चुनाव बाद हिंसा की घटनाओं पर हाइकोर्ट ने जतायी चिंता
हाइकोर्ट ने गुरुवार को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से राज्य में कथित तौर पर जारी हिंसा रोकने के लिए बंगाल सरकार को कड़ा कदम उठाने के निर्देश दिये.
संवाददाता, कोलकाता
हाइकोर्ट ने गुरुवार को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से राज्य में कथित तौर पर जारी हिंसा रोकने के लिए बंगाल सरकार को कड़ा कदम उठाने के निर्देश दिये. न्यायाधीश कौशिक चंद व न्यायाधीश अपूर्व सिन्हा की खंडपीठ ने कहा कि जरूरत पड़ने पर केंद्रीय बलों को साथ लेकर पुलिस हालात पर काबू पाये. खंडपीठ ने यह भी कहा कि यदि कोई हिंसा का शिकार होता है तो राज्य के पुलिस महानिदेशक को ई-मेल कर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है. यदि यह सही पाया जाता है तो डीजीपी स्थानीय थाने को इसकी सूचना देकर प्राथमिकी (एफआइआर) दर्ज कराने का निर्देश देंगे.
इसके बाद पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी होगी. हाइकोर्ट ने चुनाव नतीजे आने के बाद हिंसा की कितनी शिकायतें मिली हैं, कितनी प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं व पुलिस ने क्या कदम उठाया है, इसकी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है. जो भी एफआइआर दर्ज हो रही है, उसे पुलिस को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना होगा. पीठ ने कहा कि राज्य के सभी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी. अदालत ने कहा कि समाचार पत्रों में लगातार इस तरह की खबरें आ रही हैं. इसे तुरंत रोकना होगा. दूसरी ओर, राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि राज्य में आज तक चुनाव आचार संहिता लागू है. हिंसा की जो बात कही जा रही है, वह चुनाव को केंद्र कर नहीं भी हो सकती है. इस पर न्यायाधीश ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह का दृश्य राज्य में देखने को मिला था, इस बार भी वही देखने को मिल रहा है. राज्य सरकार को शर्म आनी चाहिए. क्या सरकार इससे इनकार कर सकती है कि चुनाव नतीजे आने के बाद हिंसा नहीं हो रही है. बंगाल को छोड़ कर ऐसी शिकायत कहीं और से आ रही है क्या. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार यदि इस पर काबू नहीं पा सकती है तो अदालत को बताये, पांच साल के लिए केंद्रीय बल यहां तैनात करने का निर्देश देंगे. इस तरह की घटना को हर हाल में रोकना होगा. याचिकाकर्ता ने अदालत में दावा किया कि जब से चुनाव शुरू हुआ, अब तक कम से कम 11 लोगों की जान चली गयी है. इस पर न्यायाधीश ने कहा कि हम कैसे कहें कि उनकी हत्या हुई है. इसे किस तरह से रोका जा सकता है, इस पर अपनी राय दें. उन्होंने कहा कि हिंसा के शिकार लोग एफआइआर दर्ज करा सकें, यह सुनिश्चित करना होगा. राज्य सरकार के वकील ने कहा कि सभी थाने, पुलिस अधीक्षक, आइजी व डीजीपी का अपना ई-मेल आइडी है. यदि कोई थाने में जाकर शिकायत दर्ज कराने से डर रहे हैं तो वह इन अधिकारियों के ई-मेल पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इसके बाद ही अदालत ने ई-मेल से शिकायत दर्ज कराने का निर्देश दिया. 10 मिनट के बाद डीजीपी का ई-मेल एड्रेस हाइकोर्ट को उपलब्ध करा दिया गया.
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