कोलकाता, अमित शर्मा : पश्चिम बंगाल के इतिहास में यह पहली बार हुआ था, जब ब्रिगेड सभा में लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की गयी. ऐसा तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) ने किया था. पार्टी ने मार्च में हुए ब्रिगेड परेड ग्राउंड में अपनी ‘जन गर्जन सभा’ के दौरान पश्चिम बंगाल की कुल 42 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान किया था. इस बार तृणमूल के उम्मीदवारों की सूची में चार ऐसे उम्मीदवार भी रहे, जो भाजपा का दामन छोड़ कर तृणमूल में शामिल हुए. उनके नाम विश्वजीत दास, मुकुट मणि अधिकारी, विप्लव मित्रा और कृष्ण कल्याणी हैं. दल बदलने वाले चारों नेता विधायक भी थे, जिन्होंने वर्ष 2021 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी.
दल बदलकर तृणमूल में शामिल होने वाले चारों को तृणमूल ने बनाया था उम्मीदवार
विप्लव मित्रा हरिरामपुर के विधायक ही नहीं, बल्कि राज्य के कैबिनेट मंत्री भी थे. कृष्ण कल्याणी रायगंज के विधायक, मुकुटमणि अधिकारी राणाघाट दक्षिण के विधायक और विश्वजीत दास बागदा से विधायक थे. तृणमूल ने विश्वजीत दास को बनगांव लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार बनाया, जहां से केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया. इस सीट पर पाला बदलने वाले विश्वजीत दास को सफलता नहीं मिल पायी, यानी तृणमूल का दांव यहां काम नहीं कर पाया. रानाघाट (एससी) सीट पर तृणमूल के उम्मीदवार मुकुट मणि अधिकारी पर भी भाजपा उम्मीदवार जगन्नाथ सरकार भारी पड़े.
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चारों नेताओं में से एक राज्य के कैबिनेट मंत्री भी थे
अच्छी मार्जिन के साथ भगवा दल ने यहां जीत हासिल की. दल बदलने वाले नेताओ में शामिल विप्लव मित्रा को तृणमूल ने बालुरघाट सीट पर पार्टी का उम्मीदवार बनाया, जहां उनका भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सुकांत मजूमदार से रोचक मुकाबला हुआ. शाम को यहां जारी मतगणना के दौरान भाजपा उम्मीदवार मजूमदार उनसे आगे थे. पाला बदलकर भाजपा से तृणमूल में शामिल हुए कृष्ण कल्याणी को भी सफलता नहीं मिली. तृणमूल ने उन्हें रायगंज सीट पर अपना उम्मीदवार बनाया था, जहां भाजपा के उम्मीदवार कार्तिक चंद्र पाल उनपर भारी रहे.