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रक्षा प्रतिष्ठानों में विदेशी निवेश व निजीकरण के खिलाफ धरना

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कोलकाता: रक्षा से जुड़े संस्थाओं व फैक्टरियों में विदेशी निवेश 49 फीसदी से बढ़ा कर 100 फीसदी करने और 600 रक्षा उत्पादों में 143 का निजी कंपनियों में उत्पादन सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में इंटक समर्थित इंडियन नेशनल डिफेंस वर्कर्स फेडरेशन के तत्वावधान में कर्मचारियों ने मेयो रोड स्थित गां‍धी मूर्ति के समक्ष धरना […]

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कोलकाता: रक्षा से जुड़े संस्थाओं व फैक्टरियों में विदेशी निवेश 49 फीसदी से बढ़ा कर 100 फीसदी करने और 600 रक्षा उत्पादों में 143 का निजी कंपनियों में उत्पादन सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में इंटक समर्थित इंडियन नेशनल डिफेंस वर्कर्स फेडरेशन के तत्वावधान में कर्मचारियों ने मेयो रोड स्थित गां‍धी मूर्ति के समक्ष धरना दिया.

इंटक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व इंडियन नेशनल डिफेंस वर्कर्स फेडरेशन के अध्यक्ष अशोक सिंह ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह सरकार न केवल मजदूर विरोधी है, बल्कि राष्ट्र विरोधी भी है. रक्षा गाेपनीयता से जुड़ा हुअा मुद्दा है, लेकिन रक्षा से जुड़े प्रतिष्ठानों में विदेशी निवेश की पूरी अनुमति देकर गोपनीयता को भी भंग किया है. यह सरकार पूरी तरह से किसान व युवा विरोधी है. युवाओं से रोजगार से अवसर छीने जा रहे हैं. सरकार की श्रम विरोधी नीति के खिलाफ पूरे देश भर में प्रदर्शन हो रहा है. दिल्ली में श्रमिकों के पड़ाव का आयोजन होगा, जहां पूरे देश के श्रमिक उपस्थित होंगे. यदि सरकार इसके बावजूद नहीं चेती, तो 2018 में बेमियादी बंद बुलाया जायेगा.

प्रदेश इंटक के अध्यक्ष रमेन पांडेय ने केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीति की आलोचना करते हुए कहा कि मोदी सरकार में श्रमिकों के हितों की अवहेलना की जा रही है और श्रम विरोधी कानून से श्रमिकों का गला घोंटा जा रहा है. भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष सुभाष चंद्र नाहा व रक्षा सिविलियन को-आॅर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष मृणाल कांति धर ने कहा कि 100 फीसदी विदेशी निवेश व 143 रक्षा उत्पादों का निजी कंपनियों में उत्पादन का निर्णय पूरी तरह से जनहित विरोधी है. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने चार छोटे आर्म्स फैक्टरियों को पीपीपी मॉडल पर संचालित करने का निर्णय किया है. वे लोग इसके खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और जरूरत पड़ी, तो केंद्र सरकार की जनविरोधी नीति के खिलाफ कानून तोड़ कर भी आंदोलन करेंगे.

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