दार्जीलिंग. पिछले कुछ दिनों से लगातार हिंसा के बाद सोमवार को दार्जीलिंग पर्वतीय क्षेत्र में शांति लौटती नजर आयी. हांलाकि विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है. पिछले 24 घंटे के दौरान ना कहीं आगजनी की घटना हुई और ना ही गोजमुमो समर्थकों की पुलिस के साथ भिड़ंत. लेकिन राज्य सरकार के खिलाफ गोजमुमो का विरोध प्रदर्शन जारी है.
गोजमुमो के इस आंदोलन को सुभाष घीसिंग की पार्टी गोरामुमो का भी साथ मिल गया है. सोमवार को दोपहर करीब बारह बजे शहर के चौक बाजार से एक विशाल रैली निकाली गयी. रैली में शामिल लोगों के हाथों में गोजमुमो और गोरामुमो के झंडे थे. इसके साथ ही राष्ट्रीय झंडा और काला झंडा लेकर भी लोग रैली में शामिल हुए थे. रैली में शामिल लोग वी वान्ट गोरखालैंड, ममता बनर्जी मुर्दाबाद, सीआरपीएफ गो बैक आदि नारे लगाते हुए शहर के मोटर स्टैंड पहुंचे और वहां मुख्यमंत्री का पुतला फूंका.
रैली में शामिल होने के लिये तीस्ता वैली से बड़ी संख्या में गोरामुमो समर्थक आये थे. गोरामुमो समर्थकों का साफ कहना है कि हमलोगों को गोरखालैंड चाहिए. राज्य सरकार हमलोगों पर मनमानी कर रही है और हमारी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है. जिसे हम सहन नहीं करेंगे. शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए शहर के चारों ओर पुलिस की तैनाती की गयी है. साथ ही सीआरपीएफ के जवान भी लगातार पेट्रोलिंग कर रहे हैं.
सोमवार को मिरिक, कालिम्पोंग, कर्सियांग आदि क्षेत्रों में विरोध रैली निकाली गयी. इस बीच,भाषा विवाद एवं अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर गोजमुमो द्वारा आहूत बेमियादी बंद भी पहाड़ पर जारी है. इस बंद से पिछले काफी दिनों से दार्जीलिंग पर्वतीय क्षेत्र अचल बना हुआ है. पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य के सभी स्कूलों में बांग्ला भाषा को अनिवार्य करने की घोषणा के बाद से पहाड़ में विरोध की जो लहर शुरू हुई थी वह अब भी जारी है. चार जून को गोजमुमो ने पहाड़ में विरोध रैली निकाली थी. पांच जून को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मिरिक में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुयी थीं. मुख्यमंत्री पांच जून को जब दार्जीलिंग पहुंचीं तो उसके बाद से ही यहां का माहौल तनावपूर्ण है. आठ जून को दार्जीलिंग के राज भवन में कैबिनेट की एक बैठक हुयी थी. उसी दिन हिंसा भड़की और मामला पुलिस फायरिंग और उपद्रवियों की मौत तक पहुंच गया. पुलिस फायरिंग से उत्तेजित भीड़ ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया.
पुलिस और मोरचा के भिड़ंत में कई लोग घायल भी हो गये. 10 जून को पहाड़ की स्थिति सामान्य थी. 14 जून को पातलेबास स्थित गोजमुमो कार्यालय में पुलिस ने छापामारी अभियान चलाया. इसके बाद मोरचा ने अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा कर दी. तब से लेकर अब तक मोरचा समर्थक विरोध रैली आदि कार्यक्रमों का आयोजन करते आ रहे हैं. इस बीच स्कूल-कॉलेज, कार्यालय, सभी चाय बागान बाजार आदि पूरी तरह से बंद है. शहर के मार्गों पर केन्द्रीय बलों को गश्त करते देखा जा सकता है. सड़कें सुनसान पड़ी हैं.
सर्वदलीय बैठक आज
मंगलवार (20 जून) को पहाड़ पर गोजमुमो ने सर्वदलीय बैठक बुलायी है. बांग्ला भाषा को अनिवार्य करने के विरोध में और अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर 13 जून को भी दार्जीलिंग के जीमखाना हॉल में सर्वदलीय बैठक हुयी थी. इस बैठक में गोरामुमो, भारतीय गोरखा परिसंघ, गोरखालैंड राज्य निर्माण मोरचा, क्रामाकपा, भाजपा और गोजमुमो के नेता उपस्थित थे. इसमें संयुक्त आन्दोलन को लेकर चरचा हुई. उसी बैठक में 20 जून को भी सर्वदलीय बैठक करने की तिथि तय की गई थी. इस बैठक में आन्दोलन की रणनीति तय की जायेगी.
