आसनसोल. चार श्रमिको को काम से हटाने के मुद्दे को लेकर पश्चिम बर्दवान जिला मोटिया मजदूर यूनियन (सीटू) की हड़ताल बुधवार को सशर्त समाप्त हुई. यूनियन की हड़ताल से दो दिनों तक नियामतपुर होलसेल मंडी में कारोबार बिल्कुल ठप रहा. ट्रक से सामान लोड-अनलोड का कार्य रुक जाने से व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ. नियामतपुर मर्चेंट चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सचिव सचिन भालोदिया ने कहा कि तृणमूल के जिलाध्यक्ष नरेंद्रनाथ चक्रवर्ती, आइएनटीटीयूसी के जिलाध्यक्ष अभिजीत घटक से इस मुद्दे को सुलझाने की अपील की गयी थी. दोनों नेताओं की ओर से काफी सहयोग मिला. बुधवार सुबह काम के लिए स्थानीय श्रमिक पहुंचे. जिसके बाद मोटिया मजदूर यूनियन के नेताओं से बात की गयी कि यदि वे हड़ताल खत्म करके काम पर नहीं आते हैं तो बाहरी श्रमिकों को लेकर कार्य शुरू कर दिया जायेगा. क्योंकि ट्रकों में काफी सामान बर्बाद हो रहा है. जिसपर यूनियन कुछ शर्तों के साथ काम करने को तैयार हो गया और हड़ताल समाप्त हो गयी. जिस मुद्दे को लेकर विवाद हुआ था उसे बाद में आपसी सहमति से सुलझाने की बात हुई. यूनियन के सचिव दर्शन दयाल यादव ने कहा कि चार श्रमिकों को कहीं भी कार्य नहीं देने की अपील व्यवसायियों ने अपने ग्रुप में की थी, जिसपर यह आंदोलन शुरू हुआ था. चार श्रमिकों के बगैर ही बुधवार सुबह कार्य शुरू हुआ. शर्त यह रही कि हर्जाने के रूप में चारों श्रमिको को पांच-पांच सौ रुपये दिये जायेंगे. इसी शर्त पर काम शुरू हुआ. यूनियन और व्यवसायी दोनों की शर्तों पर ही सहमति हुई और हड़ताल समाप्त हुई. चार श्रमिकों को फिलहाल काम पर नहीं रखा गया, इसपर फैसला बाद में होगा. यूनियन ने चारों श्रमिकों को कार्य पर नहीं रखने का हर्जाना लेकर हड़ताल समाप्त किया. खबर लिखे जाने तक रात साढ़े आठ बजे पुलिस की उपस्थिति में यूनियन और व्यवसायियों की बैठक नियामतपुर फांड़ी में चल रही थी. गौरतलब है कि नियामतपुर होलसेल मंडी में एक छोटा सा मुद्दा इतना बड़ा बन गया कि जिससे लाखों रुपये का नुकसान प्रतिदिन होने लगा. नियामतपुर इलाके का पूरा होलसेल व्यवसाय प्रभावित हो गया. ट्रकों से सामान उतारने और चढ़ाने के लिए एक भी श्रमिक नहीं होने से पूरा धंधा ठप हो गया. इसे लेकर व्यवसायी वर्ग और मोटिया मजदूर यूनियन के बीच ठन गयी. दोनों ही अपनी समस्या के समाधान को लेकर तीसरे पक्ष के पास पहुंचे. यूनियन की ओर से डीएलसी और पुलिस को चिट्ठी दी गयी. व्यवसायी वर्ग तृणमूल की शरण में गया. आखिरकार मामला सुलझ गया. नियामतपुर मर्चेंट चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सचिव श्री भालोदिया ने बताया कि स्थानीय शिवा ट्रेडर्स के वहां ट्रक पर चार मजदूर सामान लोड कर रहे थे. इसी दौरान 10 बोरा लोड करने को लेकर मजदूरों के साथ व्यवसायी संदीप डोकानिया की थोड़ी बहस हुई. इसपर मजदूर काम छोड़कर चले गये. उन्होंमे दूसरे मजदूरों को बुलाया तो पहले वाले मजदूरों में से एक ने आकर अन्य मजदूरों को वहां कार्य करने से रोक दिया. इसी को लेकर विवाद काफी बढ़ गया. मजदूरों की कोई समस्या थी तो वे अपनी यूनियन को बता सकते थे. यूनियन के नेता आकर कुछ करते तो फिर बात आगे बढ़ती. श्रमिकों की इस हरकत को देखते हुए व्यवसायियों के ग्रुप में चार मजदूरों, कैलाश घोष, दिलीप घोष, सजल धीबर, कृष्ण कुमार को फिलहाल कहीं काम नहीं देने का मैसेज दिया गया. जिसके बाद ही बिना कोई बातचीत किये यूनियन की ओर से हड़ताल की घोषणा कर दी गयी. जिससे लाखों रुपये का नुकसान हुआ. यूनियन के सचिव श्री यादव ने कहा कि चार मजदूर श्री डोकानिया के वहां माल लोड कर रहे थे, उन्होंने मजदूरों को निजी काम करने के लिए कहा, जिसका मजदूरों ने विरोध किया तो पैसा भी नहीं दिया और काम से हटा दिया. बिना यूनियन से बात किये चार श्रमिकों को कहीं भी काम नहीं देने का मैसेज देखने के बाद ही यूनियन ने हड़ताल का निर्णय लिया. बुधवार सुबह सशर्त हड़ताल खत्म हई.
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