किसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया शेख-चिल्ली, जानने के लिए पढ़िये

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरा संपन्न कर नीदरलैंड पहुंच चुके हैं. मोदी ने वाशिंगटन में अमेरिकी कंपनियों के प्रमुखों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कंपनियों के प्रमुखों को यह समझाने की कोशिश की कि भारत निवेश के लिहाज से बेहतरीन स्थल है. मोदी के नेतृत्ववाली एनडीए सरकार ने भारत में व्यापार करना आसान बनाया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 27, 2017 2:17 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरा संपन्न कर नीदरलैंड पहुंच चुके हैं. मोदी ने वाशिंगटन में अमेरिकी कंपनियों के प्रमुखों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कंपनियों के प्रमुखों को यह समझाने की कोशिश की कि भारत निवेश के लिहाज से बेहतरीन स्थल है. मोदी के नेतृत्ववाली एनडीए सरकार ने भारत में व्यापार करना आसान बनाया है.

पश्चिम बंगाल के माकपा नेता अरुण माहेश्वरी ने मोदी के इन दावों पर तंज कसा है. उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि भारत सरकार के अधिकारी बे सिर-पैर के आंकड़े प्रधानमंत्री को उपलब्ध कराते हैं और प्रधानमंत्री दुनिया के सामने उसे पेश कर देते हैं. माहेश्वरी ने लिखा है कि प्रधानमंत्री उन योजनाअों को भी अपनी उपलब्धि बताते हैं, जो उनकी हैं ही नहीं.

माकपा नेता के फेसबुक पर लिखे पोस्ट को आप भी पढ़िये…

जानें, मोदी के अमेरिकी दौरे से भारत को क्‍या हासिल हुआ ?

मोदी जी ने अमेरिका मे कुछ कंपनियों के सीइओ के सामने कहा कि भारत में वाणिज्य को आसान बनाने (ease of doing business) के लिए उनकी सरकार अब तक 7,000 आर्थिक सुधार कर चुकी है . इसका अर्थ होता है सालाना औसतन 2333 सुधार, अर्थात् दैनिक 6 सुधार.

मजे की बात है कि इसी सरकार के काल में वाणिज्य में आसानी के मामले में 190 देशों की सूची में भारत 126वें स्थान से खिसक कर 130वें स्थान पर पहुंच गया. क्या मोदी जी ने अमेरिकी कंपनियों के सीइओज को भी एनआरआइ जोकर समझ लिया है ?

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भारत के वाणिज्य और औद्द्योगिक विभाग के वे कौन लोग हैं, जो प्रधानमंत्री को इस प्रकार के बेसिर-पैर के तथ्य जुटा कर देते हैं ?

यहां तक कि तथाकथित जीएसटी का सुधार भी मोदी सरकार का नहीं है. भाजपा के लोग तो हमेशा इसमें बाधा डालते रहे हैं. न आधार, न नगदी में क्षतिपूर्ति देने और न ही जनधन योजना मोदी सरकार की अपनी योजना है.

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भारत की अर्थनीति में मोदी जी का अब तक अगर कोई मौलिक अवदान रहा है, तो वह है – नोटबंदी. एक ऐसा अवदान, जिसकी चोट से पता नहीं यह देश, हमारी बैंकिंग प्रणाली कैसे उबरेगी?

सात हजार सुधारोंवाली प्रधानमंत्री की शेख-चिल्लीवाली बात पर एक कांग्रेसी नेता ने सही कहा है, ‘शायद इस बैठक में वे जेट-लेग के असर से मुक्त नहीं हुए थे!’

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