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जीवन पवित्र बनाने के लिए अहिंसा का मार्ग अपनायें

कोलकाता : अहिंसा के अग्रदूत आचार्य श्री महाश्रमणजी जैनधर्म के प्रभावशाली आचार्य हैं, जिन्होंने अपने व्यक्तित्व और कर्तृत्व से तेरापंथ धर्मसंघ को उंचाइयां प्रदान की है. अहिंसा यात्रा के अंतर्गत लगभग 42000 किलोमीटर की लंबी पदयात्रा करते हुए वह कोलकाता में पधारे हैं. उनकी आध्यात्मिक उत्कृष्टता को देखते हुए सरकार द्वारा राजकीय अतिथि के रुप […]

कोलकाता : अहिंसा के अग्रदूत आचार्य श्री महाश्रमणजी जैनधर्म के प्रभावशाली आचार्य हैं, जिन्होंने अपने व्यक्तित्व और कर्तृत्व से तेरापंथ धर्मसंघ को उंचाइयां प्रदान की है. अहिंसा यात्रा के अंतर्गत लगभग 42000 किलोमीटर की लंबी पदयात्रा करते हुए वह कोलकाता में पधारे हैं. उनकी आध्यात्मिक उत्कृष्टता को देखते हुए सरकार द्वारा राजकीय अतिथि के रुप में सम्मान दिया गया है.
आचार्य श्री महाश्रमणजी का विराट नागरिक अभिनंदन समारोह का भव्य कार्यक्रम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपस्थिति में नेताजी इंडोर स्टेडियम में समायोजित हुआ, जिसमें अनेक राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी, पत्रकार, शिक्षाशास्त्री एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित हुए. प्रात:काल सर्वप्रथम ब्रेबन रोड महासभा भवन से आचार्य प्रवर रैली के साथ नेताजी इंडोर स्टेडियम पधारे. रैली में श्रद्धालु भाई-बहनों की सराहनीय उपस्थिति से रैली में भी आशातीत उपस्थिति देखकर अचंभित थे. बच्चों कन्याओं, महिलाओं व युवकों तथा पुरुषों सभी ने उत्साह से भाग लिया. सभी तेरापंथी सभा संस्थाओं के पदाधिकारीगण एवं कार्यकर्ताओं ने इस रैली को व्यवस्थित रुप दिया. नेताजी इंडोर स्टेडियम में आचार्यश्री महाश्रमण चित्र दीर्घा का प्रस्तुतिकरण किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ आचार्यश्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति की महामंत्री सूरज बरड़िया के स्वागत वक्तव्य से हुआ. श्रावक-श्राविकाओं ने सामूहिक अभिनंदन गीत गाया. जय-जय ज्योति चरण के नारे गूंज उठे. स्वागताध्यक्ष सुरेंद्र चोरड़िया ने श्रद्धा भरी भावनाओं से स्वागत किया. आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाश्रमण एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के प्रधान न्यासी भीखमचंद पुगलिया, अध्यक्ष सुरेंद्र दुगड़ ने अभिनंदन के भाव व्यक्त किये.
चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष कमल दुगड़ ने उल्लास और उमंग के साथ समस्त कोलकाता वासियों की तरफ से स्वागत करते हुए गुरु के प्रति अभिवंदना के भाव समर्पित किये तथा आगत सभी महानुभावों का स्वागत किया. इसी श्रृंखला में सर्व समाज से उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने आचार्य प्रवर का अभिनंदन किया. कमल गांधी, महेंद्र जालान, विनोद काला, चंचलमल बच्छावत, किशनजी डागलिया, प्रकाश मालू, कल्पना बैद ने विचार रखे. विद्वता के भंडार आचार्य आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अंहिसा की सूक्ष्म व्याख्या करते हुए नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा दी.
