अर्णब को बर्दवान कारा ले जाने की प्रक्रिया शुरू

बर्दवान विश्वविद्यालय से इतिहास में पीएचडी के लिए प्रवेश-परीक्षा में सफलता के बाद फिजिकल क्लास करने को लेकर बने संशय को दूर किया जा रहा है. राज्य सरकार के सहयोग से माओवादी बंदी अर्णब दाम उर्फ बिक्रम को हुगली जेल से बर्दवान जिला संशोधनागार(जेल) में शिफ्ट करने की प्रक्रिया चल पड़ी है. शुक्रवार से ही संकेत मिल रहे हैं कि बंदी अर्णब दाम के पीएचडी में दाखिले को लेकर जो जटिलताएं थीं, वो अब खत्म होने को हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | July 13, 2024 9:44 PM

बर्दवान/पानागढ़.

बर्दवान विश्वविद्यालय से इतिहास में पीएचडी के लिए प्रवेश-परीक्षा में सफलता के बाद फिजिकल क्लास करने को लेकर बने संशय को दूर किया जा रहा है. राज्य सरकार के सहयोग से माओवादी बंदी अर्णब दाम उर्फ बिक्रम को हुगली जेल से बर्दवान जिला संशोधनागार(जेल) में शिफ्ट करने की प्रक्रिया चल पड़ी है. शुक्रवार से ही संकेत मिल रहे हैं कि बंदी अर्णब दाम के पीएचडी में दाखिले को लेकर जो जटिलताएं थीं, वो अब खत्म होने को हैं. सूत्रों की मानें, तो बर्दवान विश्वविद्यालय भी अर्णब की पीएचडी में प्रवेश प्रक्रिया में ढील दे रहा है. राज्य के शैक्षणिक-प्रशासनिक हलकों के साथ जनमत ने भी संविधान से मिले शिक्षा के अधिकार के तहत अर्णब के पक्ष में पुरजोर ढंग से आवाज उठायी है.

दूसरी ओर, जेल विभाग भी कैदी के लिए उच्च शिक्षा व शोध का मार्ग प्रशस्त करने में लग गया है. हुगली जेल से अर्णब दाम को बर्दवान कारागार में स्थानांंतरित करने की तैयारी चल पड़ी है. ध्यान रहे कि पीएचडी में अड़चनों को देखते हुए माओवादी बंदी ने जेल में अनशन करने का ऐलान कर दिया था. मगर अब जब इतिहास में पीएचडी करने के उसके दाखिले में कुछ लचीलापन आया, तब कैदी ने अनशन करने की योजना टाल दी है. यही नहीं, सजायाफ्ता कैदी होने के कारण वह लंबे समय तक हुगली जेल के कल्याण अनुभाग में रहा है. सूत्रों की मानें, तो बर्दवान विश्वविद्यालय से इतिहास में शोधकार्य के लिए जरूरी सुविधाएं पाने के वास्ते एडीजी (जेल) को विशेष आवेदन भी किया गया है.

बंदी को बर्दवान जेल शिफ्ट करने में दिक्कत नहीं : जेल मंत्री

इस बीच, राज्य के कारा या जेल मंत्री अखिल गिरि ने कहा, “इतिहास पर शोध के लिए कैदी अर्णब दाम को बर्दवान जेल भेजने में कारागार विभाग को दिक्कत नहीं है. हम बंदी की सुरक्षा को लेकर उठाये गये सवाल पर गौर करेंगे. ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि बर्दवान जेल से यूनिवर्सिटी जाने से पढ़ाई और शोध कार्य में आसानी होगी. दरअसल, हमारी मुख्यमंत्री की सोच है कि जो पढ़ना चाहते हैं, उन्हें पढ़ने दिया जाये. जेल मंत्री के मुताबिक कुणाल घोष ने अर्णब दाम की रिहाई की मांग नहीं की है. उन्होंने तो बस उच्च शिक्षा में कैदी को मौका देने की हिमायत की है. पीएचडी की प्रवेश-परीक्षा में जिस अभ्यर्थी ने टॉप किया है, उसे तो शोध करने का मौका दिया ही जाना चाहिए. राज्य सरकार चाहती है कि यदि कैदी योग्य है, तो उसे जेल में रहते हुए भी शोध करने का मौका दिया जाये.

उधर, बर्दवान विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग ने भी सूचित किया है कि वह अर्णब दाम को हरसंभव मदद करने को तैयार है. इस बीच, मामले को लेकर विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति गौतम चंद्रा ने भी अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है. कुलपति के अनुसार विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने पीएचडी में अर्णब दाम की प्रवेश संबंध दिक्कतें दूर कर ली हैं. सुरक्षा का आश्वासन मिलने के बाद ही बाकी प्रक्रिया पूरी की जायेगी. प्रथम रैंक होल्डर को छोड़ कर अन्य अभ्यर्थियों के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू करना संभव नहीं था. मामले में विश्वविद्यालय के अफसरों पर दोषारोपण करनेवाले पूरे घटनाक्रम से अनजान हैं. कैदियों के मामले में जेल अधिकारियों के पास निर्देश आना जरूरी है. अर्णब दाम के शोध को लेकर विश्वविद्यालय के फैसले पर पूर्व सांसद कुणाल घोष की मांग पर भी कुलपति ने टिप्पणी की. कहा कि कुणाल को सही जानकारी नहीं दी गयी है, विश्वविद्यालय के सारे नियमों व नीतियों के दायरे में दो प्रश्न किये गये थे. अर्णब के प्रवेश का विरोध नहीं किया गया है. उत्तर मिल जाने के बाद अब अड़चन नहीं है.

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