गार्डेनरीच : रिपोर्ट जारी होने में लग सकते हैं और 10 दिन
साथ ही मामले की जांच के लिए जादवपुर यूनिवर्सिटी (जेयू) को जिम्मा सौंपा गया है.
– अगले सप्ताह स्वायल टेस्टिंग
कोलकाता. गार्डेनरीच के 15 नंबर बोरो के 134 नंबर वार्ड स्थित निर्माणाधीन इमारत के गिरने के सटीक कारणों को जानने के लिए कोलकाता नगर निगम द्वारा सात सदस्यीय कमेटी गठित की गयी है. साथ ही मामले की जांच के लिए जादवपुर यूनिवर्सिटी (जेयू) को जिम्मा सौंपा गया है. जांच रिपोर्ट सात दिनों में निगम आयुक्त धवल जैन को सौंपने को कहा गया है. गौरतलब है कि गत शनिवार को जांच कमेटी गठित की गयी थी. पर कमेटी ने अब तक निगम को रिपोर्ट नहीं सौंपी है.इस संबंध में निगम के एक आला अधिकारी ने बताया कि प्राथमिक जांच हो चुकी है. अब सोमवार या मंगलवार को जेयू के विशेषज्ञ घटनास्थल पर जाकर मिट्टी का जांच करेंगे. वहीं, इस जांच रिपोर्ट आने में 20-21 दिन लग सकते हैं.
इमारत की नींव थी कमजोर :
निगम के अधिकारी ने बताया कि प्राथमिक जांच में पता चला है कि निर्माणाधीन इमारत की नींव ही कमजोर थी. नींव खड़ी करने के लिए पर्याप्त खुदाई भी नहीं की गयी थी. अब स्वायल टेस्टिंग के बाद ही पता चलेगा की नींव बालू पर खड़ी थी या पानी पर. अधिकारी ने बताया कि साढ़े तीन कट्ठा जमीन पर तीन मंजिली इमारत बनायी जा सकती है. पर कमजोर नींव और निर्माण सामग्री की गुणवत्ता खराब होने के कारण बिल्डिंग गिरी है. अधिकारी ने बताया कि निर्माण सामग्री की जांच के लिए पहले ही जादवपुर यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने नमूना संग्रह कर लिया है. प्रति वर्ग फीट 1600 रुपये के हिसाब से बेचे गये थे फ्लैट :निगम के सूत्रों के अनुसार गिरफ्तार प्रमोटर जांच में मदद नहीं कर रहा है. निगम व कोलकाता पुलिस उससे यह जनाने की कोशिश कर रहे हैं कि निर्माणाधीन इमारत में कितने फ्लैट तैयार किये जाने की योजना थी. स्थानीय लोगों ने जांच कमेटी को बताया कि 1600 रुपया प्रति वर्ग फीट की दर से कुछ फ्लैट बेचे गये थे. पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि फ्लैट किन-किन लोगों ने खरीदे थे. उधर, सूत्रों के मुताबिक गिरे मकान का कोई प्राइवेट प्लानर था या नहीं, इसके बारे में निगम पहले ही पूछ चुका है. उस स्थिति में यह भी स्पष्ट हो जायेगा कि क्या घर सड़क से पांच फीट दूर बनाया गया है या नहीं. खबर है कि पुलिस उसके आधार पर कार्रवाई करेगी. अगले सप्ताह नगर निगम के इंजीनियर साइट पर जाकर मिट्टी परीक्षण करेंगे. फिर भी गड़बड़ी हुई, तो कार्रवाई की जायेगी.