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अमर्त्य सेन पर बने वृत्तचित्र को सेंसर बोर्ड ने रोका

कोलकाता : केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने अर्थशास्त्री व नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन पर वृत्तचित्र बनाने वाले निर्देशक को इसमें गाय सहित चार शब्दों को म्यूट करने को कहा है और उसे मंजूरी देने से इनकार कर दिया है. ‘द आर्ग्यूमेनटेटिव इंडियन ’ नामक वृत्तचित्र बनाने वाले निर्देशक सुमन घोष ने बताया कि […]

कोलकाता : केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने अर्थशास्त्री व नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन पर वृत्तचित्र बनाने वाले निर्देशक को इसमें गाय सहित चार शब्दों को म्यूट करने को कहा है और उसे मंजूरी देने से इनकार कर दिया है. ‘द आर्ग्यूमेनटेटिव इंडियन ’ नामक वृत्तचित्र बनाने वाले निर्देशक सुमन घोष ने बताया कि सीबीएफसी के क्षेत्रीय कार्यालय ने जिन चार शब्दों को म्यूट करने के लिए कहा है वे हैं ‘गुजरात’, ‘गाय’, ‘हिंदुत्व व्यू ऑफ इंडिया’ और ‘हिंदू इंडिया’.

घोष ने कहा , मैं सीबीएफसी के कोलकाता स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में तीन घंटे तक रहा, जहां मेरी डॉक्यूमेंटरी की स्क्रीनिंग हुई और बोर्ड के सदस्यों ने प्रत्येक शॉट को देखा और इसके बाद मुझे कल रात मौखिक रुप से इन चार शब्दों को म्यूट करने के लिए कहा गया.
मैंने इसमें अपनी असमर्थता जतायी. घोष ने कहा कि सेन और साक्षात्कारकर्ता अर्थशास्त्री कौशिक बसु के बीच हुई बातचीत के खास शब्द हटा देने से वृत्तचित्र की जान ही निकल जायेगी.
उन्होंने कहा मैं उनके लिखित संदेश का इंतजार कर रहा हूं और देख रहा हूं कि क्या वे फिल्म को रिव्यू समिति के पास भेजेंगे, लेकिन किसी भी स्थिति में मेरा जवाब यही होगा. श्री घोष ने कहा कि जब वह वित्त चित्र बना रहे थे. उस समय यह विषय उनके मस्तिष्क में नहीं था. अपने अनुभव से वह कह सकते हैं. इसमें सेंसर बोर्ड का कोई दोष नहीं है. वरन कहां से ये चीजें आ रही हैं, यह साफ है. इस संबंध में सेन ने कहा कि वह इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. वित्त चित्र उन्होंने नहीं बनाया है और न ही वह इसके विषय वस्तु हैं.

जो भी बोलना है, इस संबंध में फिल्म निर्देशक बोलेंगे. प्रसिद्ध बांग्ला साहित्यकार शीर्षेंदु मुख्यापाध्याय ने वित्त चित्र को रोके जाने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने वित्त चित्र को नहीं देखा है. इस वित्त चित्र को मंजूरी नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है. ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता शंघ घोष ने कहा कि यह घटना पूरी तरह से लज्जानजक है.कवि श्रीजांत बंद्योपाध्याय ने कहा कि उनका मानना है कि यह शब्द किसी भी रूप में आपत्तिजनक नहीं हैं. इन शब्दों को हटाने कहने की कोई जरूरत नहीं है. वित्त चित्र को तत्काल अनुमति दी जानी चाहिए. सीबीएफसी के एक सदस्य से इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा निदेशक की बात पर मीडिया में कोई बात नहीं करनी है.

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