Calcutta High Court : संदेशखाली में नये आरोपों की तत्काल सुनवाई से हाईकोर्ट ने किया इंकार

Calcutta High Court : मुख्य न्यायाधीश ने कहा, मैडम, "हम जांच एजेंसी नहीं हैं. मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है, इसलिए कृपया जाएं और अपनी समस्याएं हमें नहीं बल्कि सीबीआई को बताएं, क्षमा करें.

By Shinki Singh | May 16, 2024 5:17 PM

Calcutta High Court : कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी नेता और अधिवक्ता प्रियंका टिबरेवाल को तत्काल सुनवाई की अनुमति देने से इनकार कर दिया, जिन्होंने दावा किया था कि संदेशखाली (Sandeshkhali) में महिलाओं को तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ दायर दुष्कर्म के मामलों को वापस लेने के लिए मजबूर किया जा रहा था.

अदालत की बजाय सीबीआई को उपलब्ध करायें जानकारी

गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ ने प्रियंका टिबरेवाल को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से संपर्क करने को कहा, जो मामले में आरोपों की जांच कर रही है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, मैडम, “हम जांच एजेंसी नहीं हैं. मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है, इसलिए कृपया जाएं और अपनी समस्याएं हमें नहीं बल्कि सीबीआई को बताएं, क्षमा करें.

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प्रियंका टिबेरवाल ने मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ से तत्काल सुनवाई का किया था आवेदन

प्रियंका टिबरेवाल ने पीठ के समक्ष संदेशखाली मामले का उल्लेख करते हुए मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की. उन्होंने कहा, “महिलाएं रात में अपने घरों में नहीं सो रही हैं. वे खेतों में छिप रही हैं. वे डरी हुई हैं. पुलिसकर्मी रात के समय उनके घरों में प्रवेश करते हैं और उन पर मामले वापस लेने के लिए दबाव डालते हैं. बुधवार रात को ही एक दुष्कर्म पीड़िता के हाथ बांधकर उसे तालाब में फेंक दिया गया था.’इस दलील का राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने विरोध किया. उन्होंने कहा कि जब भी वह क्षेत्र का दौरा करती हैं तो प्रियंका टिबरेवाल द्वारा क्षेत्र में समस्याएं पैदा की जाती हैं.

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क्या है मामला

इस मामले में यह आरोप शामिल है कि संदेशखाली में निवासियों की जमीनें तृणमूल के कद्दावर नेता शेख शाहजहां ने जबरदस्ती हड़प लीं, जिन्हें इस साल की शुरुआत में पार्टी ने निलंबित कर दिया था. शेख और उसके सहयोगियों पर गांव में महिलाओं के यौन उत्पीड़न का भी आरोप लगाया गया था. लगभग 55 दिनों तक भागने के बाद अंततः उसे पश्चिम बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया था. 10 अप्रैल को पारित एक आदेश में, उच्च न्यायालय ने मामले की जांच सीबीआइ को स्थानांतरित कर दी थी और तब से मामले की जांच सीबीआइ कर रही है.

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