ममता बनर्जी के लिए कितना मुश्किल होने वाला है जंगलमहल? सिंगूर और नंदीग्राम पर लौटा TMC का फोकस
ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने भवानीपुर (Bhabanipur) की अपनी सीट छोड़कर नंदीग्राम विधानसभा (Nandigram Assembly) सीट से इस बार चुनाव लड़ना तय किया. जंगलमहल (Jungle Mahal) के उनके सेनानायक रहे शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थामा, तभी से इस बात की चर्चा शुरू हो गयी कि शुभेंदु की कमी की भरपाई तृणमूल कांग्रेस (TMC) कैसे करेगी.
कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के लिए पूरा जोर लगा रही हैं. कोलकाता के भवानीपुर से पूर्वी मेदिनीपुर के नंदीग्राम पहुंच गयीं हैं. यहीं से इस बार चुनाव लड़ेंगी. दरअसल, जंगलमहल में ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. पार्टी को संभालने वाला कोई बड़ा नेता क्षेत्र में नहीं है.
यही वजह है कि ममता बनर्जी ने भवानीपुर की अपनी सीट छोड़कर नंदीग्राम विधानसभा सीट से इस बार चुनाव लड़ना तय किया. जंगलमहल के उनके सेनानायक रहे शुभेंदु अधिकारी ने जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थामा, तभी से इस बात की चर्चा शुरू हो गयी कि शुभेंदु की कमी की भरपाई तृणमूल कांग्रेस कैसे करेगी.
ये और बात है कि तृणमूल ने हमेशा इस बात से इनकार किया कि शुभेंदु का जाना पार्टी के लिए कोई झटका है. लेकिन, यह भी सच है कि कभी किसी ने सोचा नहीं होगा कि ममता खुद नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी. मंगलवार (9 मार्च) को नंदीग्राम में ममता बनर्जी ने कार्यकर्ता सम्मेलन किया और पार्टी छोड़ने वालों पर जमकर बरसीं.
हालांकि, किसी का नाम उन्होंने नहीं लिया, लेकिन इशारों-इशारों में अधिकारी ब्रदर्स को खूब खरी-खोटी सुनायी. ममता बनर्जी ने याद दिलाया कि कैसे उन्होंने सिंगूर और नंदीग्राम के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी. राज्यपाल ने फोन करके उनसे कहा था कि वे नंदीग्राम न जायें. पेट्रोल बम से उन्हें उड़ा देने की योजना बनायी गयी है.
नंदीग्राम को मैंने दुनिया तक पहुंचाया – ममता बनर्जी
ममता ने कहा कि जब कोई नंदीग्राम की जनता के साथ नहीं था, तब वह खड़ी हुईं थीं. प्रधानमंत्री से राष्ट्रपति तक गुहार लगायी थी. देश के कोने-कोने में जाकर लोगों को बताया था कि नंदीग्राम की जनता पर किस तरह से अत्याचार हो रहे हैं. तृणमूल सुप्रीमो ने नंदीग्राम की जनता से कहा कि यहां से उनका भावनात्मक लगाव है. वह सब कुछ भूल सकती हैं, लेकिन नंदीग्राम को कभी नहीं भूल सकतीं.
ममता ने कहा कि यदि उन्होंने सिंगूर में आंदोलन शुरू नहीं किया होता, तो नंदीग्राम में विद्रोह करने का साहस कोई नहीं जुटा पाता. तृणमूल सुप्रीमो ने लोगों को उस दौर की याद दिलायी, जब सत्ताधारी दल की शह पर गुंडे गोली-बम से हमले करते थे. उनको (ममता को) खत्म करने की कई कोशिशें हुईं. लेकिन, उन्होंने कभी नंदीग्राम के लोगों का साथ नहीं छोड़ा.
ममता ने परोक्ष रूप से अधिकारी ब्रदर्स पर हमला करते हुए कहा कि जिन लोगों को आंदोलन में होना चाहिए था, वे लोग डरकर घरों में दुबक गये थे. आज बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं. तृणमूल सुप्रीमो नंदीग्राम में विकास की गंगा बहाने की बात कर रही हैं. आधारभूत ढांचा से लेकर विश्वविद्यालय तक खोलने का वादा किया है.
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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दावा है कि बंगाल की जनता उनके साथ है, लेकिन यह भी सच है कि सिंगूर और नंदीग्राम के आंदोलन में जो लोग ममता बनर्जी के साथ थे, आज उनसे दूर हो चुके हैं. सिंगूर के मास्टर मोशाई हों या नंदीग्राम के शुभेंदु अधिकारी. कोई तृणमूल में नहीं है. लेकिन, तृणमूल का पूरा फोकस सिंगूर और नंदीग्राम पर आ गया है.
मेदिनीपुर की धरती से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लोगों को यह बताने की कोशिश कर रही हैं कि आज जो लोग आंदोलन के नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं, वे डरकर घरों में छिप गये थे. आम लोगों के सहयोग से उन्होंने (ममता ने) लड़ाई लड़ी थी और तब की वाम मोर्चा सरकार को उखाड़ फेंका था.
Posted By : Mithilesh Jha