हिंसा के बीच पहाड़ से हटायी गयी सेना
सिलीगुड़ी/दार्जिलिंग. गोरखालैंड आंदोलन के दौरान पहाड़ पर हिंसक घटनाओं के बीच सेना वापस लौट गयी है. विश्वस्त सूत्रों से यह जानकारी मिली है. सूत्रों ने बताया कि दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में सेना की तीन कंपनियां तैनात थीं. गुरुवार को तीनों कंपनियों को सिलीगुड़ी बुला लिया गया. शाम में सेना के जवान सिलीगुड़ी के नजदीक सुकना […]
सिलीगुड़ी/दार्जिलिंग. गोरखालैंड आंदोलन के दौरान पहाड़ पर हिंसक घटनाओं के बीच सेना वापस लौट गयी है. विश्वस्त सूत्रों से यह जानकारी मिली है. सूत्रों ने बताया कि दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में सेना की तीन कंपनियां तैनात थीं. गुरुवार को तीनों कंपनियों को सिलीगुड़ी बुला लिया गया. शाम में सेना के जवान सिलीगुड़ी के नजदीक सुकना सेना मुख्यालय लौट आये. हालांकि पहाड़ पर अर्द्धसैनिक बलों के जवान बने रहेंगे. सेना को हटाने का निर्णय केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के अनुरोध पर किया है. सूत्रों ने आगे बताया कि पहाड़ पर फिलहाल सीआरपीएफ की 12 कंपनियां हैं. पहले यहा सीआरपीएफ की आठ कंपनियां तैनात थीं. हिंसा बढ़ने के बाद राज्य सरकार ने केंद्र से अर्द्धसैनिक बलों की.
और चार कंपनिया मांगी थीं. जिसे केंद्र ने देने से इनकार कर दिया था. बाद में राज्य सरकार ने केंद्र के इस रवैये के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. इसकी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने र्द्धसैनिक बलों की चार और कंपनियां 48 घंटे के अंदर पहाड़ भेजने का निर्देश दिया. तीन दिनों पहले ही सीआरपीएफ की चार और कंपनियां दार्जिलिंग पहुंच गयी हैं. इन सभी को मिरिक सहित अन्य संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया है. सीआरपीएफ की और कंपनियां आने के बाद राज्य सरकार ने केंद्र से सेना हटा लेने का अनुरोध किया. केंद्र ने इस अनुरोध को मान लिया. उसके बाद ही सेना हटा ली गयी है. इसके साथ ही राज्य सरकार ने केंद्र से अर्द्धसैनिक बलों को नहीं हटाने का भी अनुरोध किया है. सीआरपीएफ सूत्रों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि सीआरपीएफ की सभी 12 कंपनियां बनी रहेंगी.
इस बीच, पहाड़ पर बेमियादी बंद के साथ ही हिंसक घटनाओं का दौर भी जारी है. अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर जारी आंदोलन के बीच बृहस्पतिवार को पहाड़ पर करीब-करीब शांति बनी रही, उसके बाद भी छिटपुट हिंसक घटनाएं हुई हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार बुधवार की रात को लामाहट्टा में पंचायत कार्यालय को उपद्रवियों ने फूंक दिया. इसके अलावा कर्सियांग के डाउहिल में भी उपद्रवियों ने डीएफओ कार्यालय को आग लगा दी. हालांकि बारिश की वजह से आग ने भंयकर रूप धारण नहीं किया. उधर दार्जिलिंग, कार्सियांग, कालिम्पोंग, मिरिक आदि में शांति बनी हुई है. ऐसे गोरखालैंड समर्थकों द्वार विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है. विभिन्न स्थानों पर अलग राज्य की मांग को लेकर रैलियां निकाली जा रही हैं और थाने का घेराव किया जा रहा है.
दूसरी तरफ गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरुंग ने दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के चारों नगरपालिकाओं के अपने पार्षदों के साथ पातलेबास में एक गुप्त बैठक की है. इसमें दार्जिलिंग, कालिम्पोंग, कार्सियांग और मिरिक नगरपालिका में गोजमुमो के सभी पार्षद उपस्थित थे. इस बैठक के बारे में किसी को कानोकान जानकारी नहीं दी गयी थी. ऐसे सूत्रों के अनुसार इस बैठक में गोरखालैंड आंदोलन और जोरदार करने का निर्णय लिया गया है.सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में बेमियादी पहाड़ बंद से रसद की कमी पर भी चरचा की गयी. इसमें बेमियादी बंद खत्म करने को लेकर कोई चरचा नहीं की गयी.
आज से शुरू होगा आमरण अनशन: गोरखालैंड की मांग को लेकर गोजमुमो युवा मोरचा तमाम नेता कल शुक्रवार से आमरण अनशन करेंगे. सिर्फ दार्जिलिंग में ही नहीं,अपितु पूरे पर्वतीय क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर आमरण अनशन करने का निर्णय लिया गया है. दार्जिलिंग के चौरस्ता में युवा मोरचा के बड़े नेता आमरण अनशन पर बैठेंगे. गोजयुमो नेता प्रकाश गुरुंग ने बताया कि निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही यह अनशन हो रहा है. गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरुंग ने पहले ही कल से अनशन करने का निर्देश दिया था.युवा मोरचा के सभी बड़े नेता अनशन पर बैठेंगे.