Loading election data...

Lok Sabha Election 2024 : झाड़ग्राम पर अरसे तक रहा माकपा का किला, अब भाजपा और तृणमूल में है टक्कर

Lok Sabha Election 2024 : झाड़ग्राम लोकसभा क्षेत्र अरसे तक वाम किले के तौर पर जाना जाता रहा है. 1977 के चुनाव से लेकर 2009 के लोकसभा चुनाव तक यहां से माकपा उम्मीदवारों को ही जीत मिलती रही. लेकिन 2014 में तृणमूल कांग्रेस और फिर 2019 में भाजपा ने यह लोकसभा सीट जीत ली. वर्तमान में यहां मूल रूप से भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच टक्कर होने की संभावना जतायी जा रही है.

By Shinki Singh | April 13, 2024 5:04 PM
an image

Lok Sabha Election 2024 : पश्चिम बंगाल का झाड़ग्राम लोकसभा क्षेत्र वाममोर्चा के किले के तौर पर जाना जाता रहा है. लेकिन राज्य भर में माकपा की बदहाल स्थिति का नजारा यहां भी देखने को मिला है. वर्तमान में यहां से भाजपा के सांसद हैं. लेकिन तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) द्वारा कड़ी टक्कर दिये जाने की संभावना जतायी जा रही है. 1962 में पहली बार यहां चुनाव हुए. कांग्रेस के सुबोध चंद्र हांसदा यहां से विजयी हुए. इसके बाद 1967 में बांग्ला कांग्रेस के अमीय कुमार किस्कु को जीत मिली. हालांकि अगले ही चुनाव यानी 1971 में अमीय कुमार किस्कु कांग्रेस के टिकट पर लड़े और जीते. लेकिन इसके बाद से यह लोकसभा क्षेत्र माकपा का गढ़ बन गया. 1977 के चुनाव में जीतकर माकपा के जदुनाथ किस्कु यहां से सांसद बने. 1980 में माकपा के मनीलाल हांसदा ने चुनाव लड़ा. जीत की हैट्रिक लगाते हुए उन्होंमने 1984 और 1989 में भी चुनाव जीत लिया.

माकपा का किला वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में ढहा

फिर बारी आई रूपचांद मुर्मू की. उन्होंने माकपा के टिकट पर 1991, 1996, 1999 और 2004 का चुनाव जीता. 2009 में माकपा उम्मीदवार डॉ पुलिन बिहारी बास्के ने भी चुनाव जीता. माकपा का किला वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव मे ढहा. जब कांग्रेस की डॉ उमा सोरेन ने डॉ पुलिन बिहारी बास्के को हराकर चुनाव जीत लिया. डॉ उमा सोरेन को कुल वोटों का 54.60 फीसदी मिला. 6.74 लाख वोटों के साथ उन्होंने दूसरे स्थान पर रहे डॉ बास्के को हरा दिया. डॉ बास्के को 3.26 लाख वोट मिले थे. लेकिन 2019 में राजनीतिक समीकरण फिर बदला. भाजपा उम्मीदवार कुनार हेमब्रम ने चुनाव जीत लिया. 6.26 लाख वोटों के साथ उन्होंने 6.14 लाख वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं बीरबाहा सोरेन को हरा दिया. जीत का अंतर करीब 12 हजार वोटों का ही था.

Mamata Banerjee : ममता बनर्जी ने कहा, बंगाल में भाजपा के खिलाफ असली लड़ाई लड़ रही है तृणमूल

भाजपा की स्थिति लगातार हुई मजबूत
पारंपरिक तौर पर झाड़ग्राम में भाजपा कभी मजबूत स्थिति में नहीं रही. 2009 के लोकसभा चुनाव को देखें तो भाजपा उम्मीदवार नबेंदु महाली को केवल 45 हजार वोट ही मिले थे. कुल वोटों का उन्हें महज 4.70 फीसदी ही मिला था. 2014 के चुनाव में भाजपा की स्थिति थोड़ी बेहतर हुई. उसके उम्मीदवार विकास मूदी को 1.22 लाख वोट मिले. इस बार कुल वोटों का 9.74 फीसदी भाजपा को मिला था. लेकिन 2019 के चुनाव में भाजपा के वोटों में भारी बढ़ोतरी हुई. कुल वोटों का उसे 44.56 फीसदी मिल गया. प्राप्त वोट 6.26 लाख थे. इस बार भाजपा की ओर से डॉ प्रणत टुडू को टिकट दिया गया है. जबकि तृणमूल ने कालीपद सोरेन को अपना उम्मीदवार बनाया है. माकपा की ओर से सोनामनी मुर्मू को टिकट दिया गया है.

