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मेजिया थर्मल पावर स्टेशन में स्मार्ट मीटर लगाने का पुरजोर प्रतिवाद

दामोदर घाटी निगम(डीवीसी) के सभी आवासीय क्वार्टरों में एक जून से स्मार्ट मीटर शुरू करने के निर्देश के खिलाफ शनिवार को मेजिया थर्मल पावर स्टेशन (एमटीपीएस) के कर्मचारियों ने पुरजोर प्रतिवाद जताया. शनिवार को सुबह 10:00 बजे एमटीपीएस में ड्यूटी करने पहुंचे कर्मचारियों ने पहले बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगाया. उसके बाद सारे कर्मचारियों ने एकजुट होकर एमटीपीएम के मुख्य अभियंता का उनके कार्यालय में घेराव किय

बांकुड़ा.

दामोदर घाटी निगम(डीवीसी) के सभी आवासीय क्वार्टरों में एक जून से स्मार्ट मीटर शुरू करने के निर्देश के खिलाफ शनिवार को मेजिया थर्मल पावर स्टेशन (एमटीपीएस) के कर्मचारियों ने पुरजोर प्रतिवाद जताया. शनिवार को सुबह 10:00 बजे एमटीपीएस में ड्यूटी करने पहुंचे कर्मचारियों ने पहले बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगाया. उसके बाद सारे कर्मचारियों ने एकजुट होकर एमटीपीएम के मुख्य अभियंता का उनके कार्यालय में घेराव किया. इसमें शिफ्ट ड्यूटी करनेवाले भी शामिल हुए. हालांकि विरोध प्रदर्शन में सीधे कोई श्रमिक संगठन का प्रतिनिधि नहीं था, लेकिन उन सबने एक सुर में क्वार्टरों में स्मार्ट मीटर लगाने के फरमान पर ऐतराज जताया. बताया कि यहां 35 साल पहले बने क्वार्टरों की वायरिंग खराब हो चुकी है. पुराने मॉडल के स्विचबोर्ड हैं, जिनसे बिजली की ज्यादा खपत होती है. श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों की शिकायत है कि डीवीसी के अधिकारियों ने क्वार्टर में रहनेवालों को विश्वास में लिये बगैर अथवा, पुरानी वायरिंग को बदलवाये बिना गत 30 मई की शाम फरमान जारी कर दिया कि एक जून से सारे क्वार्टरों में स्मार्ट मीटर लगा कर चालू कर दिये जायेंगे. इस बाबत सीटू से संबद्ध डीवीसी श्रमिक यूनियन के सचिव सुमन गोस्वामी ने दावा किया कि स्मार्ट मीटर लगाना अनैतिक व श्रम कानून के खिलाफ है. बीएमएस के सचिव प्रशांत मंडल और आइएनटीटीयूसी समर्थित डीवीसी कामगार संगठन के सचिव मृत्युंजय माजी ने आरोप लगाया कि डीवीसी प्रबंधन, गरीब-लाचार श्रमिकों को प्रताड़ित कर रहा है. अधिकारियों व कर्मचारियों को जो अनुग्रह-राशि मिलती थी, वो अब तक सबको समान थी. इस वर्ष से अनुग्रह-राशि रद्द कर दी गयी है. इससे साफ है कि जहां एक कर्मचारी को 58 हजार रुपये मिल रहे हैं, वहीं, अधिकारी को तीन लाख से 10-12 लाख रुपये तक मिल रहे हैं. इंटक नेता अरिंदम बनर्जी और कर्मचारी संघ के सचिव विद्युत कर्मकार का तर्क है कि कर्मचारियों के आवासीय क्वार्टर 800 वर्गफुट से कम के हैं. काफी समय से बिजली की दर एक प्रतिशत के हिसाब से चल रही थी. अब स्मार्ट मीटर लगा कर बिजली का शुल्क लिया जायेगा. ऊपर से क्वार्टरों का किराया बंद कर लाइसेंस फीस तीन से चार गुना बढ़ा दी गयी है. देखा जा रहा है कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के क्वार्टर के लिए 10 से 12 हजार रुपये काटे जा रहे हैं.

महंगा हुआ क्वार्टर में रहना, भाड़े पर घर लेकर रहने की इच्छा

इस बीच, कर्मचारियों ने डीवीसी के अधिकारियों को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि वे लोग क्वार्टर में नहीं रहना चाहते हैं. स्मार्ट मीटर लग जाने और लाइसेंस फीस से क्वार्टरों में रहना काफी महंगा हो गया है. इसकी अपेक्षा बाहर किराये पर घर लेकर रहना सस्ता व मुफीद होगा. शनिवार को कर्मचारियों ने एकजुट होकर मांग की कि जब तक यह आदेश रद्द नहीं होगा, वे काम नहीं करेंगे. इधर, लेबर यूनियन के ऑल वैली कार्यकारी अध्यक्ष समीर बाइन ने कहा, “हम बिजली का उत्पादन करते हैं, पर हमें इसकी सेवाएं क्यों नहीं मिलेंगी? यह किस लोकतांत्रिक देश की नीति है? कुछ दिन पहले तक हमें आवास में मुफ्त बिजली मिलती थी. यदि उक्त निर्देश रद्द नहीं हुआ, तो कर्मचारियों के आंदोलन की आंच कोलकाता, रांची, मैथन से लेकर चंद्रपुरा, बोकारो समेत पूरी घाटी तक फैलेगी.”

क्या कहते हैं चीफ इंजीनियर

उधर, इस बाबत एमटीपीएस के मुख्य अभियंता व प्रोजेक्ट हेड प्रद्युम्न प्रसाद शाह ने कहा, उनके पास निर्णय रद्द करने का अधिकार नहीं है. पर यहां की स्थिति पर रिपोर्ट डीवीसी मुख्यालय को भेजेंगे. अनुरोध करेंगे कि जब तक पुरानी वायरिंग की जगह कम बिजली के खपत वाली उन्नत वायरिंग नहीं की जाती, तब तक स्मार्ट मीटर ना लगाये जायें. इस आश्वासन के बाद कर्मचारियों ने दोपहर करीब 1:00 बजे अपना घेराव प्रदर्शन बंद कर दिया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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