कोलकाता : बांग्ला फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता सौमित्र चटर्जी को फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘लीजन ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया जायेगा. चटर्जी ने कहा, ‘मैं खुश हूं और यह बड़ा सम्मान है. मुझे फ्रांसिसी दूतावास से शुक्रवार को पत्र मिला और उन्होंने कहा कि वे मुझे पुरस्कार देने यहां आ रहे हैं. मैंने उन्हें बता दिया कि हम आपसी सहमति से एक तारीख तय कर लेंगे.’
82 वर्षीय अनुभवी अभिनेता को दिग्गज फिल्म निर्माता सत्यजीत रे को यही सम्मान मिलने के 30 साल बाद यह अवाॅर्ड मिल रहा है. उन्होंने कहा, ‘मेरे और माणिक दा (रे को उनके प्रशंसक इस नाम से बुलाते हैं) के बीच कोई तुलना नहीं की जा सकती. वह असाधारण हैं और मैं उनके आसपास भी नहीं हूं. लेकिन, हां मुझे खुशी हो रही है कि मुझे भी वही सम्मान मिल रहा है जो माणिक दा को मिला था.’ अभिनेता ने 1959 में ‘अपूर संसार’ में रे के साथ पहली बार काम किया था जो रे द्वारा निर्देशित तीन फिल्मों की श्रृंखला का तीसरा भाग है. उन्होंने रे की ‘अभिजन’ (1962), ‘चारुलता’ (1964), ‘अरण्येर दिनरात्रि’ (1969), ‘अशनि संकेत’ (1973), ‘सोनार केल्ला’ (1974), ‘जॉय बाबा फेलुनाथ’ (1978), ‘घरे बाइरे’ (1984) और ‘गणशत्रु’ (1989) फिल्मों में भी काम किया.
अभिनेता को बधाई देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा, ‘अपूर संसार’ से लीजन ऑफ ऑनर. दिग्गज श्री सौमित्र चट्टोपाध्याय, भारतीय और बंगाली सिनेमा के प्रमाण चिह्न. फ्रांस द्वारा बंगाली सिनेमा के महान अभिनेता को सलाम और सम्मान. यह हमें गौरवान्वित करता है. बधाई.’ बांग्ला फिल्म जगत से भी कई लोगों ने चटर्जी को बधाई दी.
प्रसनजीत चटर्जी ने ट्वीट कर कहा, ‘काकू आप सच्ची प्रेरणा हैं. लीजन ऑफ ऑनर के लिए प्रणाम. रे के बाद हमारी इंडस्ट्री से सम्मानित होनेवाले आप दूसरे व्यक्ति हैं.’ कई फिल्मों में चटर्जी के निर्देशक रहे अतनु घोष ने कहा, ‘गर्व है कि हमें आपके साथ जीने और काम करने का मौका मिला. लीजन ऑफ ऑनर से सम्मानित किए जाने पर अपने समय के महानतम अभिनेता को हार्दिक बधाई.’ रे के परिवार के सदस्यों ने इस खबर पर खुशी जतायी है. उन्होंने कहा, ‘हमें शुक्रवार को यह खबर मिली. यह गर्व का विषय है कि उन्हें फादर के 30 साल बाद यह सम्मान मिल रहा है.’ चटर्जी को इससे पहले कला क्षेत्र के दिग्गजों को दिये जाने वाले फ्रांस के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया था और उन्हें सिनेमा में भारत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहेब फाल्के अवाॅर्ड भी मिल चुका है.