पश्चिम बंगाल : पहले चरण के मतदान से पहले एक ही दिन उत्तर बंगाल में पीएम मोदी व ममता बनर्जी की सभा

कुड़मी फैक्टर से बदल सकता है वोटों का गणित


इस बार के लोकसभा चुनाव में झाड़ग्राम सीट से कुड़मी समाज भी अपना उम्मीदवार उतार रहा है. अपनी मांगों को संसद में उठाने के लिए उन्होंने यह तरीका अपनाया है. उनके चुनावी मैदान में उतरने से राजनीतिक समीकरण बदल जाने की संभावना जतायी जा रही है. गौरतलब है कि लंबे समय से एसटी उपजाति में शामिल कराने की मांग पर कुड़मी आंदोलन चल रहा है. राज्य या केंद्र सरकार, दोनों ने ही उनकी मांगों को पूरा नहीं किया है. अब सीधे राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने का उन्होंने फैसला किया है. लोकसभा चुनाव में उनका नारा है, ‘हमारा वोट हमारा ही रहे’. पंचायत चुनाव के बाद इसी नारे को सामने रखकर वह मैदान में उतर रहे हैं. झाड़ग्राम, पुरुलिया, बांकुड़ा व पश्चिम मेदिनीपुर में कुड़मी समाज के अधिकांश लोग रहते हैं. झाड़ग्राम लोकसभा क्षेत्र में उनकी तादाद करीब 24-26 फीसदी है. बांदवान विधानसभा क्षेत्र में कुड़मी वोटरों की संख्या 40 फीसदी से अधिक बतायी जाती है. जबकि गड़बेता में उनकी तादाद पांच फीसदी से कम है.

झाड़ग्राम के चुनावी समीकरण में बदलाव

झाड़ग्राम एसटी आरक्षित सीट से दो सामाजिक संगठनों ने पृथक तौर पर कुड़मी उम्मीदवार उतारे हैं. आदिवासी नागाचारी कुड़मी समाज ने वरुण महतो को उम्मीदवार बनाया है. वह नदिया जिले के रहने वाले हैं और उनके पास एसटी सर्टिफिकेट है. जबकि अजित प्रसाद महतो के नेतृत्व वाले आदिवासी कुड़मी समाज ने सूर्य सिंह बेसरा को उम्मीदवार बनाया है. वह झाड़खंड पीपुल्स पार्टी के केंद्रीय कमेटी के अध्यक्ष हैं. वह झारखंड के घाटशिला के पूर्व विधायक भी हैं. अपनी मांगों के समर्थन में कुड़मी समाज की ओर से कभी रेल तो कभी राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध किया गया है. कई बार बंद भी आहूत किया गया है. अजित प्रसाद महतो के नेतृत्व वाले आदिवासी कुड़मी समाज, शिवाजी महतो के नेतृत्व वाले आदिवासी जनजाति कुड़मी समाज, राजेश महतो के नेतृत्व वाले कुड़मी समाज पश्चिमबंग, अनुप महतो के नेतृत्व वाले आदिवासी नागाचारी कुड़मी समाज के समर्थक अपनी मांगों के समर्थन में पृथक तौर पर आज भी आंदोलन चला रहे हैं.

