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गोरखालैंड : पहाड़ में सशस्त्र विद्रोह की आशंका, पुलिस के मुताबिक, 25 से 30 माओवादी दे रहे प्रशिक्षण
माओवादियों की ओर से प्रशिक्षण की खुफिया एजेंसियों ने दी सूचना कोलकाता : खुफिया एजेंसियों की मानें तो गोरखालैंड के नाम से अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) अब अपने आंदोलन को हिंसक रूप देने में जुटा है. पश्चिम बंगाल पुलिस के मुताबिक इसके लिए गोजमुमो पड़ोसी देशों […]
माओवादियों की ओर से प्रशिक्षण की खुफिया एजेंसियों ने दी सूचना
कोलकाता : खुफिया एजेंसियों की मानें तो गोरखालैंड के नाम से अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) अब अपने आंदोलन को हिंसक रूप देने में जुटा है. पश्चिम बंगाल पुलिस के मुताबिक इसके लिए गोजमुमो पड़ोसी देशों के माओवादियों को बुला रहा है, ताकि वह उसके कैडर को सशस्त्र हमले के लिए प्रशिक्षित कर सकें. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) अनुज शर्मा ने बताया कि हमें खुफिया एजेंसियों से इनपुट मिले हैं कि गोजमुमो द्वारा पड़ोसी देशों के माओवादियों को भाड़े पर नियुक्त किया जा रहा है. यह लोग सरकारी संपत्ति और पुलिस व प्रशासन के वरिष्ठ अफसरों को निशाना बनाकर हालात और खराब कर सकते हैं.
हथियार व गोला-बारूद का बड़ा जखीरा होने की आशंका :एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि खुफिया एजेंसियों की ओर से आशंका व्यक्त की गयी है कि गोजमुमो के पास बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद हैं. वह पिछले कुछ सालों से ऐसा कर रहा है. हमारे पास इंटेलिजेंस के इनपुट हैं कि वह पहाड़ों में भूमिगत हथियारबंद आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. ताकि सशस्त्र आंदोलन के जरिये वे अपने मंसूबो में कामयाब हों.
गोरखा जनमुक्ति मोरचा ने 25-30 माओवादियों को अपने कैडर को ट्रेनिंग देने के लिए नियुक्त किया है, जो पड़ोसी मुल्क से भाड़े पर लाये गये हैं.
अनुभवी पुलिस अधिकारियों को भेजा गया दार्जिलिंग : खुफिया सूचना के बाद राज्य सरकार ने अनेक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों को दार्जिलिंग भेजा है. इनमें वे अधिकारी भी शामिल हैं जिन्हें 2009 से 2012 तक बंगाल के जंगलमहल में माओवादी विरोधी अभियानों का लंबा अनुभव है. वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी मनोज वर्मा को दार्जिलिंग का महानिरीक्षक नियुक्त किया गया है. उन्हें माओवादियों के खिलाफ अभियानों का गहरा अनुभव है. श्री वर्मा को जंगलमहल में माओवादियों के बड़े मंसूबों को नाकाम करने व जंगल महल में माओवादी हिंसा पर लगाम लगाने का श्रेय जाता है, जबकि राज्य सरकार ने वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी राज कनौजिया को दार्जिलिंग से वापस बुला लिया है.
किसी भी हालात से निबटने को तैयार प्रशासन : पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सरकार, पुलिस व प्रशासन किसी भी विषम परिस्थिति से निबटने के लिए पूरी तरह से तैयार है. सशस्त्र विद्रोह से निबटने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं. पहले भी राज्य में माओवादियों के खिलाफ अभियान चलाये जा चुके हैं जिसमें सफलता भी हाथ लगी. गत माओवादी हिंसा में जा चुकी है 544 लोगों की जानें :
एक समय था जब राज्य के जंगलमहल इलाके में माओवादियों ने पैर पसारना शुरू किया था. आदिवासियों के हित की बात कह आंदोलन की आड़ में अभियान की नींव रखी गयी. पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो जंगलमहल में वर्ष 2005 से ही माओवादी हिंसा की वारदात सामने आने लगी थी. वर्ष 2005 से 2012 तक माओवादी हिंसक घटनाओं में 544 आम लोगों की मौत हुई जबकि सुरक्षा बलों के 65 जवानों और पुलिस कर्मियों की जानें गयीं. इस अंतराल में माओवादियों के खिलाफ अभियान में 88 माओवादियों को भी ढेर किया गया.
