आसनसोल/रूपनारायणपुर.
चिरेका प्रबंधन की ओर से तीन इलाकों कुर्मीपाड़ा, नामोकेशिया कालीमंदिर और रामकृष्ण पाठचक्र में अपने सीमा पर बने पॉकेट गेटों को बंद करने के निर्णय के खिलाफ वोट बायकॉट करने का निर्णय लिया है. नामोकेशिया कालीमंदिर के लोगों ने इस मुद्दे को लेकर सोमवार को बैठक की, जिसमें तय हुआ कि पॉकेट गेट के बंद होने से इलाके के हजारों लोगों को जो समस्या होगी, उससे जिलाधिकारी (डीएम) को ज्ञापन के जरिये अवगत करा कर हस्तक्षेप की अपील की जायेगी. ज्ञापन में यह भी लिखा गया है कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे लोग वोट का बायकॉट करेंगे. सालानपुर थाना क्षेत्र के इस इलाके में बूथ नंबर 107 और 108 नामोकेशिया फ्री प्राइमरी स्कूल में अवस्थित हैं. कुल 1675 वोटर हैं. ज्ञापन को लेकर इलाके के लोग सड़कों पर उतर कर लोगों का हस्ताक्षर संग्रह कर रहे हैं, जिसे जिलाधिकारी को सौंपा जायेगा. चिरेका प्रबंधन ने अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सोमवार को मिहीजाम (झारखंड) से सटे अपने बॉर्डर कुर्मीपाड़ा में बने एक पॉकेट गेट को विकेट गेट लगा कर बंद कर दिया. अब सिर्फ पैदल यात्री ही यहां से प्रवेश कर पायेंगे. 17 अप्रैल को नामोकेशिया कालीमंदिर और 19 अप्रैल को रामकृष्ण पाठचक्र के पास बने पॉकेट गेट को बंद करने का आदेश जारी हुआ है. इससे पहले स्थानीय लोगों ने इसके खिलाफ मुहिम छेड़ दी है. गौरतलब है कि रेल नगरी चित्तरंजन में प्रवेश करने के तीन मुख्यमार्ग एक नंबर गेट, दो नंबर गेट और तीन नंबर गेट हैं. एक नंबर गेट चित्तरंजन रेलवे स्टेशन के निकट है. दो नंबर गेट मिहिजाम (झारखंड) बॉर्डर पर हिलटॉप के पास है और तीन नंबर गेट आसनसोल चित्तरंजन बस रुट पर एचसीएल रूपनारायणपुर और चित्तरंजन के बॉर्डर पर है. तीनों गेटों पर आरपीएफ की 24सों घंटे तैनाती रहती है. किसी भी चारपहिया वाहन को अंदर जाने के लिए अनुमति लेनी होती है. दो पहिया और तीन पहिया वाहनों को नजरंदाज कर दिया जाता है. इन मुख्य गेटों के अलावा भी उक्त तीन पॉकेट गेट वर्षों से चला आ रहा है. लोअर केशिया पॉकेट गेट पर एक समय आरपीएफ की तैनाती रहती थी. बाद में गेट ऐसे ही खुला रहा. यहां से सिर्फ दो पहिया वाहन गुजरने का प्रावधान था. समय के साथ-साथ चिरेका रेल नगरी के आसपास के गांव और बस्तियों में अवादी काफी तेजी से बढ़ी. रेल नगरी और इसके आसपास के गांवों में रहनेवालों का मुख्य रूप से चित्तरंजन शहर में स्थित बाजार, स्कूल, अस्पताल पर ही निर्भर हैं. इन गांवों में चिरेका के कर्मी और पूर्व कर्मी भी रहते हैं. इन पॉकेट गेटों से हजारों की संख्या पुरुष, महिलाएं, बच्चे, बूढ़े और विशेषकर विद्यार्थियों का आना-जाना होता है. इन पॉकेट गेटों के बंद होने से सबसे ज्यादा प्रभावित नामोकेशिया कालीमंदिर इलाके के लोग होंगे. इस इलाके में रहनेवाले अधिकतर लोगों की जीविका चित्तरंजन बाजार पर ही निर्भर है. उनके बच्चे भी चितरंजन रेलनगरी स्थित स्कूलों में पढ़ते हैं. इनके लिए सबसे नजदीकी अस्पताल भी चित्तरंजन में है. पॉकेट गेट बंद होने से उन्हें करीब छह किलोमीटर घूम कर तीन नंबर गेट से होकर चित्तरंजन शहर में दाखिल होना होगा. सबसे अहम बात यह है कि शाम होने के बाद उन्हें चित्तरंजन आने के लिए काफी खतरा झेलना पड़ेगा. नामोकेशिया से तीन नंबर गेट तक 90 फीसदी हिस्सा सुनसान व अंधेरा है. यहां अनेकों घटनाएं भी हो चुकी हैं. इसलिए सबसे ज्यादा विरोध पिछली बार भी यहीं के लोगों ने किया था.