दंगे के पांच दिन बाद भी बशीरहाट में स्थिति नहीं हो पायी है सामान्य, एसपी-थानेदार हटाये गये
आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट के बाद भड़के दंगे के पांच दिनों के बाद बंगाल के 24 परगना जिले मे स्थिति पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पायी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 24 परगना के मौजूदा एसपी को हटा कर सी सुधाकर को एसपी के रूप में वहां तैनात किया है. इस बीच बशीरहाट के थाना […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
July 8, 2017 3:14 PM
आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट के बाद भड़के दंगे के पांच दिनों के बाद बंगाल के 24 परगना जिले मे स्थिति पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पायी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 24 परगना के मौजूदा एसपी को हटा कर सी सुधाकर को एसपी के रूप में वहां तैनात किया है. इस बीच बशीरहाट के थाना प्रभारी नसीम अख्तर को हटा दिया गया है. विश्वजीत बनर्जी बशीरहाट के नये थाना प्रभारी बने हैं. गौरतलब है कि बशीरहाट में संप्रदायिक हिंसा की खबर उस वक्त सुर्खियों में आयी जब राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी और ममता बनर्जी के बीच पूरी घटना को लेकर टकराव की स्थिति बन गयी थी. प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक बादुरिया में स्थिति सामान्य हो गयी है लेकिन स्थानीय लोगों ने बताया कि कल भी छिट-पुट हिंसा की घटना हुई है.
बशीरहाट इलाके के त्रिमोहनी मोड़ के पास दो गुटों में जमकर मारपीट व बमबारी हुई है. इसका प्रभाव टाकी रोड के मायालाखोला इलाके तक था. खबर मिलने पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी वहां भेजे गये. स्थिति नियंत्रण मेंकरने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े. सुबह दुकानें खुली थीं, लेकिन हिंसा की घटना के बाद सारी दुकाने बंद हो गयी. पूरे इलाके में कानून व्यवस्था को सामान्य रखने के लिए धारा 144 लगा दिया गया था. स्थानीय लोगों ने घरों में रहना पसंद किया, स्कूल बंद रहे व यातायात प्रभावित रहा. वहां के लोगों में अभी भी डर का माहौल है.कल भाजपा, कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों के कई नेताओं को दंगाग्रस्त इलाका जाने से रोक दिया गया है. शनिवार को फिर भाजपा नेता ओम माथुर, सतपाल महराज व मीनाक्षी लेखी को वहां जाने से रास्ते में ही रोक दिया गया है.
क्या कह रहे हैं पुलिस अधिकारी
लगातार हो हो रहे सांप्रदायिक टकराव के बीच पश्चिम बंगाल गृह विभाग के अधिकारी भी दबी जुबान से इस बात को स्वीकारते हैं कि इससे पहले हुए धार्मिक टकराव के बाद फॉलोअप की घटनाओं पर उतनी गंभीरता से कार्रवाई नहीं की गयी लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग है. हमारा फोकस इस बात पर रहेगा कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृति नहीं हो. अंग्रेजी अखबार टेलीग्राफ में छपी खबर के मुताबिक जब टकराव की सूचना मिली तो पुलिस ने कोई त्वरित एक्शन लेने में हिचकिचाहाट दिखायी. इससे पहले की प्रशासन स्थिति संभाल पाता मामला पूरी तरह से बिगड़ चुका था. 30 जून से बशीरहाट में तनाव की स्थिति बनी हुई थी लेकिन एक जुलाई आते-आते स्थिति गंभीर हो गयी. अगर राज्य सरकार इस तरह की घटनाओं में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर कठोर संदेश नहीं देती है तो भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृति हो सकती है. बशीरहाट की घटना के बाद आने वाले दिनों में पुलिस महकमे में कई ट्रांसफर होने वाले हैं. पूरी घटना को लेकर भाजपा आक्रमक है. भाजपा के कई राजनेता राज्य का दौरा कर चुके हैं. ऐसी स्थिति में ममता के लिए यह घटना दोहरी चुनौती बनकर सामने आयी है.
बशीरहाट में क्या हुआ था
मांगुरखाली में ही घर है विवादस्पद पोस्ट करनेवाले शौभिक सरकार का
17 साल का हायर सेकेंडरी में पढ़नेवाले शौभिक के पोस्ट को लेकर ही हंगामा शुरू हुआ, जिसकी चपेट में पहले बादुड़िया, बशीरहाट, देगंगा जैसे इलाके आये और बाद में उसकी चपेट में कई जिले आ गये. बंगाल की राजनीति गरमा गयी. कार्तिक घोष की मौत भी हो गयी. मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है. जब विवादस्पद पोस्ट को लेकर बवाल मचा तो कुछ लोगों ने शौभिक के घर में आग लगा दिया था, लेकिन उस वक्त मांगुरखाली गांव के ही मकबूल ने गोबरडांगा से दमकल बुला कर लाया था. मागुरखाली मसजिद कमेटी के अमिरुल इसलाम ने ही मसजिद की माइक से एलान कर लोगों को बुला कर आग बुझाने में मदद करने की अपील की थी. विवादास्पद पोस्ट के पहले इस गांव की तसवीर एक अमन पसंद गाव के रूप में थी, जो आज भी बरकरार है. कल तक इस गांव में अजान के वक्त लोग अपने घरों की टीवी तक बंद कर देते थे, वहीं दूसरी तरफ कीर्तन या फिर किसी पूजा समारोह के समय माइक मसजिद की तरफ रहती थी. पुष्पांजलि का मंत्रोचारण हो या भजन कीर्तन कहीं किसी को कोई आपत्ति नहीं थी. आज भी नहीं है.