WB News : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस (CV Anand Bose) व राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है. राज्यपाल व शिक्षा मंत्री के बीच एक जुबानी जंग चल रही थी. इसी बीच, राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस ने ब्रात्य बसु को शिक्षा मंत्री के पद से हटाने की सिफारिश की. हालांकि, राज्यपाल के इस कदम को शिक्षा मंत्री ने ‘हास्यकर’ करार देते हुए कटाक्ष किया. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा कि शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने हाल में गौड़ बंग विश्वविद्यालय में राजनेताओं के साथ बैठक करके चुनाव आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का ‘जानबूझकर’ उल्लंघन किया है.
आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए ब्रात्य बसु को कैबिनेट से हटाने का निर्देश
राजभवन के एक अधिकारी ने कहा कि राज्यपाल ने राज्य सरकार से कहा कि वह आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए ब्रात्य बसु को कैबिनेट से हटाये. राज्य के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति डॉ बोस ने कहा कि संस्थान के परिसर में बैठक आयोजित करने के ब्रात्य बसु के ‘कृत्य ने विश्वविद्यालय प्रणाली को बदनाम’ किया है. अधिकारी ने समाचार एजेंसी से कहा, ‘30 मार्च को मालदा में स्थित गौड़ बंग विश्वविद्यालय में ब्रात्य बसु के नेतृत्व और अन्य मंत्रियों, सांसदों, विधायकों व राजनीतिक नेताओं की उपस्थिति में हुई बैठक के आलोक में, कुलाधिपति ने राज्य सरकार को जानबूझकर आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए उनके ( ब्रात्य बसु) खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है, जिसमें उन्हें कैबिनेट से हटाना भी शामिल है.
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शिक्षा मंत्री ने राज्यपाल के कदम को हास्यपद बताया
वहीं, राज्यपाल की सिफारिश पर कटाक्ष करते हुए शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने एक बार सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट कर कहा है कि मैं देश के राष्ट्रपति के पास अगर राज्यपाल को हटाने की सिफारिश करता तो यह जितना हास्यकर होता, उतना ही हास्यकर राज्यपाल का यह कदम भी है. अगर मैंने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है तो राजनीतिक पार्टियां इसे लेकर चुनाव आयोग के पास शिकायत करतीं. लेकिन राज्यपाल इस प्रकार का आरोप लगाते हुए जो कदम उठाया है, वह संवैधानिक पद का दुरुपयोग है. उन्होंने अपना राजनीतिक परिचय भी उजागर कर दिया है. साथ ही शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत के संविधान के अनुसार राज्य के मंत्री को हटाने या नियुक्त करने की सिफारिश सिर्फ मुख्यमंत्री ही कर सकती हैं. राज्यपाल ने सिर्फ अपना असली रंग ही नहीं दिखाया, बल्कि संवैधानिक सीमा का भी उल्लंघन किया है.