जून महीने में तृणमूल महासचिव अभिषेक बनर्जी ने झाड़ग्राम में किया था कार्यक्रम

लेकिन अपनी मांगों का निपटारा न होने पर अब अपना वोट अपने ही पास रखने का फैसला उन्होंने किया है. इसलिए दो-दो कुड़मी उम्मीदवार चुनाव के मैदान में उतर रहे हैगौरतलब है कि 2023 में पंचायत चुनाव के पहले जून महीने में तृणमूल महासचिव अभिषेक बनर्जी का झाड़ग्राम में कार्यक्रम था. वहां गड़शालबनी इलाके में उनके काफिले पर हमला करने का आरोप कुड़मी समाज के लोगों पर लगा था. मामले में कुड़मी समाज के हेवीवेट नेताओं को गिरफ्तार किया गया था. इसके प्रतिवाद में कुड़मी समाज ने पंचायत चुनाव लड़ने का फैसला किया था. किसी राजनीतिक पार्टी को उन्होंने दीवार लेखन करने नहीं दिया था. पार्टी का झंडा लगाने नहीं दिया था. पंचायत चुनाव में 1387 ग्राम पंचायतों में निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली थी. इनमें से अधिकांश कुड़मी थे. 2018 के पंचायत चुनाव में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन 2023 में उसे महज 131 सीटों पर जीत मिली. इससे समझा जा सकता है कि कुड़मी उम्मीदवारों के खड़े होने से राजनीतिक गणित पलट सकता है.

Lok Sabha Chunav|कोडरमा लोकसभा सीट पर 12 चुनावों में मात्र 5 महिलाओं ने आजमायी है किस्मत

किसी-किसी विधानसभा क्षेत्र में 35 फीसदी कुड़मी


अनुप महतो के मुताबिक वे आंदोलन कर रहे हैं. जंगलमहल तथा छोटानागपुर इलाके में लोकसभा चुनाव में वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए आंदोलन किया जा रहा है. गड़बेता को छोड़कर झाड़ग्राम लोकसभा केंद्र में बाकी इलाके में कुड़मियों की बहुलता है. किसी-किसी विधानसभा क्षेत्र में 35 फीसदी कुड़मी हैं. इन कुड़मी वोटरों के साथ एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक वोटर भी उनके साथ आ जायें तो झाड़ग्राम और जंगलमहल में इतिहास का नया अध्याय लिखा जायेगा.
इधर भाजपा के जिला उपाध्यक्ष देवाशीष कुंडू ने कहा कि पंचायत चुनाव में कुड़मियों ने उम्मीदवार दिया था. लेकिन उस तरह से सीट नहीं मिली. लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार देने पर बड़ा कुछ अंतर नहीं होगा. हालांकि वाम नेतृत्व का मानना है कि कुड़मी उम्मीदवार के खड़े होने से चुनाव पर असर पड़ेगा. झाड़ग्राम के माकपा जिला सचिव प्रदीप कुमार सरकार ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से कुड़मियों का प्रभाव चुनाव पर पड़ रहा है. वे कुड़मी आंदोलन का समर्थन करते हैं. झाड़ग्राम के तृणमूल जिला उपाध्यक्ष प्रसून सड़ंगी का कहना है कि कुड़मी तृणमूल समर्थक हैं. वे ममता बनर्जी के विकास कार्य में विश्वास करते हैं. पिछले पंचायत चुनाव में कुड़मियों के चुनाव लड़ने से इसका फायदा तृणमूल को मिला था.

बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की अपील- दंगा भड़काने वालों के जाल में नहीं फंसना है

हाथियों की समस्या को हथियार बना रही भाजपा

इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से हाथियों की समस्या को प्रमुख मुद्दा बनाया जा रहा है. झाड़ग्राम लोकसभा क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार प्रणत टुडू के प्रचार में यह स्पष्ट हो रहा है. हाथियों की समस्या को रोकने के लिए राज्य सरकार की विफलता का आरोप लगाते हुए उनका कहना है कि सही योजना के अभाव में ही हाथियों की समस्या बढ़ रही है.त जंगल से सटे इलाके के लोगों को आतंक के साये में रहना पड़ रहा है. शहरी इलाकों में भी हाथी प्रवेश कर रहे हैं. इलाके के लोग उन्हें चुनाव में जीत दिलाते हैं तो हाथियों की समस्या को मिटाने के लिए केंद्रीय स्तर पर कदम उठाया जायेगा. हाथियों की समस्या को लेकर भाजपा के प्रचार से सत्ताधारी दल में भी चिंता देखी जा रही है क्योंकि हाथियों को लेकर इलाके में नाराजगी काफी है. झाड़ग्राम जिले में जंगल से सटे इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए हाथियों की समस्या लंबे अरसे से है. यह समस्या गड़बेता और सालबनी में भी देखी जाती है. वन विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2023-24 वित्त वर्ष में हाथियों के हमले में झाड़ग्राम संसदीय क्षेत्र में 37 लोगों की मौत हुई है. इनमें अधिकांश ही झाड़ग्राम जिले के रहने वाले हैं. इसके अलावा हाथियों के हमले में घर व फसल का भी काफी नुकसान हर वर्ष देखने को मिलता है.

