स्वयं योजना के तहत लगभग 400 ऑनलाइन व ऑफिस कोर्स शुरू किये गये हैं, इसमें एक लाख छात्रों ने नामांकन कर लाभ उठाया है. सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर में नवीनीकरण का काफी महत्व है, इसको ध्यान में रखकर सरकार रिसर्च पार्क, इनक्यूबेशन सेंटर व कॉलेजों में स्टार्टअप्स को प्रोन्नत कर रही है. उच्चतर आविष्कार योजना, स्मार्ट इंडिया हैकाथोन व राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के जरिये शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाया जा रहा है.
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शिक्षा: पास-फेल व्यवस्था पर शीघ्र पेश होगा बिल, 5वीं से 8वीं तक दो बार मौका: जावड़ेकर
कोलकाता: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को कहा कि पांचवीं से आठवीं कक्षा तक छात्रों को फेल न करने की नीति बदलने के लिए जल्द ही संसद में विधेयक पेश किया जायेगा. उन्होंने बताया कि पांचवीं से आठवीं तक बच्चों के मूल्यांकन के लिए दो परीक्षाएं होंगी. मार्च की परीक्षा में […]
कोलकाता: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को कहा कि पांचवीं से आठवीं कक्षा तक छात्रों को फेल न करने की नीति बदलने के लिए जल्द ही संसद में विधेयक पेश किया जायेगा. उन्होंने बताया कि पांचवीं से आठवीं तक बच्चों के मूल्यांकन के लिए दो परीक्षाएं होंगी. मार्च की परीक्षा में फेल होने वाले बच्चों को मई में एक मौका दिया जायेगा. इस परीक्षा में भी फेल होने पर बच्चे को उसी कक्षा में रोक लिया जायेगा. जावड़ेकर इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स के वार्षिक उदघाटन सत्र में बोल रहे थे.
मानव संसाधन विकास मंत्री ने बताया कि यूनिवर्सिटी के प्रमाणपत्र में अब कॉलेज का नाम व आधार कार्ड का नंबर लिखना अनिवार्य होगा, इससे पारदर्शिता बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि शिक्षा कोई राजनीतिक मसला नहीं है. यह राष्ट्रीय मुद्दा है. बच्चों को ऐसी शिक्षा मिलनी चाहिए, जिससे देश में अच्छे नागरिक तैयार हो सकें. इसके लिए शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर दिया जा रहा है.
शिक्षा के अधिकार के तहत आठवीं तक ‘नो डिटेंशन नीति’लागू की गयी थी. इसमें मिड डे मील को जोड़ कर आना-खाना-जाना के सिद्धांत पर स्कूल चल रहे थे. अब पांचवीं से आठवीं तक के विद्यार्थियों को फेल न करने की नीति खत्म करने को लेकर संसद में विधेयक लाया जायेगा. विधेयक के कानून बनते ही देश में पास-फेल प्रथा लागू हो जायेगी.
श्री जावड़ेकर ने कहा कि लगभग 30-40 लाख बच्चे अब भी स्कूली शिक्षा से बाहर हैं. 2-3 साल के अंदर उन्हें स्कूलों से जोड़ा जायेगा. उन्होंने बताया कि देश में शिक्षकों के लिए विशेष ट्रेनिंग शुरू की जायेगी. युवा प्रतिभाओं को सही शिक्षा, प्रशिक्षण व दक्षता के जरिये सशक्त किया जा रहा है. शिक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा में ज्यादा फंड, अनुसंधान व नवीनीकरण पर जोर दिया जा रहा है. डिजिटल व फिजिकल एजुकेशन के लिए संस्थानों को ज्यादा स्वायत्ता दी जायेगी, ताकि स्कूल अपना पाठ्यक्रम अपडेट कर सकें.
कार्यक्रम में आइसीसी के अध्यक्ष शाश्वत गोयनका ने स्वागत भाषण में कहा कि युवाओं की क्षमता के विकास व निर्माण के लिए शिक्षा प्रणाली में संशोधन की जरूरत है. आइसीसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रुद्र चटर्जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया. दूसरे सत्र में पूर्वी भारत में शिक्षा के विकास व चुनाैतियां विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया. इसमें आइआइटी, खड़गपुर के निदेशक पार्थ पी चक्रवर्ती, आइआइएम, कोलकाता के एकेडमिक डीन प्रो बीजू पाल अब्राहम, इंटरनेशनल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर व निदेशक प्रो अरिंदम बानिक, शिक्षाविद् प्रो श्रीपर्णा बनर्जी व नेवोटिया यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो ए एस कोलास्कर ने भाग लिया.
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