WB News : पश्चिम बंगाल में एसएससी नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले (SSC Appointment Corruption Case) में सोमवार को हाईकोर्ट ने करीब 26 हजार नौकरियों को रद्द कर दिया, लेकिन एक अभ्यर्थी के नौकरी को बहाल रखा है. कोर्ट ने कैंसर से पीड़ित सोमा दास की नौकरी रद्द नहीं करने का फैसला सुनाया है. न्यायाधीश देवांशु बसाक और न्यायाधीश मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि वह कैंसर से पीड़ित है, इसलिए उनकी नौकरी मानवीय आधार पर बरकरार रखी जायेगी. गौरतलब है कि कैंसर से पीड़ित सोमा दास को पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय के निर्देश पर नौकरी मिली थी. कोर्ट के इस फैसले पर पीड़िता ने आभार व्यक्त किया है.
2019 में कई महीनों तक भूख हड़ताल पर रही थी सोमा दास
बीरभूम की सोमा दास को कुछ साल पहले शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के आदेश पर सेवा में शामिल होने का अनुशंसा पत्र मिला था. स्कूल सर्विस कमीशन ने कलकत्ता हाई कोर्ट की याचिका स्वीकार कर ब्लड कैंसर से पीड़ित सोमा दास को नौकरी का अनुशंसा पत्र दिया था. उसके बाद वह बंगाली शिक्षक के रूप में मधुरा हाई स्कूल, नलहटी ब्लॉक नंबर 1, बीरभूम में पढ़ाने लगी थी. लेकिन सोमा के लिए यह नौकरी पाने की राह बहुत आसान नहीं थी. बीरभूम के नलहटी की रहने वाली सोमा दास उन नौकरी चाहने वालों में से एक थीं, जिन्होंने 2019 में कोलकाता प्रेस क्लब के सामने कई महीनों तक भूख हड़ताल की थी. एसएससी आंदोलन के दौरान उनका कैंसर का इलाज चल रहा था.
भाजपा सांसद लाॅकेट चटर्जी
भाजपा सांसद लाॅकेट चटर्जी का कहना है कि जिन लोगों से पैसे लिए गए, उनका नुकसान हो गया. जो लोग नौकरी के लिए सड़क पर बैठे हैं, उन्हें नौकरी नहीं मिली और जिनकी नौकरी चली गई, उनका क्या होगा? बीच में सरकार ने पैसे उठा लिए. सभी के साथ धोखा हुआ. हमने चाहा कि सच की जीत हो. तृणमूल के लोग पूरी तरह से इसमें शामिल हैं. अयन, कुंतल, शांतनु सभी भर्ती घोटाले में शामिल हैं. जिनकी नौकरी चली गई, अगर वे बोलें, तो पता चलेगा कि पैसे किसके पास गए. पहले उन लोगों का पैसा वापस करना चाहिए. कोई नियमों का पालन नहीं कर रहा है. बंगाल को अलग देश मान लिया है. यह सब सिर्फ पैसे जुटाने के लिए किया गया है.
तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी
अभिजीत गांगुली को चुनौती देते हुए श्रीरामपुर के तृणमूल उम्मीदवार और वकील कल्याण बंद्योपाध्याय ने कहा, “अभिजीत गांगुली ने मेरे खिलाफ कुछ कहा है, मैंने सुना है. वह एक अशिक्षित वकील थे. वह हाईकोर्ट के वकील कैसे बन गए, यह अब कई वकीलों के लिए सवाल है. जब वह जज थे, तब कोई भी उनका फैसला रिपोर्टेड नहीं हुआ. एक वकील के रूप में उन्होंने कोई अच्छा मामला नहीं लड़ा, जिसे रिपोर्ट किया गया हो. जब वह हाईकोर्ट के जज थे, तब वह बीजेपी के साथ मिलकर बीजेपी में चले गए. वह साजिश कर रहे थे कि कैसे नौकरी छीनी जा सकती है. अगर वह सुप्रीम कोर्ट में वकील के रूप में मेरे खिलाफ मामला लड़ें, तो देखूं कि वह कितने बड़े वकील हैं.