शंकर व अरिंदम ने थामा तृणमूल का दामन
कोलकाता. नदिया जिले के तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व विधायक शंकर सिंह व विधायक अरिंदम भट्टाचार्य कांग्रेस का दामन छोड़ कर बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये. यह दाेनों विधायक प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से हैं, इनके तृणमूल कांग्रेस में शामिल हाेने से प्रदेश कांग्रेस काे काफी तगड़ा […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
June 22, 2017 9:45 AM
कोलकाता. नदिया जिले के तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व विधायक शंकर सिंह व विधायक अरिंदम भट्टाचार्य कांग्रेस का दामन छोड़ कर बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये. यह दाेनों विधायक प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से हैं, इनके तृणमूल कांग्रेस में शामिल हाेने से प्रदेश कांग्रेस काे काफी तगड़ा झटका लगा है. विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या अब कम होकर 36 हो गयी है. गौरतलब है कि वर्ष 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कुल 44 सीटें मिली थीं, लेकिन विस चुनाव के बाद कांग्रेसी विधायकों का सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने का सिलसिला जारी है.
बुधवार को दोनों कांग्रेसी विधायक लगभग 10-12 हजार समर्थकों के साथ महानगर स्थित तृणमूल कांग्रेस भवन पहुंचे, जहां तृणमूल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष व सांसद अभिषेक बनर्जी और पार्टी के महासचिव पार्थ चटर्जी ने दोनों विधायकों को पार्टी का झंडा थमा कर तृणमूल कांग्रेस में स्वागत किया. दोनों नेताओं को तृणमूल कांग्रेस में शामिल करने के बाद पार्टी ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी सौंपी है. विधायक शंकर सिंह को नदिया जिले का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि अरिंदम भट्टाचार्य को तृणमूल युवा कांग्रेस का महासचिव पद की जिम्मेदारी दी गयी है. तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद विधायक शंकर सिंह ने कहा : बंगाल को बांटने की साजिश रची जा रही है. इसी प्रकार, देश को संप्रदाय के नाम पर बांटा जा रहा है और इस सांप्रदायिकता के खिलाफ सबको एक जुट करने का अथक प्रयास सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही कर रही हैं. मुख्यमंत्री के इस आंदोलन से प्रभावित होकर वह कांग्रेस छोड़ कर तृणमूल में शामिल हुए हैं.
गौरतलब है कि दो वर्ष पहले ही कांग्रेस विधायक शंकर सिंह ने तृणमूल में शामिल होने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन उस समय तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इसका विरोध किया था. उसके बाद विधानसभा चुनाव में जीत के बाद वह राणाघाट उत्तर-पश्चिम सीट से विधायक बनने के बाद भी श्री सिंह ने तृणमूल कांग्रेस के आला नेताओं से संपर्क बनाये रखा था. गौरतलब है कि छह अगस्त को राज्य चुनाव आयोग ने छह नगरपालिकाओं में चुनाव कराने के लिए अधिसूचना जारी की थी, इसमें नदिया जिले का कूपर्स कैंप इलाका भी है और इस इलाके में शंकर सिंह का आधिपत्य है. शंकर सिंह के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने से कूपर्स कैंप नपा पर सत्तारूढ़ पार्टी का कब्जा करना और आसान हो जायेगा.
विधायकों के पार्टी छोड़ने से कोई असर नहीं : अधीर
कांग्रेस के दो विधायकों, शंकर सिंह और अरिंदम भट्टाचार्य के तृणमूल में शामिल होने के संबंध में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा कि इससे कांग्रेस की मजबूती पर फर्क नहीं पड़ता. संवाददाताओं से बातचीत में श्री चौधरी ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से मजबूत थी. जिन लोगों ने दल छोड़ने वाले नेताओं को चुना वे लोग (मतदाता) आज भी कांग्रेस के ही साथ हैं. श्री चौधरी ने पार्टी छोड़नेवाले विधायकों पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि उनमें ईमानदारी है तो कांग्रेस का चुनाव चिह्न त्याग दें और फिर से चुनाव करा कर जीत कर विधानसभा में जायें. दल छोड़नेवाले नेताओं को पहले विधायक पद से इस्तीफा देना चाहिए और फिर चुनाव में जीत कर अपनी ईमानदारी साबित करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि शायद वे नेता बड़े प्रमोटर या ठेकेदार बनना चाहते थे इसलिए ही तृणमूल में शामिल हुए.
दार्जीलिंग मामले पर सरकार गंभीर नहीं : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा कि दार्जीलिंग समस्या के समाधान को लेकर राज्य सरकार गंभीर नहीं है. संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने समस्या के समाधान के लिए सर्वदलीय बैठक का आह्वान किया है. कांग्रेस ने इसे स्वीकार किया, लेकिन मांग की गयी थी कि इसमें गृह सचिव भी शामिल हो, लेकिन राज्य सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया. स्पष्ट है कि राज्य सरकार समस्या के समाधान के लिए गंभीर नहीं है. श्री चौधरी ने यह भी कहा कि दार्जीलिंग में कांग्रेस के विधायकों का एक प्रतिनिधि दल जाने वाला है. इसके लिए गृह सचिव के पास आवेदन किया गया था. अगर कांग्रेस को अनुमति नहीं मिलती है तो भी उनका प्रतिनिधि दल जायेगा.