जीएसटी से कुम्हारटोली के मूर्तिकारों का कारोबार प्रभावित, बिक्री घटी

कोलकाता: बंगाल के सबसे बड़े उत्सव दुर्गा पूजा की तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं, लेकिन जुलाई में लागू हुआ वस्तु व सेवाकर (जीएसटी) कोलकाता के मशहूर कुम्हारटोली के मूर्तिकारों के लिए अभिशाप बन गया है. प्रतिमा बनानेवालों ने बताया कि उनके लिए नयी कर प्रणाली को समझना व लागू करना मुश्किल है, जिससे उनके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 3, 2017 8:46 AM
कोलकाता: बंगाल के सबसे बड़े उत्सव दुर्गा पूजा की तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं, लेकिन जुलाई में लागू हुआ वस्तु व सेवाकर (जीएसटी) कोलकाता के मशहूर कुम्हारटोली के मूर्तिकारों के लिए अभिशाप बन गया है. प्रतिमा बनानेवालों ने बताया कि उनके लिए नयी कर प्रणाली को समझना व लागू करना मुश्किल है, जिससे उनके और उपभोक्ताओं के बीच काफी भ्रम पैदा हो गया है.
कुम्हारटोली मूर्ति शिल्प संस्कृति समिति के प्रवक्ता बाबू पाल ने बताया कि यह नयी कर प्रणाली अभी तक स्पष्ट नहीं है. नकली बाल, काजल, एल्युमिनियम और स्टील से बने औजार व साड़ी जैसे सामान की कीमतें बढ़ गयी हैं.

जीएसटी में इस भ्रम के कारण मां दुर्गा की प्रतिमाओं पर खरीदारों का बजट भी कम हो गया है. कोलकाता के उत्तरी हिस्से में हुगली नदी के किनारे बसी मिट्टी के सामान बनानेवाले लोगों की कॉलोनी कुम्हारटोली का अस्तित्व 19वीं सदी का है. उनके द्वारा बनायी गयी मूर्तियों की न केवल कोलकाता व देश के अन्य इलाकों में पूजा की जाती है, बल्कि विदेशों में भी पूजा के लिए यहां से प्रतिमाएं ले जायी जाती हैं. इन्हें न केवल मिट्टी की प्रतिमाएं बनाने में महारत है, बल्कि कपड़े की प्रतिमा बनाने में भी इनका कोई जवाब नहीं. कपड़े की प्रतिमाओं को ज्यादातर विदेशों में भेजा जाता है. प्रतिमाएं बनाने के लिए आवश्यक कच्चे माल का कारोबार करनेवाले रणजीत सरकार ने कहा कि नोटबंदी के कारण पिछले साल हमें मुश्किल वक्त का सामना करना पड़ा. इस बार जीएसटी हमारे कारोबार पर भारी पड़ रहा है और वह भी हमारे कारोबार के अहम समय पर.

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