तृणमूल उम्मीदवार के प्रचार में भाजपा सांसद

झाड़ग्राम में मौजूदा सांसद भाजपा नेता कुनार हेमब्रम हैं. इस बार उन्हें चुनाव का टिकट नहीं मिला. बताया जा रहा है कि इससे वह नाराज हैं. इस संबंध में गत आठ मार्च को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को उन्होंने पत्र भी दिया था. पार्टी से संबंध तोड़ लेने की उन्होंने बात कही थी. उन्हीं कुनार हेमब्रम को अब झाड़ग्राम लोकसभा क्षेत्र से तृणमूल उम्मीदवार कालीपद सोरेन के प्रचार में देखा गया. लेकिन कालीपद के साथ कुनार हेमब्रम का दूसरा रिश्ता भी है. कुनार की पत्नी के फुफेरे भाई कालीपद हैं. लेकिन अभी तक कुनार ने सांसद पद से इस्तीफा नहीं दिया. उससे पहले वह तृणमूल के प्रचार में कैसे शामिल हो गये, इसे लेकर स्थानीय लोग भी आश्चर्यचकित हैं. प्राप्त जानकारी के मुताबिक कालीपद ने उनसे प्रचार में मदद मांगी थी. इस पर कुनार ने कहा कि वह तृणमूल का झंडा नहीं थामेंगे. अपनी पार्टी छोड़ी है लेकिन किसी और पार्टी में नहीं जायेंगे. इधर कुनार की पत्नी की मौसेरी बहन राज्य की मंत्री बीरबाहा हांसदा हैं. उन्होंने कहा कि साले के प्रचार में जीजा जा ही सकते हैं. उन्होंने तो लिखित तौर पर भाजपा से संबंध तोड़ लिया है.

शत्रुघ्न सिन्हा से बात करने के लिए ममता बनर्जी को करना पड़ा था इंतजार, बिहारी बाबू फोन का नहीं दे रहे थे रिस्पांस, जानें वजह

माओवादी समस्या का गवाह रहा है झाड़ग्राम

लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से झाड़ग्राम में माओवादी समस्या की याद ताजा हो गयी. जामबनी में माओवादी पोस्टर देखा गया. उसमें लिखा था, ‘किशनजी अमर रहे’. गौरतलब है कि रह-रहकर झाड़ग्राम और आसपास के इलाकों में माओवादी पोस्टर आज भी पाये जाते हैं. वे पोस्टर माओवादियों ने लगाये हैं या नहीं इसपर भी निश्चितता नहीं है. गौरतलब है कि 2011 में नवंबर महीने में किशनजी की मौत हुई थी. इतने वर्षों बाद किशनजी के नाम के पोस्टर से चुनाव के पूर्व तनाव भी देखा गया. उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही माओवादी नेता सब्यसाची गोस्वामी उर्फ किशोरदा को गिरफ्तार किया गया था. किशोरदा को बांकुड़ा के सिमलापाल से एसटीएफ ने पकड़ा था. यह पोस्टर उसके ही जवाब में है या नहीं यह देखा जाना बाकी है.

WB News : कल कूचबिहार में नरेन्द्र मोदी और ममता बनर्जी की रैली

झाड़ग्राम में 07 विधानसभा क्षेत्र

  • नयाग्राम तृणमूल दुलाल मुर्मू
  • गोपीवल्लभपुर तृणमूल खगेंद्र नाथ महतो
  • झाड़ग्राम तृणमूल बीरबाहा हांसदा
  • गड़बेता तृणमूल उत्तरा सिंह (हाजरा)
  • सालबनी तृणमूल श्रीकांत महतो
  • बीनपुर तृणमूल देबनाथ हांसदा
  • बांदवान तृणमूल राजीव लोचन सोरेन

मतदाताओं के आंकड़े

  • कुल मतदाता 1777367
  • पुरुष मतदाता 889012
  • महिला मतदाता 888335
  • थर्ड जेंडर 000020
Exit mobile version