फरजी डिग्री व मार्क्सशीट बनानेवाले गिरोह का पर्दाफाश
कोलकाता: महानगर में एक ऐसा रैकेट पकड़ा गया है, जो युवाओं को इंटरनेट के जरिए पहले अच्छे कॉलेजों में दाखिले के नाम पर फुसलाता था. फिर उन्हें फांस कर किसी भी कोर्स की फर्जी डिग्री खरीदने का प्रलोभन देता था. कोलकाता पुलिस ने रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया है. रुपये […]
कोलकाता: महानगर में एक ऐसा रैकेट पकड़ा गया है, जो युवाओं को इंटरनेट के जरिए पहले अच्छे कॉलेजों में दाखिले के नाम पर फुसलाता था. फिर उन्हें फांस कर किसी भी कोर्स की फर्जी डिग्री खरीदने का प्रलोभन देता था. कोलकाता पुलिस ने रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया है.
रुपये दीजिए और कोई भी डिग्री लीजिए
चाहे आपको एमबीए डिग्री चाहिए या फिर एमबीबीएस, यहां सबकुछ उपलब्ध था. किसी भी शिक्षा संस्थान की डिग्री हासिल की जा सकती थी. धन के एवज में ये मनचाही मार्कशीट और सर्टिफिकेट उपलब्ध करा देते थे. ये रैकेट पश्चिम बंगाल के पाटुली में लंबे समय से चलाया जा रहा था. रैकेट के सरगना को गिरफ्तार कर लिया गया है.
इंटरनेट पर लुभावने विज्ञापन देता था
इस रैकेट को निओस ग्रुप ऑफ एजुकेशन के नाम से चलाया जाता था. इसका सरगना हरिकिशोर तिवारी है. ये रैकेट इंटरनेट पर लुभावने विज्ञापन देकर लोगों को जाल में फंसाता था. शुरुआत में किसी भी जाने माने और प्रतिष्ठित कॉलेज या कोर्स में दाखिले का भरोसा देते थे. जब छात्र और उनके अभिभावक उनसे संपर्क करते थे तो वो उन्हें दूसरा ऑफर देने लगते थे. इस एजेंसी के कर्मचारी फिर ऐसे ग्राहकों पर डोरे डालते थे, जिसके बारे में उन्हें उम्मीद होती थी कि ये उनके शिकंजे में आ सकते हैं यानि फर्जी डिग्री या मार्कशीट खरीदने को तैयार हो सकते हैं.
यूं रंगे हाथों पकड़े गये
इस रैकेट के बारे में सूचना मिलने पर एक एनजीओ ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई. एनजीओ का एक सदस्य निओज ग्रुप ऑफ एजुकेशन के पास पहुंचा. उसने उनसे माध्यमिक सर्टिफिकेट देने की बाबत बात की. सौदा 6000 रुपयों में तय हो गया. बतौर एडवांस 4000 रुपए दे दिए. दो दिन बाद ये संस्था उन्हें सर्टिफिकेट उपलब्ध कराने वाली थी.