गोरखालैंड आंदोलन ने गरीब परिवार का छीना रोजगार

सिलीगुड़ी. पिछले करीब 40 दिनों से जारी गोरखालैंड आंदोलन की वजह से न केवल दार्जिलिंग में बल्कि सिलीगुड़ी में भी इसका असर देखा जा रहा है. लोगों के सामने रोजीरोटी का संकट पैदा हो रहा है. खासकर छोटे कारोबारी तथा रेहड़ी एवं फेरी करनेवाले लोग काफी परेशान हैं. पहाड़ पर बेमियादी बंद की वजह से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2017 8:23 AM
सिलीगुड़ी. पिछले करीब 40 दिनों से जारी गोरखालैंड आंदोलन की वजह से न केवल दार्जिलिंग में बल्कि सिलीगुड़ी में भी इसका असर देखा जा रहा है. लोगों के सामने रोजीरोटी का संकट पैदा हो रहा है. खासकर छोटे कारोबारी तथा रेहड़ी एवं फेरी करनेवाले लोग काफी परेशान हैं. पहाड़ पर बेमियादी बंद की वजह से वाहनों की आवाजाही नहीं हो रही है.

जिसकी वजह से दार्जिलिंग, कार्सियांग, कालिम्पोंग, मिरिक, तीनधरिया आदि पहाड़ी क्षेत्र के लोग सिलीगुड़ी खरीदारी के लिए नहीं आ पा रहे हैं. जिसकी वजह से सिलीगुड़ी के बाजार का धंधा पूरी तरह से मंदा हो गया है. कई लोगों का रोजगार चौपट हो गया है और ऐसे लोगों के सामने रोजीरोटी का संकट पैदा हो गया है.

इन्हीं लोगों में सिलीगुड़ी नगर निगम के भी वार्ड नंबर तीन के साउथ बाघाजतीन कॉलोनी के रहनेवाले 50 वर्षीय कुमोद महतो उर्फ कपिलदेव महतो का नाम भी शामिल है. कुमोद महतो मुख्य रूप से घूम-घूम कर फल बेचने का काम करते हैं. वह सुबह घर से निकल कर रेगुलेटेड मार्केट जाते हैं और वहां से फल खरीदकर सिलीगुड़ी जंक्शन के निकट कपड़ा पट्टी, बस स्टैंड, एसएनटी आदि इलाकों में फल बेचते हैं. गोरखालैंड आंदोलन शुरू होने के बाद से ही उनका यह धंधा प्रभावित हो रहा है. शुरू में बिक्री में कमी देखी गयी और बिक्री लगभग नहीं के बराबर है. पहाड़ से गाड़ियों की आवाजाही नहीं होने की वजह से बस स्टैंड तथा बाजार बंद है. इसी वजह से कुमोद महतो फल की बिक्री नहीं कर पा रहे हैं.

पिछले एक सप्ताह से उनका कारोबार पूरी तरह चौपट हो गया है. जाहिर है परिवार के सामने आर्थिक संकट है. परिवार में उनकी पत्नी के अलावा पुत्र अजित कुमार महतो है, जो सिलीगुड़ी में ही वकालत की पढ़ाई करता है. परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि अजित कुमार के पढ़ाई का खर्च सिलीगुड़ी के कुछ समाजसेवी उठाते हैं. इस बीच कुमोद महतो का काम बंद होने के बाद परिवार के सामने रोजीरोटी का संकट पैदा हो गया है. कुमोद मुख्य रूप से बिहार के हाजीपुर के रहनेवाले हैं. सिलीगुड़ी में बिजनेस खत्म होने के बाद कुमोद ने अपने घर हाजीपुर जाने का मन बनाया. यही निर्णय उस पर भारी पड़ गया. कुमोद जब रविवार की रात सिलीगुड़ी जंक्शन स्टेशन पर पहले कटिहार और वहां से हाजीपुर जाने की योजना बनायी तो मानो उस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. वह रात के करीब साढ़े नौ बजे सिलीगुड़ी जंक्शन स्टेशन के पूछताछ काउंटर पर ट्रेन की जानकारी ले रहा था, तभी कुछ पुलिसवाले लाठियां चटकाते हुए वहां पहुंचे और सभी को स्टेशन परिसर से बाहर जाने के लिए कहा.

पुलिसवालों का कहना था कि बार बार यहां चोरी-चकारी की घटना होती है. पुलिस ने कई पर डंडे बरसाये और उन्हें खदेड़ दिया. कुमोद ने पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध किया और अपने ऊपर आफत मोले ले ली. आरोप है कि पुलिसवालों ने स्टेशन परिसर में ही उसकी पिटाई शुरू कर दी. उसके बाद उसको पकड़ कर सिलीगुड़ी जंक्शन स्थित जीआरपी थाना ले आये और लॉकअप में बंद कर दिया. यहां भी उसके साथ पिटाई की गयी है. कुमोद के परिवारवालों का आरेाप है कि पुलिस पिटाई में उसकी एक आंख को नुकसान पहुंचा है. इसके अलावा हाथ और शरीर के अन्य हिस्सों पर भी डंडे से पिटाई के निशान हैं. कुमोद ने किसी तरह से इस बात की जानकारी अपने बेटे अजित को दी. घटना की सूचना मिलते ही अजित जीआरपी थाने पहुंचा लेकिन अपने पिता को नहीं निकाल पाया.

उसका आरोप है कि पुलिसवालों ने उसके साथ भी बदतमिजी की. अजित ने संवाददाताओं को बताया कि सोमवार सुबह आठ बजे जीआरपी थाना के अधिकारियों ने उससे तथा उसके पिता से कई सादे कागजात पर हस्ताक्षर करवाये और पिताजी को छोड़ दिया. जीआरपी थाने में इस तरह से पुलिसवालों द्वारा पिटाई किये जाने से कुमोद कुमार का पूरा परिवार आहत है. कुमोद के बेटे अजित ने जीआरपी अधिकारी नारायण शैव तथा कुछ अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ प्रधान नगर थाने में शिकायत दर्ज करायी है. इतना ही नहीं रेल पुलिस अधीक्षक को भी ज्ञापन देकर आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
जीआरपी ने किया इनकार
दूसरी तरफ जीआरपी ने इन तमाम आरोपों को खारिज कर दिया है. जीआरपी के एक अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तारी जैसी कोई घटना ही नहीं घटी है.

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