चाय श्रमिकों का ‘विधानसभा अभियान’ आज
कोलकाता. राज्य में चाय बागान श्रमिकों की स्थिति समय के साथ दयनीय होती जा रही है. बंद चाय बागानों को खोलने और श्रमिकों की समस्याओं के समाधान की मांग पर सीटू समर्थित चाय बागान मजदूर यूनियन समेत करीब 29 चाय बागान श्रमिक संगठन की ओर से गुरुवार को ‘विधानसभा चलो अभियान’ चलाया जायेगा. अभियान दोपहर […]
कोलकाता. राज्य में चाय बागान श्रमिकों की स्थिति समय के साथ दयनीय होती जा रही है. बंद चाय बागानों को खोलने और श्रमिकों की समस्याओं के समाधान की मांग पर सीटू समर्थित चाय बागान मजदूर यूनियन समेत करीब 29 चाय बागान श्रमिक संगठन की ओर से गुरुवार को ‘विधानसभा चलो अभियान’ चलाया जायेगा.
अभियान दोपहर 12 बजे से सियालदह स्टेशन के निकट से शुरू होगा. इसमें तराई-डुवार्स समेत राज्य के करीब पांच जिलों से चाय बागान श्रमिकों के मौजूद रहने की संभावना है. अभियान के दौरान चाय बागान श्रमिक संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने राजभवन जायेगा. इस बात की जानकारी श्रमिक भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान चाय बागान मजदूर यूनियन के महासचिव जियाउल आलम ने दी. चाय बागान श्रमिक संगठनों ने साफ कर दिया है कि अभियान को रोकने के लिए यदि पुलिस बल प्रयोग करेगी तो भी आंदोलनरत श्रमिक पीछे नहीं हटेंगे.
चाय बागानों के 4.5 लाख श्रमिकों पर संकट :दार्जिलिंग समेत उत्तर बंगाल की चाय की गुणवत्ता पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. आरोप के अनुसार, चाय बागानों के मालिकों, केंद्र व राज्य सरकार के उदासीन रवैये के कारण पश्चिम बंगाल का चाय उद्योग पर संकट मंडरा रहा है. चाय बागान श्रमिक संगठनों के अनुसार, राज्य के करीब 32 चाय बागान बंद पड़े हैं. चाय बागानों के लगभग 4.5 लाख श्रमिकों पर संकट बना हुआ है. गत दो महीनों से दार्जिलिंग का माहौल अशांत है और यहां करीब 80 हजार चाय बागान श्रमिकों के पास रोजगार नहीं है. इन श्रमिकों के आश्रितों का योग कर लें तो करीब डेढ़ लाग लोग विषम स्थिति में जीवन-यापन कर रहे हैं. आरोप के अनुसार, राज्य में न्यूनतम मजदूरी कानून का पालन सही ढंग से नहीं हो रहा है. मौजूदा समय में राज्य के चाय बागान श्रमिकों को एक दिन की मजदूरी 132.50 रुपये मिलती है. न्यूनतम मजदूरी कानून के तहत खाद्य सामग्री के रूप में उन्हें अतिरिक्त 27 रुपये मिलते थे, लेकिन इसे बंद कर दिया. अन्य राज्यों में ऐसा नहीं है. दक्षिण भारत में चाय बागान श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी करीब 300 रुपये है. असम में 137 रुपये मजदूरी के साथ खाद्य सामग्री के अतिरिक्त रुपये भी मिलते हैं.
केंद्र व राज्य सरकार को अल्टीमेटम :नेशनल यूनियन ऑफ प्लांटेशन वर्कर्स (एनयूपीडब्ल्यू) के नेता मनी कुमार दर्नाल ने कहा है कि चाय बागान श्रमिकों की समस्याओं के समाधान को लेकर चाय बागानों के मालिक, केंद्र व राज्य सरकार सही कदम उठाये. बंद चाय बागानों को खोलने के साथ ही श्रमिकों को सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा उपलब्ध करायी जाये. विधानसभा सत्र के दौरान चाय बागान के श्रमिकों की समस्याओं और उसके समाधान को लेकर चर्चा हो. केंद्र व राज्य सरकार को अल्टीमेटम देते हुए संगठनों ने कहा है कि यदि उपरोक्त मांगों को पूरा नहीं किया जाता है तो चाय बागान श्रमिक संगठन व्यापक आंदोलन को मजबूर होंगे.