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पॉलिथीन मुक्त बने भारत

कोलकाता : लोगों ने अपनी सुविधा के लिए ढेरों चीजें बनायी हैं. कुछ ऐसी चीजें भी हैं जो आगे चलकर पर्यावरण, लोग व जीव-जंतु के लिए जी का जंजाल बन गयीं. पॉलिथीन पर्यावरण के लिए घातक तो है ही, वहां लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी यह नुकसानदेह है. समस्या यह है कि लोग पॉलिथीन […]

कोलकाता : लोगों ने अपनी सुविधा के लिए ढेरों चीजें बनायी हैं. कुछ ऐसी चीजें भी हैं जो आगे चलकर पर्यावरण, लोग व जीव-जंतु के लिए जी का जंजाल बन गयीं. पॉलिथीन पर्यावरण के लिए घातक तो है ही, वहां लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी यह नुकसानदेह है. समस्या यह है कि लोग पॉलिथीन से बने सामानों से होने वाले नुकसान को जानते हुए भी इसका प्रयोग करने से गुरेज नहीं करते हैं. पर्यावरण और मानव समाज के भले के लिए पाॅलिथीन मुक्त देश बनाने की अहम जरूरत है. इसके लिए सरकार को अपनी जिम्मेदारी का पालन तो करना होगा.
साथ ही लोगों को पॉलिथीन का प्रयोग नहीं करने के लिए जागरूक भी होना पड़ेगा. यह बातें ‘प्रभात खबर’ की ओर से आयोजित परिचर्चा में विशिष्ट लोगों ने कहीं.
प्रभात खबर जन संवाद परिचर्चा का विषय ‘पॉलिथीन मुक्त पर्यावरण’ रखा गया था. परिचर्चा का आयोजन महानगर स्थित बड़ाबाजार लाइब्रेरी सभागार में किया गया था. परिचर्चा का संचालन बनवारी शर्मा ने किया. परिचर्चा के दौरान प्रभात खबर कोलकाता संस्करण के प्रसार विभाग के प्रबंधक देवाशीष ठाकुर भी मौजूद रहे. आइये जानते हैं परिचर्चा के दौरान लोगों की कही बातें :महेश शर्मा (राजनेता) : पर्यावरण के लिए पॉलिथीन काफी घातक है. इस विषय पर सभी लोगों को सचेत होने की काफी जरूरत है. कई देश ऐसे हैं जहां पॉलिथीन पर पाबंदी है तो फिर भारत में पॉलिथीन की थैलियों के व्यवहार पर पाबंदी क्यों नहीं लगायी जा रही है? पाॅलिथीन की वजह से जूट उद्योग पर भी खतरे की स्थिति है.
बनवारी शर्मा (समाजसेवी) : पॉलिथीन से होने वाले नुकसान को ज्यादातर लोग जानते हैं. इसके बावजूद वे उनका प्रयोग करते हैं. लोगों को इसके प्रति जागरूक होने की जरूरत है. जूट और कपड़े की थैलियों का इस्तेमाल करने की ज्यादा जरूरत है. सरकार व प्रशासन को भी पॉलिथीन के उपयोग पर रोक लगाने की जरूरत है.
पॉलिथीन देने वालों और लेने वालों दोनों पर जुर्माना लगाये जाय. अशोक गुप्ता (बड़ाबाजार लाइब्रेरी के सचिव): पाॅलिथीन के व्यवहार से पर्यावरण प्रदूषित तो होता है, साथ ही लोगों के स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है. घातक होते हुए भी पॉलिथीन के प्रयोग के लिए सरकार के साथ लोग भी जिम्मेदार हैं. लोगों को सजग होना होगा. उन्हें यह जिम्मेदारी लेनी होगी कि वे पॉलिथीन की थैली व उससे बने अन्य सामानों का प्रयोग न करें.
सागर प्रसाद माली (सामाजिक कार्यकर्ता) : पाॅलिथीन की थैलियों से संबंधित कानून देश में है, लेकिन इसे लेकर और सख्त कानून बनाने की जरूरत है. केवल कानून बनाने ही नहीं, बल्कि कानून के सही पालन के लिए ठोस कदम भी उठाने होंगे.
वीरेंद्र शर्मा (सामाजिक कार्यकर्ता) : पॉलिथीन पर्यावरण और लोगों के लिए घातक बना हुआ है. पॉलिथीन के व्यवहार पर अंकुश के लिए लोगों को जागरूक ज्यादा करने की जरूरत है. इसके लिए सामाजिक संस्थाओं को आगे आने की जरूरत है.
अशोक ओझा (राजनेता) : इसमें दो राय नहीं है कि पाॅलिथीन पर्यावरण और लोगों के लिए नुकसानदेह है. इसके बावजूद लोग पॉलिथीन की थैलियों का इस्तेमाल करते हैं. इसको लेकर जागरूकता की कमी है.
मोहम्मद अफसर (सामाजिक कार्यकर्ता) : पॉलिथीन प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है. इससे पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचता ही साथ ही लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है.
समर साव : सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पॉलिथीन के व्यवहार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाये. यदि इससे पर्यावरण और लोगों की सेहत को नुकसान पहुंच रहा है तो पॉलिथीन के व्यवहार पर पाबंदी लगायी जानी जरूरी है.गणेश शर्मा : पाॅलिथीन पर्यावरण के लिए काफी घातक है. लोगों को पॉलिथीन के इस्तेमाल से बचना होगा.परिचर्चा में राजनीति से जुड़े सुनील राय, अनुज कुमार, गुड्डू खान समेत अन्य कई विशिष्ट लोग मौजूद रहे.

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