बाढ़ : श्वेतपत्र जारी करें मुख्यमंत्री : भाजपा

बाढ़ के लिए केंद्र नहीं, बल्कि राज्य सरकार जिम्मेवार : सायंतन कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में बन रही बाढ़ की भयावह स्थिति को मानव निर्मित बाढ़ की संज्ञा देते हुए केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ा है. जवाब में भाजपा के प्रवक्ता सायंतन बसु ने स्वीकार करते हुए कहा कि यह सच है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 28, 2017 11:36 AM
बाढ़ के लिए केंद्र नहीं, बल्कि राज्य सरकार जिम्मेवार : सायंतन
कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में बन रही बाढ़ की भयावह स्थिति को मानव निर्मित बाढ़ की संज्ञा देते हुए केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ा है. जवाब में भाजपा के प्रवक्ता सायंतन बसु ने स्वीकार करते हुए कहा कि यह सच है कि बंगाल में मैन मेड फ्लड की स्थिति है, लेकिन इसके लिए जिम्मेवार केंद्र सरकार नहीं है, बल्कि राज्य सरकार खुद है और इसकी नैतिक जिम्मेवारी खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की है. उन्होंने राज्य सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री को अपनी बात पर भरोसा है तो इस मामले पर वह श्वेत पत्र प्रकाशित करें.
उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री ने बिल्कुल सही कहा है कि बंगाल में मानव निर्मित बाढ़ की स्थिति है. इसकी वजह खुद तृणमूल कांग्रेस के नेता और उनके माफिया कनेक्शन जिम्मेवार है.
वजह का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि कभी बंगाल नदियों, खालों और झीलों का प्रदेश हुआ करता था, लेकिन आज खाल को पाट कर घर बनाया जा रहा है. झीलों को खत्म कर वहां बहुमंजिली इमारतें खड़ी की जा रही हैं. नदियों से बालू खनन माफिया अवैध रूप से बालू निकाल कर नदियों का स्वरूप बदल दे रहे हैं. ऐसे में इस तरह के हालात तो बनेंगे ही. यह सब कौन कर रहा है, राज्य सरकार इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठायी है इसका तो जवाब खुद मुख्यमंत्री को ही देना होगा. इसके अलावा ममता बनर्जी को यह बताना होगा कि केंद्र सरकार की तरफ से नदी नालों की साफ सफाई और झीलों के संस्कार के साथ सिंचाई विभाग के लिए जो धनराशि आवंटित की गयी है उसका कितना पैसा खर्च किया गया और कितना काम हुआ इसका खुलासा करने के लिए मुख्यमंत्री श्वेत पत्र जारी करें. दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा.
सायंतन बसु ने कहा कि ममता बनर्जी की यह पुरानी आदत है कि पश्चिम बंगाल में कुछ भी गलत होता है तो वह केंद्र पर आरोप मढ़ने लगती हैं. इसका ताजा उदाहरण राज्य में बन रही बाढ़ की परिस्थिति है. इसके लिए वह आरोप लगा रही हैं कि डीवीसी बिना इजाजत और जानकारी के पानी छोड़ कर हालात को खराब कर रहा है. जबकि यह आरोप सिरे से बेबुनियाद है. डीवीसी ऐसा कर ही नहीं सकता, क्योंकि उसमें शामिल पश्चिम बंगाल, झारखंड, केंद्र सरकार और डीवीसी के प्रतिनिधि सबकी जानकारी में ही पानी छोड़ने का फैसला लिया जाता है.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को शायद यह पता नहीं है कि डीवीसी के बांध से अगर पानी नहीं छोड़ा जायेगा तो बांध के टूटने का खतरा पैदा हो जाता है. अब अगर ऐसा होता है तो जान माल का कितना नुकसान होगा इसका अंदाजा शायद मुख्यमंत्री को नहीं है.

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