गोरखालैंड राज्य पर तृणमूल कांग्रेस में फूट
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए परेशानी की बात यह है कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के एक वर्ग ने भी स्थानीय माकपा नेताओं के साथ अलग राज्य की मांग का समर्थन किया है.
भाजपा के स्थानीय नेतृत्व में भी मतभेद
भाजपा का स्थानीय नेतृत्व भी इस मुद्दे पर बंटा हुआ है. भाजपा के जिला महासचिव शांता किशोर गुरुंग ने कहा : मैं जीजेएम और उसकी कार्यप्रणाली से सहमत नहीं हूं, लेकिन गोरखालैंड के मुद्दे पर हम एक हैं. मैं भी गोरखा हूं, मैं अपने गोरखा भाई-बहनों को धोखा कैसे दे सकता हूं? जबकि राज्य भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने गुरुंग की बात पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि उनकी पार्टी अलग राज्य बनाने के खिलाफ है.
दार्जीलिंग में राष्ट्रीय राजमार्ग 31 ए की नाकेबंदी
जीजेएम के तीन कार्यकर्ताओं की शनिवार को हुई मौत के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने सोमवाार को दार्जीलिंग जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 31ए पर कुछ जगहों पर नाकेबंदी की. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने जिले में कुछ जगहों पर राष्ट्रीय राजमार्ग 31ए पर नाकेबंदी की. दार्जीलिंग जिले के सीवोक से गंगटोक को जोड़नेवाले 92 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग 31ए को सिक्किम की जीवनरेखा माना जाता है. इस राष्ट्रीय राजमार्ग का करीब 30 फीसदी हिस्सा पश्चिम बंगाल से होकर गुजरता है.
दवाखाना छोड़ अन्य दुकानें व होटल बंद
दार्जीलिंग में सोमवार को कोई बड़ी हिंसा नहीं हुई लेकिन सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं और इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा : स्थिति अब भी तनावपूर्ण है. सुबह से हिंसा की कोई घटना नहीं हुई है लेकिन हम अत्यधिक सतर्कता बरत रहे हैं.दार्जीलिंग में इंटरनेट सेवाएं रविवार सुबह से ही निलंबित हैं. पुलिस सूत्रों ने बताया कि जीजेएम कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया पर संदेश एवं भड़काऊ पोस्ट फैलाने से रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है. पुलिस ने सरकार और जीटीए के कार्यालयों के बाहर तथा पहाड़ियों में आने और निकलने के विभिन्न स्थानों पर चौकियां एवं अवरोधक लगाये हैं. दार्जीलिंग में दवाखानों को छोड़कर सभी अन्य दुकानें एवं होटल बंद हैं.
आग से न खेलें, शांति बनाये रखें
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गोरखा जनमुक्ति मोरचा एवं पहाड़ वासियों से आग से न खेलने एवं शांति बनाये रखने का आह्वान किया है. सोमवार को नीदरलैंड के लिए रवाना होने से पहले संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है और केवल बातचीत ही मामला सुलझाया जा सकता है. आग से खेलने के बजाय शांति की रक्षा करना उचित है. लोकतांत्रिक पद्धति से सभा रैली आदि करना जायज है. जलाना, राख कर देना ठीक काम नहीं है. मीडिया को पहाड़ छोड़ने की धमकी दिये जाने की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि जानबुझ कर जातिय हिंसा तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने सभी संबद्ध पक्षों तथा पक्षकारों से दार्जिलिंग में जारी हालात के मद्देनजर 22 जून को सिलीगुड़ी में राज्य सरकार द्वारा बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में शामिल होने का आह्वान किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि मैं उसमें शामिल नहीं रहूंगी लेकिन बैठक आयोजित करने की जिम्मेदारी अन्य मंत्रियों को सौंपी गयी है. ममता बनर्जी 23 जून को संयुक्त राष्ट्र पब्लिक सवर्सि डे के मौके पर संबोधन देने के लिए तीन दिन के नीदरलैंड के दौरे पर गयी हैं. उन्होंने जीजेएम पर राज्य को बांटने की साजिश रचने का भी आरोप लगाया.