का अनुरोध किया. पीठ ने राजू से कहा कि उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के खिलाफ ईडी अपनी याचिका वापस ले ले, अन्यथा एजेंसी की अर्जी खारिज कर दी जाएगी. शीर्ष अदालत के कहने के बाद राजू ने याचिका वापस लेने के लिए राजी हो गये.
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पिछले वर्ष 17 अक्टूबर को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दिशानिर्देश जारी किये थे
पिछले वर्ष 17 अक्टूबर को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कुछ दिशानिर्देश जारी किये थे और निर्देश दिया कि जांच एजेंसियां और मीडिया सख्ती से इनका पालन करें. दिशानिर्देशों में कहा गया था कि जहां तक रुजिरा का सवाल है, जांच एजेंसियां जनता या मीडिया के सामने किसी व्यक्ति विशेष से पूछताछ, छापेमारी और तलाशी की परिस्थितियों, कारणों और विवरण का खुलासा नहीं करेंगी, चाहे बात आरोपी से संबंधित हो या संदिग्ध की अथवा फिर गवाह की.
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