एक जैसी मत्स्य नीति की जरूरत
हल्दिया : खोका हिलसा को पकड़ने से रोकने के लिए सरकारी तौर पर 90 मिलीमीटर से बड़े छेदवाले जाल के इस्तेमाल के लिए कहा गया था. खोका हिलसा यानी छोटी हिलसा को पकड़ने, वहन करने या बिक्री करने पर पाबंदी है, लेकिन नियम को लागू करने के लिए कोई नजरदारी प्रशासन की ओर से दिखाई […]
हल्दिया : खोका हिलसा को पकड़ने से रोकने के लिए सरकारी तौर पर 90 मिलीमीटर से बड़े छेदवाले जाल के इस्तेमाल के लिए कहा गया था. खोका हिलसा यानी छोटी हिलसा को पकड़ने, वहन करने या बिक्री करने पर पाबंदी है, लेकिन नियम को लागू करने के लिए कोई नजरदारी प्रशासन की ओर से दिखाई नहीं देती. मत्स्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सभी कुछ पर नजर देने लायक आधारभूत ढांचा उनके पास नहीं है, लेकिन खोका हिलसा को पकड़ने से रोकने के लिए मछली बाजार में नजरदारी चलायी जायेगी. विभाग के अनुसार छोटी हिलसा पकड़ने पर उसे बेचने के लिए आखिरकार बाजार में ही लाना होगा.
बाजार में नजरदारी चला कर ही इसे बंद किया जा सकता है. हालांकि मौसम की शुरुआत में ही इस संबंध में राज्य का मत्स्य विभाग असफल रहा है. दो महीने की छुट्टी बिता कर लांच ट्रेलर पर मछुआरे गहरे समुद्र में निकल गये हैं. मोहना तक पहुंचने में कुछ दिन ही लगेंगे, लेकिन उसके पहले ही बाजार में हिलसा आ गयी है. भले ही बंगाल में नजरदारी है, ओड़िशा में यह देखा नहीं जाता. इसलिए दीघा, पेटुआ, शंकरपुर, जूनपुट, जलधा से छोटी हिलसा ओड़िशा के तालसारी बाजार में आ जा रही है. यहीं पर खोका हिलसा का सौदा हो रहा है. बाजार में नजरदारी के लिए मत्स्य विभाग केवल नाम का कर रहा है.
राज्य की जल सीमा के भीतर ही भुटभुटी या छोटी नौका के जरिये 23 सेंटीमीटर से छोटी हिलसा पकड़ी जा रही है. बड़ी हिलसा भी पकड़ी जा रही है, लेकिन उसका परिमाण कम है. बड़ी हिलसा बंगाल के बाजार में, तो छोटी हिलसा को ओड़िशा के बाजार में बेचा जा रहा है. मछुआरों का कहना है कि इसके लिए उचित मत्स्य नीति की जरूरत है.
दीघा फिशरमैन एंड फिश ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव श्यामसुंदर दास ने कहा कि पूरे देश में एक जैसी मत्स्य नीति चालू नहीं होने पर यह समस्या दूर नहीं होगी. बंगाल में छोटी हिलसा को पकड़ने या बेचने पर पाबंदी है, लेकिन अन्य राज्यों में यह नियम नहीं है. सभी राज्यों में एक जैसी मत्स्य नीति होने पर ही समस्या दूर होगी.