मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी कांग्रेस की मदद से लगातार तीसरी बार राज्यसभा जायेंगे. उनकी पार्टी की सर्वोच्च इकाई पोलित ब्यूरो ने सीताराम को पार्टी की नीति के विपरीत तीसरा कार्यकाल देने से मना कर दिया है. दूसरी ओर, कांग्रेस इस बात का इंतजार कर रही है कि वामदल येचुरी को अपना उम्मीदवार बनाते हैं या नहीं. लेफ्ट पार्टी में इस ऊहापोह की वजह से वही माहौल बन गया है, जो 90 के दशक में बना था.
उस समय पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु को संयुक्त प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव था. 90 के दशक में पोलित ब्यूरो में इस बात पर सहमति नहीं बन पा रही थी कि ज्योति बसु को संयुक्त मोरचा सरकार का प्रधानमंत्री बनने की अनुमति दी जाये या नहीं. इस पर फैसला लेने के लिए पोलित ब्यूरो ने मतदान कराया था. सीताराम येचुरी को पार्टी संविधान के विरुद्ध जाकर राज्यसभा की तीसरा कार्यकाल देने मुद्दे पर केंद्रीय कमेटी की बैठक में फैसला हो सकता है. बैठक 23 से 25 जुलाई के बीच होगी.
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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि माकपा ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के साथ-साथ कई मुद्दों पर अब तक सोनिया गांधी के स्टैंड का समर्थन किया है. महत्वपूर्ण मुद्दों पर वामदलों का समर्थन मिलने के बाद से सोनिया गांधी हर मुद्दे पर लगातार सीताराम येचुरी के संपर्क में हैं. हर मुद्दे पर उनसे राय-मशविरा करती हैं. राहुल गांधी और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल भी लगातार येचुरी के संपर्क में रहते हैं.
वामदलों में ऊहापोह की स्थिति के कारण कांग्रेस हाइकमान भी राज्य से अपने राज्यसभा प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं कर पा रही है. हालांकि, पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कुछ नेता चाहते हैं कि हाइकमान प्रदीप भट्टाचार्य को अपना उम्मीदवार घोषित कर दे. लेकिन, अहमद पटेल और सोनिया गांधी माकपा पोलित ब्यूरो में होनेवाले येचुरी के भाग्य के फैसले के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लेना चाहती हैं.
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लेफ्ट के नेताअों का भी मानना है कि यदि कांग्रेस ने उनकी पार्टी के एक नेता को राज्यसभा भेजने का मौका दिया है, तो इसे हाथ से जाने नहीं देना चाहिए. माकपा को डर है कि यदि कांग्रेस प्रदीप भट्टाचार्य को अपना उम्मीदवार बना दिया, तो प्रदीप बाबू द्वितीय वरीयता के मतों से जीत जायेंगे. उन्हें जिताने में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस भी मदद करेगी.
ऐसे में वर्ष 2018 और 2020 में बंगाल से वाम मोरचा का कोई नेता राज्यसभा नहीं पहुंच पायेगा. इसलिए प्रकाश करात गुट के हावी होने के बावजूद विमान बोस और सूर्यकांत मिश्र जैसे नेता येचुरी के लिए समर्थन जुटाने में लगे हैं. लेफ्ट नेताअों का मानना है कि यदि इस मौके को पार्टी ने भुना लिया, तो भविष्य में पार्टी को इसका भरपूर लाभ मिलेगा.