सरकारी कर्मियों के बकाया डीए पर कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट की कार्यनिर्वाही मुख्य न्यायाधीश निशिथा म्हात्रे व न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती की डिवीजन बेंच ने सरकारी कर्मचारियों के वर्षों से बकाया डीए के भुगतान को लेकर राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है. गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान कार्यनिर्वाही मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह के अंदर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 14, 2017 10:13 AM
कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट की कार्यनिर्वाही मुख्य न्यायाधीश निशिथा म्हात्रे व न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती की डिवीजन बेंच ने सरकारी कर्मचारियों के वर्षों से बकाया डीए के भुगतान को लेकर राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है.
गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान कार्यनिर्वाही मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह के अंदर सरकारी कर्मचारियों के बकाया डीए के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. सरकारी कर्मचारियों का कितना डीए बकाया है, इसकी जानकारी राज्य सरकार को देनी होगी. वहीं, बकाया डीए के संबंध में स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल (एसएटी) के आदेश को खारिज करते हुए इस संबंध में राज्य सरकार को 10 अगस्त तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
क्या है मामला : गौरतलब है कि 16 फरवरी, 2017 को एसएटी के न्यायाधीश अमित तालुकदार ने सरकारी कर्मचारियों के बकाया डीए संबंधी याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि कर्मचारियों को डीए देना राज्य सरकार के दया का दान के समान है, जिसे राज्य सरकार चाहे तो दे सकती है या चाहे तो नहीं भी दे सकती.
गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील जयतोष मजूमदार ने कहा कि इस मामले का कोई महत्व नहीं है, इसलिए इसकी सुनवाई न की जाये. इसके बाद याचिकाकर्ता पक्ष के वकील ने कहा कि डीए प्राप्त करना सरकारी कर्मचारियों का अधिकार है. वर्ष 2009 में तत्कालीन राज्यपाल ने विज्ञप्ति देकर बताया था कि किस प्रकार से सरकारी कर्मचारियों के बकाया डीए का भुगतान किया जाये. इसके लिए एक शेड्यूल तैयार किया गया, लेकिन राज्य सरकार ने इसका अनुपालन नहीं किया, जिसकी वजह से राज्य सरकार के सरकारी कर्मचारियों के बकाया डीए का परिमाण बढ़ कर 54 प्रतिशत हो गया है. दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह के अंदर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया.

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