फरमाया कि अभिनंदन व स्वागत एक परंपरा है, एक औपचारिकता है, इसकी व्यवहारिक धरातल पर उपयोगिता भी है. लेकिन जीवन पवित्रता के लिए अंहिसा का व्यवहार में उतारना अपेक्षित है. आचार्य प्रवर ने उपस्थित जनमेदिनी को अंहिसा यात्रा तीन उद्देश्य- सद्भावना, नैतिकता व व्यसन मुक्ति के संकल्प दिलाये. महाश्रमणी साध्वी प्रमुखा कनकप्रभाजी का प्रेरणादायी उद्बोधन हुआ. मुख्य नियोजिका विश्रुतविभाजी, मुख्य मुनि -मुनिश्री महावीरकुमारजी, साध्वीवर्या- साध्वीश्री समुद्धयशाजी ने प्रभावशाली विचार व्यक्त किये.
कार्यक्रम के प्रथम चरण का सफल संयोजन विनोद बैद ने किया. कार्यक्रम का दूसरा चरण पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आगमन से हुआ. रविंद्र संगीत संगीत का सुमधुर संगान किया गया. विशेष अतिथि के रुप में पधारकर उन्होंने एक अध्यात्म पुरुष का विनय भरी भावनाओं से बंगाल की धरा पर अभिनंदन किया तथा कहा आप जैसे महापुरुष हमें मार्गदर्शन दें. एक कुशल प्रशासक, प्रभावी लेखक, पूरे विश्व में प्रंशसनीय पहचान के साथ बंगाल की मुख्यमंत्री के रुप में प्रसिद्ध गरिमामयी व्यक्तितत्व की धनी विशिष्ट महिला व्यक्तित्व के द्वारा जब विनय से भरी सहज भावनायें व्यक्त की गयी.
पूरा स्टेडियम रोमांचित हो उठा. चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महोदय ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया. चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति की तरफ से एक कलात्मक बंगाल की संस्कृति से सुसज्जित वीणा भेंट की गयी. व्यवस्था समिति के विशिष्ट पदाधिकारी रणजीत सिंह कोठारी, सुरेंद्र चोरड़िया, भीखमचंद पुगलिया, सुरेंद्र दुगड़, विनोद बैद, तुलसी दुगड़ द्वारा मोमेंटो भेंट किया गया. आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मुख्यमंत्री महोदया को उद्बोधन देते हुए फरमाया कि अगर अंहिसा की तीन सूत्र -सद् भावना, नैतिकता, व्यसन मुक्ति का बंगाल प्रशासन में प्रचार हो तो विकास की संभावनायें और अधिक बढ़ जायेगी.
कार्यक्रम के द्वितीय चरण का संयोजन सुरेंद्र बोरड़ ने किया. अभिनंदन समारोह के इस कार्यक्रम में लगभग 12 हजार व्यक्तियों (सुबह 9 बजे से कार्यक्रम के सुसंपन्नता तक) उपस्थिति ने परिसर की गरिमा बढ़ाई. इस वृहद कार्यक्रम में समस्त तेरापंथी सभाओं, महिला मंडल, युवक परिषद प्रोफेशनल फोरम, अणुव्रत समिति, सभी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम को व्यवस्थित बनाने में अपूर्व सहयोग दिया. कोलकाता के बाहर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बैंगलोर, सिलीगुड़ी, गुवाहाटी आदि क्षेत्रों से भी काफी महानुभाव उपस्थित हुए. कार्यक्रम के संयोजक नरेंद्र बरड़िया, प्रमोण लुणावत व सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने बेहद मेहनत की. कोलकाता के सभी लगभग 75 बसों की व्यवस्था में बुधमल लुणियां का श्रम सराहनीय था.
रैली को नियोजित करने में महावीर दुगड़, अमरचंद दुगड़, बिमल बैद के साथ कई कार्यकर्ताओं का योगदान रहा. नास्ता व पेय की व्यवस्था में बिमल दुगड़, करणेश सेठिया का श्रम सार्थक रहा. प्रशासनिक व्यवस्थाओं को सुनियोजित करने व संपर्क करने में तुलसी दुगड़, मोती सिंघी ने बहुत मेहनत की. युवक परिषद के कार्यकर्ताओं ने स्टेडियम की व्यवस्ताओं में सक्रियता का परिचय दिया. महिला मंडल ने भी चारित्रत्माओं की सेवा में विशेष भूमिका निभाई. उपरोक्त जानकारी प्रवास व्यवस्था समिति की महामंत्री सूरज बरड़िया ने दी.

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