सभी स्कूलों में मिलेंगी एनसीइआरटी की किताबें : स्वरूप

केवल एनसीटीइ की वेबसाइट पर जारी बीएड कॉलेज ही मान्य स्कूलों में नियुक्ति के लिए ट्रेंड शिक्षकों का होगा विशेष असेसमेंट कोलकाता : पूरे देश में शिक्षा की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा नयी नीतियां बनायी जा रही हैं. स्कूल, कॉलेज व विश्वविद्यालय स्तर पर लगातार शिक्षा के स्तर का मूल्यांकन किया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2017 12:35 PM
केवल एनसीटीइ की वेबसाइट पर जारी बीएड कॉलेज ही मान्य
स्कूलों में नियुक्ति के लिए ट्रेंड शिक्षकों का होगा विशेष असेसमेंट
कोलकाता : पूरे देश में शिक्षा की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा नयी नीतियां बनायी जा रही हैं. स्कूल, कॉलेज व विश्वविद्यालय स्तर पर लगातार शिक्षा के स्तर का मूल्यांकन किया जा रहा है. साथ ही स्कूली बच्चों पर से वित्तीय बोझ कम करने के लिए सरकारी और निजी स्कूलों के छात्रों को एनसीइआरटी की पुस्तकें उपलब्ध कराये जाने की योजना है, ताकि उन्हें ज्यादा दाम पर किताब खरीदने से राहत मिल सके. ये बातें मंगलवार को केंद्र सरकार के एचआरडी विभाग से जुड़े स्कूल शिक्षा और साक्षरता मंत्रालय के सचिव अनिल स्वरूप ने कहीं.
एसोचैम द्वारा ‘शिक्षा व इनोवेशन के जरिये ट्रांसफार्मिंग’ विषय पर आयोजित सेमिनार में उन्होंने कहा कि अभी तक की सूचना के मुताबिक सीबीएसइ के 20 हजार स्कूल हैं और इन स्कूलों के छात्र 13 करोड़ किताब पढ़ते हैं, लेकिन एनसीइआरटी की किताबों की अधिकतम कीमत जहां 50 रुपये है वहीं गैर एनसीइआरटी किताबों की कीमत 300 रुपये तक है. एनसीइआरटी की किताब खरीदकर 20 हजार स्कूल 650 करोड़ रुपये खर्च करते हैं लेकिन गैर एनसीइआरटी प्रकाशकों के लिए उन्हें 3900 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं.
यह छोटा अंतर नहीं है. स्कूली छात्रों पर पड़नेवाले वित्तीय बोझ को कम करने पर विचार किया जा रहा है. उनका कहना है कि गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों का विशेष मूल्यांकन करने के साथ उन्हें चाइल्ड सेंट्रिक विशेष ट्रेनिंग भी दी जा रही है, जिससे वे सरकारी स्कूल में छात्रों को बेहतरीन शिक्षा प्रदान कर सकें.
देश में 16000 बीएड कॉलेज, पर 4000 के पास एफिडेविट नहीं
देश भर के सभी कॉलेजों के मानदंड व स्तर की जांच की जा रही है. देश में 16,000 बीएड कॉलेज चल रहे हैं लेकिन 4000 के पास एफिडेविट ही नहीं है.
इसमें बंगाल के भी 67 बीएड कॉलेज शामिल हैं, जिन्होंने अभी तक एफीडेविट नहीं दिया है. जो शिक्षक बीएड की ट्रेनिंग ले रहे हैं, वे एनसीटीइ की वेबसाइट पर जारी संस्थानों की सूची के आधार पर ही वैध कॉलेज में दाखिला लें. उनका कहना है कि शिक्षा के अधिकार के तहत अब नो डिटेंशन नीति में भी बदलाव किया जा रहा है.
जो बच्चा परीक्षा पास नहीं कर पायेगा, उसको रोकना ही होगा. उन्होंने कहा कि स्कूलों को नेशनल करीक्युलम फ्रेम का अनुसरण करना होगा, जिससे स्कूलों में सैनिक स्कूल की तरह अनुशासन, नियमित उपस्थिति व अन्य गतिविधियों पर जोर दिया जायेगा. इसमें बच्चों के बस्ते का बोझ भी कम करने पर विचार किया जा रहा है. इसके लिए कुछ पुस्तकों को डिजिटलाइज किया जायेगा. उनका मानना है कि बंगाल में निजी क्षेत्र में हेरीटेज जैसे संस्थानों ने शिक्षा की गुणवत्ता को बनाये रखा है.
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में शिक्षा की गुणवत्ता व होलीस्टिक डवलपमेंट पर टेक्नो इंडिया ग्रुप के निदेशक (ग्लोबल ऑपरेशंस) मेघदूत राय चाैधरी, एसोचैम के चेयरमैन तरणजीत सिंह, एडेमास यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रो. समित राय चाैधरी, कलकत्ता चेंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष राजेंद्र खंडेलवाल, भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के महानिदेशक प्रो. सुमन मुखर्जी, हेरीटेज स्कूल की प्रिंसिपल सीमा सप्रू , कलकत्ता इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल डॉ मुनमुन नाथ, भारतीय स्किल डवलपमेंट यूनिवर्सिटी, जयपुर के संस्थापक उपाध्यक्ष कर्नल रवींद्रा कुमार घोसेन, टेक्नो इंडिया यूनिवर्सिटी एंड टेक्नो इंडिया ग्रुप के सीइओ व निदेशक प्रो. डॉ सुजय विश्वास, शेमरोक स्कूल के सीइओ अमोल अरोड़ा सहित कई शिक्षा अधिकारी व शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे. कार्यक्रम के अंत में एसोचैम एक्सीलेंस अवॉर्ड समारोह का आयोजन किया गया. एसोचैम की निदेशक (पूर्वी क्षेत्र) परमिंदर जीत काैर ने कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन दिया.

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