सेंसर बोर्ड ने अब बांग्ला फिल्म में दो शब्दों को म्यूट करने को कहा
कोलकाता. अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन पर बने एक वृत्तचित्र में चार शब्दों को म्यूट करने के लिए कहने के बाद सेंसर बोर्ड ने अब बांग्ला थ्रिलर फिल्म ‘मेघनाद वध रहस्य’ में दो शब्दों की जगह बीप-बीप करने को कहा है. फिल्म निर्देशक अनीक दत्त ने ‘रामराज्य’ समेत दो शब्दों को म्यूट करने पर सहमति जता दी […]
कोलकाता. अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन पर बने एक वृत्तचित्र में चार शब्दों को म्यूट करने के लिए कहने के बाद सेंसर बोर्ड ने अब बांग्ला थ्रिलर फिल्म ‘मेघनाद वध रहस्य’ में दो शब्दों की जगह बीप-बीप करने को कहा है. फिल्म निर्देशक अनीक दत्त ने ‘रामराज्य’ समेत दो शब्दों को म्यूट करने पर सहमति जता दी है. फिल्म को यू-ए प्रमाणपत्र दिया गया है. इसकी रिलीज एक सप्ताह आगे खिसक गयी है. अनीक ने बताया : बोर्ड ने 11 जुलाई को मुझे सूचित किया था कि वह फिल्म में दो विशेष शब्दों को म्यूट करना चाहता है.
मुझे तब समझ नहीं आया कि इन दोनों शब्दों में क्या कमी है लेकिन फिल्म की वित्तीय संभावना, निर्माताओं के हित और किसी तरह की अनिश्चितता से बचने के लिए हमने बदलाव किये हैं. उन्होंने कहा : फिल्म अब 14 जुलाई के बजाय 21 जुलाई को रिलीज होगी. यह फिल्म रामायण में रावण के पुत्र मेघनाद के वध पर आधारित 19वीं सदी के कवि एम मधुसूदन दत्ता की प्रसिद्ध काव्य रचना पर आधारित है. केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के क्षेत्रीय दफ्तर ने इससे पहले नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन पर आधारित सुमन घोष की डॉक्यूमेंटरी ‘एन आर्ग्यूमेंटेटिव इंडियन’ में उनसे चार शब्दों – ‘काउ’, ‘गुजरात’, ‘हिंदुत्व’ और ‘हिंदू इंडिया’ को म्यूट करने को कहा था.
बांग्ला सिनेमा का भविष्य है डिजिटल मीडिया : प्रसेनजीत
ऐसे समय में जब बांग्ला फिल्में दर्शकों की घटती संख्या और बॉलीवुड के बढ़ते प्रभाव का सामना कर रही हैं तब टॉलीवुड सुपरस्टार प्रसेनजीत का मानना है कि डिजिटल मंच ही बांग्ला सिनेमा का भविष्य है. उन्होंने कहा कि हमें नेटफ्लिक्स, अमेजन और अन्य के बारे में सोचना होगा. डिजिटल मीडिया को अच्छी सामग्री की आवश्यकता होती है, जो कि हमारे पास है. इसलिए हम संभावनाएं देख सकते हैं. एक कार्यक्रम से इतर उन्होंने कहा कि वास्तव में बांग्ला फिल्म जगत के लोग पहले से ही इस पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं. बांग्ला फिल्म उद्योग की समस्याओं के बारे में उन्होंने कहा कि सिनेमा समय के साथ खुद को बदल लेता है. चाहे यह बदलाव टेलीविजन के आने से हो या सेटेलाइट चैनलों के आने या केबल टेलीविजन के कारण हो. उन्होंने कहा कि सिनेमा के पास हमेशा चुनौती होती है. जब हमने अपना करियर शुरू किया था तब देखा था कि दूरदर्शन हमारे घरों में घुसपैठ कर चुका था. हम सोचते थे कि क्या लोग अब हमारी फिल्मों को देखने के लिए सिनेमा घरों में जायेंगे. फिर सेटेलाइट चैनल आये और केबल चैनल भी आ गये. प्रसेनजीत ने कहा कि ऐसे में हमें कौशल के साथ साथ कुछ बदलाव करना होगा. यह बदलाव इसलिए करना होगा ताकि दर्शक सिनेमाघर तक आयें.