OMG! कभी देखी है इतनी बड़ी जलेबी? इस गांव में होती है प्रतियोगिता, विदेशों तक पहुंची खुशबू
बांकुड़ा का एक गांव है केंजाकुड़ा, जो तांबा, पीतल व बुनकरों के गांव के रूप में जाना जाता है.इस समय जलेबी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनती है. यहां बड़ी जलेबी बनाने की मैत्रीपूर्ण प्रतियोगिता भी होती है.
बांकुड़ा का एक गांव है केंजाकुड़ा, जो तांबा, पीतल व बुनकरों के गांव के रूप में जाना जाता है. इस गांव में विश्वकर्मा पूजा व भादू पूजा पर बड़े आकार की जलेबी बनाने की परंपरा है, जो आज भी जारी है. इस समय जलेबी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनती है. यहां बड़ी जलेबी बनाने की मैत्रीपूर्ण प्रतियोगिता भी होती है. किस दुकानदार ने सबसे बड़ी जलेबी बनायी, किसने खरीदी, इसकी खूब चर्चा होती है.
विदेशों तक फैली है इस जलेबी की खूशबू
विश्वकर्मा पूजा पर जलेबी को देखने व खाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है. बता दें कि केवल राज्य में नहीं, इस जलेबी की खूशबू विदेशों तक फैली है. इस समय गांव की हर गली में दुकानदार जलेबी बनाने में व्यस्त हैं. यूं कहें कि यह गांव अब जलेबी गांव के रूप में प्रसिद्ध हो गया है.यहां के दुकानदारों ने बताया कि उनकी बनायी जलेबी विदेशों में भी भेजी जा रही है. वहां भी लोग इसे खूब पसंद कर रहे हैं.
बड़ी जलेबी देखने के लिए लगती है होड़
द्वारकेश्वर नदी के तट पर बसे इस गांव ने मिट्टी के बर्तन, बुनकर, कुटीर उद्योग के रूप में भी अपनी अलग पहचान बनायी है. गांव के लोग बताते हैं कि जलेबी खरीद कर रिश्तेदारों व परिचितों के यहां भेजने का प्रचलन है. हर वर्ष भाद्र महीने की 27 तारीख से अश्विन महीने की पांच तारीख तक यहां जलेबी का मेला लगता है. विश्वकर्मा पूजा के दिन तो लाइन लगा कर लोग जलेबी खरीदते हैं. सबसे बड़ी जलेबी कौन बना रहा है, यह देखने की होड़ लगी रहती है.
दुकानदारों ने जीआइ मान्यता देने की उठायी मांग
जलेबी को जीआइ मान्यता देने के लिए यहां लोग लंबे समय से मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि जीआइ मान्यता मिलने से इसकी मांग और बढ़ेगी.दुनिया के लोग इससे जान सकेंगे.यह प्रथाा यहां बहुत पुरानी है. लोग कई वर्षों से इस कार्य में लगे हुए है. हर उत्सव के दौरान यहां जलेबी बनाने की खास प्रथा चली आ रही है.
रिपोर्ट : प्रणव बैरागी