संदेशखाली : ईंट-भट्ठा मालिकों के लिए दहशत का पर्याय बन गया था शाहजहां

इस बार राज्य में लोकसभा चुनाव के नतीजों में तृणमूल कांग्रेस को मिली बड़ी सफलता के बावजूद शेख शाहजहां के कारनामे पार्टी के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. इस मामले की जांच में लगातार इडी अधिकारियों को नयी जानकारियां मिल रही हैं. इडी सूत्रों का कहना है कि संदेशखाली व आसपास के इलाकों में ईंट-भट्ठा के मालिकों को शाहजहां से महंगी कीमतों पर निम्न गुणवत्ता का कोयला खरीदना पड़ता था.

By Prabhat Khabar News Desk | June 10, 2024 11:00 PM

कोलकाता.

इस बार राज्य में लोकसभा चुनाव के नतीजों में तृणमूल कांग्रेस को मिली बड़ी सफलता के बावजूद शेख शाहजहां के कारनामे पार्टी के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. इस मामले की जांच में लगातार इडी अधिकारियों को नयी जानकारियां मिल रही हैं. इडी सूत्रों का कहना है कि संदेशखाली व आसपास के इलाकों में ईंट-भट्ठा के मालिकों को शाहजहां से महंगी कीमतों पर निम्न गुणवत्ता का कोयला खरीदना पड़ता था. इसके अलावा ईंट-भट्ठा मालिकों को एक टैक्स भी चुकाना होता था, जिसे ””””शाहजहां टैक्स”””” कहा जाता था. इडी सूत्रों के मुताबिक, ईंट-भट्ठा मालिकों को न चाहते हुए भी यह टैक्स देना पड़ता था. इडी ने दावा किया कि लगातार शाहजहां टैक्स के बढ़ते बोझ के कारण एक ईंट-भट्ठा के मालिक को अपना भट्ठा बेचना पड़ा था, क्योंकि टैक्स के नाम पर रकम बढ़ती जा रही थी. इडी की तरफ से यह सारी जानकारी बशीरहाट कोर्ट को दी गयी है.

संदेशखाली में कई ईंट-भट्ठा मालिकों ने कथित तौर पर इडी अधिकारियों से अपना अनुभव साझा किया है. एक ईंट-भट्ठा के मालिक के शब्दों में, दादा के आदेश को मानकर उनसे कोयला खरीदना पड़ता था. शाहजहां के खिलाफ जमीन हड़पने से संबंधित कई शिकायतें थीं, लेकिन किसी को यह नहीं पता था कि शाहजहां कोयला तस्करी में भी शामिल था, यह जानकारी प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की जांच में सामने आयी है. इडी सूत्रों के मुताबिक, संदेशखाली और नजात इलाके में कुल 29 ईंट-भट्ठे मौजूद हैं. इनके मालिकों को शाहजहां के ””आदेश”” का पालन करने के लिए मजबूर किया गया था. ईंट-भट्ठा व्यवसाय को चलाने के लिए बड़ी मात्रा में कोयले की आवश्यकता होती है. इन सारे कोयले की सप्लाई पर संदेशखाली सहित बशीरहाट के विभिन्न इलाकों में शाहजहां और उसके साथियों का नियंत्रण था. ऐसी तमाम जानकारी इडी को मिली है. शाहजहां ””टैक्स”” प्रति टन 2-3 हजार रुपये के लगभग था. धमाखाली में दो ईंट-भट्ठे के मालिक इस टैक्स के बोझ को सहन नहीं कर सके, जिसके कारण उन्होंने भट्ठे को शाहजहां को ही बेच दिया.

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