मटियाबुर्ज स्थित सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का नेत्र विभाग हुआ बंद
संवाददाता, कोलकाता
मटियाबुर्ज सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन के बाद करीब 25 लोग अपनी दृष्टि खोने के कगार पर पहुंच चुके हैं. इस घटना के लिए स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर गठित चार सदस्यीय जांच कमेटी ने भी माना है कि सेंट्रल मेडिकल स्टोर से अस्पताल को दवा प्राप्त हुई थी. दवा के कारण ही सर्जरी के बाद मरीजों को गंभीर परेशानियां हुई हैं. वहीं, इस वजह से कई मरीजों को इलाज के लिए कोलकाता मेडिकल कॉलेज स्थित रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ आब्थलमोलॉजी (आरआइओ) में भर्ती कराया गया है. जांच कमेटी से रिपोर्ट मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग में शुक्रवार को राज्य के स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम की उपस्थिति एक उच्च स्तरीय बैठक हुई. बैठक में राज्य के सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल, अधीक्षक और जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशक भी इस बैठक से जुड़े थे. बैठक में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए जिला स्तर पर टास्क फोर्स का गठन किया गया है.
स्वास्थ्य सचिव ने मटियाबुर्ज सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की घटना के संबंध में जांच कमेटी से यह रिपोर्ट मांगी है कि अस्पताल में मोतियाबिंद सर्जरी के लिए स्वास्थ्य विभाग के दिशानिर्देशों का पालन किया गया है या नहीं. ज्ञात हो कि, राज्य के सरकारी अस्पतालों में ‘चोखेर आलो’ परियोजना के तहत मोतियाबिंद के ऑपरेशन किये जाते हैं. इसी योजना के तहत 28 और 29 जून को मटियाबुर्ज सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में मोतियाबिंद की सर्जरी की गयी थी. इस दिन अस्पताल में हुए सर्जरी के बाद 25 मरीजों ने आरोप लगाया है कि ऑपरेशन के बाद वे ठीक नहीं हैं. उन्हें परेशानी हो रही है. कुछ मरीज़ों का दावा है कि उन्हें धुंधली दिख रहा है, तो कुछ लोग देख ही नहीं पा रहे हैं.
पीड़ित का इलाज रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ आप्थॉलमोलॉजी (आरआइओ) में चल रहा है. बताया जा रहा है कि आंखों के ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाले तरल पदार्थ और दवाएं, गार्डनरीच अस्पताल को सेंट्रल मेडिकल स्टोर से प्राप्त हुईं थीं.
इस घटना को लेकर राज्य सरकार की ओर से एक जांच कमेटी भी गठित की गयी है. चार सदस्यीय दल ने उक्त अस्पताल से शुक्रवार को नमूने संग्रह किये.
उधर, घटना के बाद से ही मटियाबुर्ज सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के आई (आब्थलमोलॉजी) विभाग को बंद करवा दिया गया है.
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