सीएमआरआइ में दो बच्चों का हुआ किडनी ट्रांसप्लांट
कलकत्ता मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमआरआइ) ने पूर्वी भारत में सबसे कम उम्र के दो बच्चों का किडनी प्रत्यारोपण कर ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. रीनल साइंसेज के विभागाध्यक्ष डॉ प्रदीप चक्रवर्ती (ट्रांसप्लांट सर्जन) के नेतृत्व में गठित टीम ने दोनों बच्चों की सर्जरी की.
कोलकाता.
कलकत्ता मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमआरआइ) ने पूर्वी भारत में सबसे कम उम्र के दो बच्चों का किडनी प्रत्यारोपण कर ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. रीनल साइंसेज के विभागाध्यक्ष डॉ प्रदीप चक्रवर्ती (ट्रांसप्लांट सर्जन) के नेतृत्व में गठित टीम ने दोनों बच्चों की सर्जरी की. इस टीम में डॉ राजीव सिन्हा (पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट), डॉ अमलान चक्रवर्ती (यूरोलॉजिस्ट सर्जन), डॉ सतरूपा मुखर्जी (पीडियाट्रिक इंटेंसिविस्ट), डॉ सुबीर बसु ठाकुर ( एनेस्थीसिया) और डॉ शुभ्रो सील (ट्रांसप्लांट एसोसिएट) भी शामिल थे. बता दें कि छह माह के आदिदेव को डॉ राजीव सिन्हा के पास आपातकालीन स्थिति में लाया गया था. मेडिकल जांच में शिशु किडनी की बीमारी से पीड़ित पाया गया. प्रत्यारोपण ही एकमात्र उपाय था. पर दो साल तक दवा के जरिए इलाज हुआ. दो साल बाद बच्चे को प्रत्यारोपण के लिए सीएमआरआइ लाया गया. उसकी मां ने किडनी डोनेट की. फरवरी में बच्चे का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ. यह काफी जोखिम भरा था. डॉ प्रदीप चक्रवर्ती ने बताया कि बच्चे में वयस्क की किडनी प्रत्यारोपित करना चुनौतियों से भरा था. वहीं, अस्पताल में सात वर्षीय बच्ची का भी किडनी प्रत्यारोपण किया गया है. पबित्रा कर नामक बच्ची को मूत्र की समस्या एवं भूख की कमी की शिकायत पर डॉ राजीव सिन्हा के पास लाया गया था. जांच में पता चला का उसकी किडनी खराब हो चुकी है. डॉ प्रदीप चक्रवर्ती ने कहा 2023 में ही बच्ची के घरवालों ने गुर्दे का प्रत्यारोपण कराने का फैसला कर लिया था. पर इस साल फरवरी में किडनी ट्रांसप्लांट की गयी है.उन्होंने दावा किया कि यह पूर्वी भारत में सबसे सफल बाल किडनी प्रत्यारोपण है. बच्ची को उसकी दादी ने अपनी किडनी दान की है. डॉक्टरों ने बताया कि दोनों ही बच्चे अब स्वस्थ हैं.
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