रथ यात्रा को लेकर बाजार में उत्साह

रथ यात्रा के अवसर पर गली-गली में बच्चों द्वारा रथ निकालने को लेकर शहर के बाजारों में लकड़ी के छोटे छोटे रथ बिकने के लिए तैयार हैं.

By Prabhat Khabar Print | June 29, 2024 12:50 AM

दुर्गापुर. पुरी की रथ यात्रा की तरह ही बंगाल की रथ यात्रा काफी प्रसिद्ध है. कोलकाता और मायापुर में इस्कॉन की रथ यात्रा के साथ-साथ राज्य के विभिन्न जिलों में रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है. शिल्पांचल दुर्गापुर में भी रथ यात्रा का आयोजन बड़े पैमाने पर होता है. इस्कान और रथ पूजा कमेटी द्वारा रथ निकालने के साथ साथ विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. मेले भी लगाये जाते हैं. वहीं रथ यात्रा के दिन शहर की हर गली और मोहल्ले में बच्चे छोटे छोटे रथ निकालते हैं. हालांकि आज के इस तकनीकी युग में बच्चों द्वारा रथ निकालने की परंपरा में थोड़ी कमी आई है. इस साल सात जुलाई को रथयात्रा निकाली जायेगी. रथ यात्रा के अवसर पर गली-गली में बच्चों द्वारा रथ निकालने को लेकर शहर के बाजारों में लकड़ी के छोटे छोटे रथ बिकने के लिए तैयार हैं. शहर के बेनाचिटी इलाके में दशकर्मा की दुकानों में कारीगरों द्वारा उन्हें बनाते देखा जा सकता है. जो बड़े ही सधे हाथों की कारीगरी दिखाते हुए लकड़ी के छोटे-छोटे रथ बना रहे हैं.

मंजिल के हिसाब से कीमत होती है तय

रथ को बनाने के संबंध में दुकानदार संजय पाल ने बताया कि रथ बनाने के लिए कोलकाता से कारीगर बुलाये गये है. साथ ही कोलकाता से रथ के मॉडल को लाया गया है. यहां उनकी फिटिंग की जा रही है. इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी रथ बनाये जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि रथ की मंजिल के हिसाब से रथ की कीमत होती है. ये रथ एक मंजिल से लेकर तीन मंजिल तक के बनते हैं. ज्यादातर बच्चों द्वारा दो और तीन मंजिलों वाले रथ को पसंद किया जाता है. बच्चे इन रथों को अपने अनुसार फूल और रंगीन कागजों से सजाते हैं. अलग से कई बार उसमें लाइटिंग भी की जाती है. परंपरा के अनुसार इसमें जगन्नाथ देव, सुभद्रा और बलराम को बैठाया जाता है और उन्हें खींचा जाता है. बच्चे इन छोटे रथों पर मिठाई का भोग चढ़ाते हैं और रास्ते में निकल जाते हैं. इस अवसर पर कुछ लोग इन छोटे रथों में कुछ चढ़ावा भी चढ़ा देते हैं. इस अवसर पर जलेबी और तले हुए पापड़ भी खाने का रिवाज है.

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