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सारधा चिटफंड घोटाला में ईडी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी के खिलाफ पेश की चार्जशीट, कोर्ट ने नहीं किया गृहित

केंद्रीय जांच एजेंसी ने चार्जशीट के साथ ही करीब 1,100 पन्नों के दस्तावेज भी जमा किया. हालांकि, यह अदालत में फिलहाल गृहित नहीं किया गया है. सूत्रों के अनुसार, चार्जशीट में ईडी की ओर से दावा किया गया है कि नलिनी चिदंबरम को सुदीप्त सेन से वर्ष 2011-12 में डेढ़ करोड़ रुपये मिले थे.

पश्चिम बंगाल में सारधा समूह (Saradha ) से जुड़े करोड़ों रुपये के चिटफंड घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को बैंकशाल अदालत स्थित स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में तीसरी सप्लीमेंटरी चार्जशीट जमा की. हालांकि, कोर्ट ने इसे फिलहाल गृहित नहीं किया है. मामले को लेकर कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 18 जुलाई निर्धारित की है. सूत्रों के अनुसार, करीब 65 पन्नों की चार्जशीट में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम का भी नाम शामिल किया गया है, जिसमें उनके खिलाफ कुछ आरोपों का विस्तृत विवरण भी है. हालांकि, इसे लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी को न्यायाधीश के कई सवालों के सम्मुख होना पड़ा है.

‘प्रोटेक्शन मनी’ के तौर पर डेढ़ करोड़ लेने का आरोप


बताया जा रहा है कि चार्जशीट में ईडी की ओर से आरोप लगाया गया कि श्रीमती चिदंबरम को सारधा समूह के प्रमुख व घोटाले के मुख्य आरोपी सुदीप्त सेन करीब 1.5 करोड़ रुपये मिले थे. इससे पहले जब चिदंबरम से इस बारे में पूछा गया था, तो उनका दावा था कि उन्होंने अधिवक्ता के तौर पर सलाह देने के बदले यानी कंसल्टेंसी फीस के तौर पर रुपये लिए थे. हालांकि, ईडी का आरोप है कि चिदंबरम को उस वक्त ‘प्रोटेक्शन मनी’ के तौर पर रुपये मिले थे. इस पर न्यायाधीश ने सवाल उठाते हुए कहा, ”मुझे समझाएं कि अगर कोई अधिवक्ता सलाह के एवज में फीस लेता है, तो यह भ्रष्टाचार कैसे है? अगर वित्तीय अनियमितता से जुड़ा कोई आरोपी अपने अपराध से जुटाये रुपये किसी अधिवक्ता को देता है, तो क्या वह अधिवक्ता भी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े अपराध में शामिल हो जाता है या अपराधी बन जाता है?

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चार्जशीट देरी से पेश होने पर उठा सवाल

न्यायाधीश ने यह भी सवाल उठाया कि 11 वर्षों बाद यानी इतनी देर से यह चार्जशीट क्यों पेश की गयी? केंद्रीय जांच एजेंसी ने चार्जशीट के साथ ही करीब 1,100 पन्नों के दस्तावेज भी जमा किया. हालांकि, यह अदालत में फिलहाल गृहित नहीं किया गया है. सूत्रों के अनुसार, चार्जशीट में ईडी की ओर से दावा किया गया है कि नलिनी चिदंबरम को सुदीप्त सेन से वर्ष 2011-12 में डेढ़ करोड़ रुपये मिले थे. उस समय उनके पति चिदंबरम केंद्रीय मंत्री थे. इडी का आरोप है कि सारधा समूह के प्रमुख ने यह रुपये एक अधिवक्ता के तौर पर नहीं, बल्कि केंद्रीय गृह मंत्री की पत्नी के रूप में चिदंबरम को रुपये दिये थे.

इस मामले को लेकर अगली सुनवाई की तिथि 18 जुलाई निर्धारित

उस वक्त सेन बंगाल समेत देश के अन्य राज्यों में भी अपना कारोबार फैला रहे थे. सारधा समूह के प्रमुख ने पूर्वोत्तर भारत में एक निजी न्यूज चैनल का करीब 42 करोड़ रुपये में सौदा किया. बताया जा रहा है कि उक्त चैनल की पदाधिकारी व संपादक ने सेन से चिदंबरम की पहचान करवायी थी. बाद में सेन की केंद्रीय गृह मंत्री की पत्नी से जान-पहचान बढ़ गयी. दोनों के बीच वित्तीय लेनदेन के सबूत मिले थे. तीसरी सप्लीमेंटरी चार्जशीट पेश करने से पहले केंद्रीय जांच एजेंसी मामले में 34 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश कर चुकी है.

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