मिरिक. पहले दार्जिलिंग, फिर कालिम्पोंग के बाद अब गोरखालैंड आंदोलन की आग ने छोटे से पहाड़ी शहर मिरिक को अपने निशाने पर ले लिया है. यहां पिछले दो दिनों से हिंसक घटनाएं हो रही हैं. सोमवार रात को पुलिस फायरिंग में जहां एक आंदोलनकारी आशीष तामंग की मौत हो गयी थी, वहीं मोरचा समर्थकों के हमले में एक तृणमूल समर्थक घायल हो गया था. उसकी चिकित्सा फिलहाल सिलीगुड़ी के एक निजी अस्पताल में चल रही है. दूसरे दिन मंगलवार को भी मिरिक अशांत रहा.
यहां उल्लेखनीय है कि मिरिक में मोरचा की जमीन पिछले दिनों काफी कमजोर हो गयी थी. हाल में संपन्न मिरिक नगरपालिका चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई थी और पहली बार पहाड़ पर किसी नगरपालिका पर समतल की पार्टी का कब्जा हुआ. उसके बाद से ही यह शहर मोरचा के एजेंडे पर है. मंगलवार सुबह मोरचा समर्थकों ने यहां आशीष तामांग की मौत के विरोध में रैली निकाली. तबतक सबकुछ ठीक था. यह रैली शांतिपूर्ण रही. लेकिन कुछ ही घंटों के बाद आंदोलनकारी उपद्रव पर उतर आये और हिंसक घटनाएं शुरू हो गयी. सबसे पहले मिरिक नगरपालिका पर हमला हुआ. यहां मोरचा समर्थकों ने पत्थरबाजी की.प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले यहां एक मोरचा नेता के साथ मारपीट किये जाने का हल्ला हुआ. उसके बाद ही मोरचा समर्थकों का पारा गरम हो गया और कुछ लोगों ने मिरिक नगरपालिका पर हमला कर दिया.
हमले की घटना यहीं नहीं रुकी. बीडीओ कार्यालय पर भी पत्थरबाजी की घटना हुई है.अंधेरा होते ही हमले भी तेज हो गये. पुलिस सूत्रों के अनुसार बड़ी संख्या में मोरचा समर्थक मिरिक थाने के पास पहुंच गये और थाने को आग लगाने की कोशिश की. पुलिस ने इनसभी को खदेड़ दिया.इनपर काबू पाने के लिए पुलिस को हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी. आरोप है कि पुलिस द्वारा खदेड़े जाने के क्रम में उपद्रवियों ने भागते समय तीन ट्रकों में आग लगा दी. जल्दी से दमकल कर्मियों को इसकी सूचना दी गयी. दमकल की इंजने मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया गया.