पुलिस के मुताबिक, 25 से 30 माओवादी दे रहे प्रशिक्षण
कालिम्पोंग में फूंके गये दो वाहन
कालिम्पोंग. कालिम्पोंग जिले में शनिवार देर रात आगजनी की एक घटना घटी है. कालिम्पोंग प्रखंड-2 के अलगड़ा अंतर्गत 16 माइल में एक ठेकेदार दावा तेजी शेरपा के घर के बाहर खड़ी उनकी स्कार्पियो और माज्दा को अज्ञात लोगों ने जला दिया गया. स्कार्पियो पूरी तरह जल गयी, जबकि माज्दा गाड़ी का आगे का हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है. शेरपा ने इसकी शिकायत कालिम्पोंग पुलिस स्टेशन में दर्ज करायी है.
आज मिरिक आ रहे डीजीपी
सिलीगुड़ी. पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुरजीत कर पुरकायस्थ सोमवार की सुबह मिरिक पहुंच रहे हैं. उन्हें करीब साढ़े आठ बजे मिरिक पहुंचना है. सीआरपीएफ सूत्रों ने बताया कि डीजीपी को मिरिक तक ले जाने के लिए सुरक्षा व्यवस्था मांगी गयी है.
डीजीपी का मिरिक में क्या कार्यक्रम है, इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिल पायी है. लेकिन उनके इस दौरे को गोरखालैंड आंदोलन से जोड़कर देखा जा रहा है. उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों मिरिक इलाके में कई हिंसक घटनाएं हुई हैं जिसमें तोड़फोड़, आगजनी, गोलीबारी शामिल है. यह भी चर्चा है कि ममता बनर्जी द्वारा पहाड़ के हालात संभालने के लिए भेजे गये आइपीएस अधिकारी राज कनौजिया के कोलकाता लौटने के बाद अब डीजीपी खुद यह जिम्मेदारी अपने हाथ में लेना चाह रहे हैं.
आंदोलन में माओवादियों के काम करने की शैली उजागर
जंगलमहल में माओवादियों के खिलाफ अभियान मेें शामिल पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि माओवादी के काम करने की अलग शैली होती है. पहले वे स्थानीय लोगों का भरोसा जीतते हैं. यानी संवेदनशील मुद्दों को सामने रख वे लोगों में अपनी साख बनाते हैं.
जंगलमहल में जब माओवादी अपना पैर पसार रहे थे तो उन्होंने यही तरीका अपनाया था. आदिवासी लोगों के हित की बात कह उन्होंने लोगों के बीच अपनी साख बनायी थी. साथ ही माओवादी अभियान में कई आदिवासियों को भी वे जोड़ने में कामयाब हुए थे. वे एक साथ कई ठिकानों पर हमला करते हैं. गत कुछ दिनों में दार्जिलिंग में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. कई जगहों पर एक साथ तोड़फोड़ व आगजनी की घटनाएं हो चुकी हैं.
गोजमुमो ने आरोपों को बताया निराधार :गोजमुमो नेतृत्व ने इस तरह के आरोपों को बिल्कुल निराधार बताया है. संगठन से महासचिव रोशन गिरि ने कहा कि इस तरह के निराधार बयान एक लोकतांत्रिक आंदोलन को बदनाम करने और उसे पटरी से उतारने के मकसद से दिये जा रहे हैं.
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